-फ्लाइंग क्लब से लेकर विश्वकर्मा हॉस्टल एरिया में मौजूद थे बीएचयू के ईट भट्ठे

-सिविल इंजीनियरिंग व मैकेनिकल विभागों का भी बीएचयू निर्माण में रहा योगदान

VARANASI

बीएचयू का क्फ्70 एकड़ में फैला विशाल कैंपस और यहां बनी हुई इमारतें इसकी बुलंदी की तस्वीर है। इन इमारतों के निर्माण में लगी एक-एक ईट बीएचयू की अपनी बनायी हुई है। यहां प्रयुक्त हर एक ईट पर बीएचयू या काविवि (काशी विश्वविद्यालय) लिखा हुआ है। यही नहीं बीएचयू के निर्माण में प्रयुक्त रेलिंग भी यहीं तैयार हुई थी। बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान के लेक्चर थियेटर में लगायी गयी बेंच के कास्ट आयरन के पाए भी बीएचयू में ही बनाए गए थे। इस पर बीएचयू लिखा हुआ दिखायी देगा। यही नहीं बीएचयू के बाहर भी बीएचयू में ढले खंभे व पोस्ट दिखायी देते हैं। अस्सी नाले के किनारे लगे पोस्ट इसके उदाहरण हैं। लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है आज छोटी से लेकर बड़ी चीज बाहर से खरीदीाती है।

विस्तृत सोच का परिणाम

बीएचयू के संस्थापक पं। मदन मोहन मालवीय की इतनी विस्तृत सोच थी कि उन्होंने आईटी के हर डिपार्टमेंट का उपयोग न केवल पढ़ाई के उद्देश्य से किया बल्कि बीएचयू के निर्माण में भी किया। आईटी का सिविल इंजीनियरिंग विभाग हो या मैकेनिकल, सभी में उन्होंने बीएचयू के कंस्ट्रक्शन में उपयोग आने वाली सामग्रियों का निर्माण कराया। बीएचयू के निर्माण में प्रयुक्त ईटें भी इसी निर्माण प्रकिया के तहत बनीं। उस समय आईटी के कुशल प्रोफेसर्स की देखरेख में निर्माण कार्य होता था। मालवीय जी के समय में बीएचयू फ्लाइंग क्लब से लेकर विश्वकर्मा हॉस्टल तक के एरिया में ईट भट्ठे हुआ करते थे। यहीं पर बीएचयू के लिए ईटों का निर्माण हुआ करता था। बाद में यह बंद हो गया। बहुत समय तक यह क्षेत्र ऐसे ही पड़ा रहा। दशकों बाद बीएचयू के वीसी रहे प्रो। सिम्हाद्रि ने इसमें रुचि दिखायी और तब जाकर वहां कृषि विज्ञान संस्थान ने फिशरीज पांड का निर्माण कराया।