तत्कालीन अंग्रेजी सरकार ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में शिक्षण माध्यम के रूप में अंग्रेजी को दी थी मान्यता

VARANASI:

भले ही वर्तमान के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में शिक्षा का माध्यम हिन्दी है पर इसके निर्माण के समय तत्कालीन अंग्रेजी सरकार ने जो चार्टर (राज्यादेश) जारी किया था उसमें शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी था। जबकि जो आवेदन किया गया था उसमें यूनिवर्सिटी के शिक्षण माध्यम के लिए हिन्दी की मांग की गयी थी। तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिग ने इस बाबत आवेदन करने वालों से कहा था कि 'जब तक आप लोग अंग्रेजी में बात करते हैं हम आपकी बात समझ लेते हैं पर जब आप हिन्दी में बात करते हैं तो हम कुछ भी समझ नहीं पाते हैं। इसलिए शिक्षण का माध्यम अंग्रेजी ही होगा'। इस पर वहां उपस्थित लोग जिनमें लाल लाजपत राय, महामना आदि लोग शामिल थे, ने कहा कि 'चार्टर मिले या ना मिले विश्वविद्यालय बन के रहेगा'। बाद में तय हुआ कि अंग्रेजी में ही चार्टर ले लिया जाय बाद में जो होगा देखा जाएगा।

लगा दिया 'आधार' का अड़ंगा

चार्टर मिलने के साथ ही अंग्रेजों की ओर से एक और अड़ंगा लगा दिया गया कि यूनिवर्सिटी का आधार कोई महाविद्यालय होना चाहिए। सभी लोग चिंता में पड़ गए तब श्रीमती एनी बेसेंट ने अपना सेंट्रल हिन्दू कॉलेज और सेंट्रल हिन्दू स्कूल दोनों विश्वविद्यालय के आधार के लिए महामना को दे दिया। विश्वविद्यालय का कार्य सर्वप्रथम सेंट्रल हिन्दू कॉलेज के भवन में ही शुरू हूआ। एक सरकारी निर्देश यह भी था कि तब तक विश्वविद्यालय प्रारंभ नहीं होगा जब तक कमच्छा कैंपस से हिन्दू स्कूल अलग न कर दिया जाय। इसके लिए केवल एक महीने का समय दिया गया। यह तत्कालीन इंजीनियर व प्रो। वाइस चांसलर राजा ज्वाला प्रसाद की देन थी कि उन्होंने कोल्हुआ में एक महीने के अंदर ही हिन्दू स्कूल का पूरा भवन ही बनवा दिया और हिन्दू स्कूल उसमें चला गया।