रूस नें कोल्ड वार से पहले एक ऐसे फ्लाइंग फाइटर शिप को बनाने की शुरूआत की थी जो कि अगर बन जाता तो दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक लड़ाकू शिप साबित होता. रूस नें इसे प्रोजेक्ट 903 का नाम दिया था. मगर कुछ कारणों से यह प्रोजेक्ट बीच में ही रोकना पड़ा और दुनिया का सबसे बड़ा फ्लाइंग फाइटर शिप बनते बनते रह गया.

उड़ने वाला फाइटर शिप

इस रशियन जहाज का नाम ल्यून रखा गया था. ल्यून एक रशियन चिड़िया का नाम है. इस हवाई जहाज में 6 क्रूज मिसाइलें लगी थीं. यह जहाज तकनीकी तौर पर जहाज को ग्राउण्ड इफेक्ट का उपयोग करके उड़ाया जाता था. कोल्ड वार और आंशिक निरस्त्रीकरण परियोजनाओं की वजह से इस जहाज को बदलकर एक बचाव विमान में तव्दील कर दिया गया.

उड़ने वाला फाइटर शिप

 

उड़ने वाला फाइटर शिप

इसे अधिकतर कैस्पियन सागर और काला सागर के तटों पर उड़ाया या यूं कहें कि तैराया गया. इसकी समुद्र में तैरने और हवा में उड़ने की बेमिशाल क्षमताओं की वजह से इस कदर कन्फ्यूजन क्रिएट हुआ कि 2005 में इंटरनेशनल मरीन आर्गनाइजेसन को क्लासीफिकेसन देना पड़ा कि इसे ‘तैरने वाले हवाईजहाज’ की बजाय ‘उड़ने वाला शिप’ माना जाए.

 

International News inextlive from World News Desk