-हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल में बैठने लगीं हेड एंड नेक कैंसर सर्जन

-कैंसर का ऑपरेशन कराने को जाना पड़ता हैं मुंबई और दिल्ली

GORAKHPUR : सिटी में कैंसर की चपेट में आ चुके गोरखपुराइट्स के लिए राहत की खबर है। अब इयर, नोज, थ्रोट और माउथ कैंसर के इलाज के लिए गोरखपुराइट्स को दिल्ली, मुंबई की राह नहीं पकड़नी होगी। गोरखपुर की आठ करोड़ आबादी में होने वाले कैंसर का बोझ संभाल रहे हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल में लंबे इंतजार के बाद अब गोरखपुर में भी ईएनटी और हेड-नेक सर्जन मिल गया है। अब तक यह व्यवस्था लखनऊ के डॉक्टर के जिम्मे थी, जो हर वेंस्डे को सिटी में आकर मरीजों का ऑप्रेशन करते थे।

हजारों पेशेंट होते हैं रजिस्टर्ड

हॉस्पिटल के मैनेजर एके पांडेय की मानें तो कैंसर पेशेंट्स की तादाद दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। हॉस्पिटल की बात करें तो यहां हर साल चार से साढ़े चार हजार नए पेशेंट रजिस्टर्ड होते हैं। वहीं करीब 30 हजार से ज्यादा पेशेंट्स का इलाज किया जाता है। गोरखपुर से दो सौ किमी के दायरे कैंसर के इलाज के लिए कोई खास सुविधा न होने की वजह से यहां दूर दराज के पेशेंट्स भी इलाज के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में मिलने वाली रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी की फैसिलिटी भी यहां मौजूद हैँ।

पित्त की थैली का कैंसर सबसे ज्यादा

हॉस्पिटल के चीफ प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ। एचआर माली ने बताया कि इस एरिया में कैंसर के पीडि़तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां आने वाले पेशेंट्स में सबसे ज्यादा पित्त की थैली और लीवर कैंसर के पेशेंट्स एडमिट होते हैं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद रेडियोथेरेपी की जरूरत होती है। ऐसे में आस-पास में रहने वाले पेशेंट्स ऑपरेशन कराने तो बड़े शहरों में चले जाते है लेकिन रेडियोथेरेपी कराने यहीं आते हैं। ईएनटी एंड हेड नेक कैंसर सर्जन डा। रुचिका अग्रवाल ने बताया कि कैंसर को चार स्टेज में डिवाइड किया गया है। फ‌र्स्ट स्टेज में दो सेंटीमीटर से कम, सेकेंड स्टेज में दो से चार सेंटीमीटर, थर्ड स्टेज में चार सेंटीमीटर से अधिक और फोर्थ स्टेज में जबड़ा, या स्किन पकड़ लेना, जीभ न हिलना, गांठ का काफी बड़ा हो जाना होता है। कैंसर का ऑपरेशन करना काफी मुश्किल हो जाता है।