- ऑल पार्टी मीटिंग बुलायी गई और हो गया समझौता

- बिहार विधान परिषद् में हाथापाई और आरोप-प्रत्यारोप मामला

PATNA: बिहार विधान परिषद् कानून बनाने वाली संस्था है। यह उच्च सदन है, पर इसमें इतिहास बन गया। आने वाले समय में लोग याद करेंगे कि जब बिहार विधान परिषद् में अवधेश नारायण सिंह सभापति थे और सदन में एक्स सीएम नीतीश कुमार, एक्स सीएम राबड़ी देवी, एक्स डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, कांग्रेस स्टेट प्रेसिडेंट अशोक चौधरी सहित कई मिनिस्टर और एक्स मिनिस्टर मौजूद थे, तब दो पुराने दोस्तों यानी बीजेपी और जेडीयू के बीच दुश्मनी इस हद तक जा पहुंची कि कुर्ते का हत्था ऊपर उठा लिया गया। भौंहे तान ली गईं। हाथ उठा लिए गए। दोनों तरफ से हाथ टकराए और हाथापाई हुई। देख लेने की धमकियां दी गईं। बिहार के उच्च सदन की यह तस्वीर देश-दुनिया के लोगों ने देखी। जहां कानून बनता हो, वहां कानून ठेंगे से हो जाए, इसका क्या मतलब। ये घटना कई तरह की सीख दे गया। उन बच्चों ने क्या सोचा होगा, माननीयों जो सदन की कार्यवाही देखने शेरशाह सूरी स्कूल सासाराम से आए थे?

कैसे मिटेगी यह कहानी?

जब नेताओं सहित उच्च सदन की फजीहत हुई, तो जनता के सामने कुछ बताने के लिए होना ही चाहिए था। वही हुआ जिसका डर था। पहले कालिख और फिर उसे छिपाने के लिए चढ़ाई गई सफेदी। लेकिन इतिहास तो इतिहास है। वह बन गया। कैसे मिटेगा। ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई गई। नीतीश कुमार को मनाया गया। वे भी सदन में आए। अपनी-अपनी गलती स्वीकार कर ली गई दोनों ओर से। निलंबन प्रस्ताव वापस हो गया। तनी हुई मूंछें कुछ देर के लिए ही सही झुका ली गईं!

लालू ने भी मौके का उठाया फायदा

इतनी शर्मनाक घटना घटी। उच्च सदन शर्मसार हुआ, पर इसका भी पॉलिटिकल लाभ उठाने से नेता नहीं चूके। लालू प्रसाद ने तो नीतीश कुमार को सीधा-साधा आदमी तक कह डाला। जब लालू प्रसाद को जेल की सजा सुनाई गई थी, तब उनकी ही पार्टी के लोगों ने जोर-जोर से कहा था कि नीतीश कुमार ने साजिश कर उन्हें फंसाया है। उसी सीधे-साधे नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को सत्ता से बेदखल किया। उसी नीतीश कुमार ने कई बार लालू प्रसाद को पॉलिटिकल पानी पिलाया, पर जब मौका बीजेपी से लड़ने का आया, तो नीतीश कुमार भी लालू की ओर चार कदम बढ़े और लालू प्रसाद भी नीतीश कुमार की ओर चार कदम बढ़े। फिर क्या मैं और तुम गर हम हो जाते कितने हंसी आलम हो जातेदर्द दिलों के कम हो जाते.मैं और तुम गर हम हो जातेतेरे बिना न आए सुकून न आए करार दूर वो सारे भरम हो जाते जिस लालू-राबड़ी राज को नीतीश कुमार ने जंगल राज कहा और तीन बार लालू का डर दिखा कर सीएम बने उसे लालू प्रसाद ने सीधा आदमी कहकर राजनीति का चिरपरिचित चेहरा फिर से बेनकाब किया। पॉलिटिकल सर्किल में सब ने राबड़ी देवी के बयान की सराहना की जिसमें उन्होंने दोनों पक्ष को दोषी माना था।

बीजेपी ने तो खूब कोसा

लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को 'सीधा आदमी' क्या कहा, बीजेपी ने खूब चुटकी लेनी शुरू कर दी। बीजेपी एमएलए रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि गांव में जब दो पहलवान बूढ़े हो जाते हैं, तो दुश्मनी भूल साथ हो जाते हैं। यही नहीं, जानवरों में भी ये दिखता है कि दो कट्टर जानवर बूढ़े होने पर दुश्मनी भूल एक हो जाते हैं। एक्स सेंट्रल मिनिस्टर शहनवाज हुसैन ने कहा कि जो नीतीश कुमार, नरेन्द्र मोदी की हवा को ब्लोअर की हवा कह रहे थे। उन्हें खुद दो सीटें मिलीं। ये कैसी सत्ता है, जिसमें सीएम को कुछ पावर ही नहीं है। सीएम पद छोड़ने के बाद भी नीतीश कुमार सत्ता का मजा लेना चाहते हैं, इसलिए तो अपने साथ-साथ लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को भी कई तरह की सुविधाएं दिलवायीं।

नीतीश कुमार ने ज्यादा कुछ नहीं कहा

एक्स सीएम नीतीश कुमार गुरुवार को खूब भावुक हुए थे, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने मीडियाकर्मीयों के सवालों का बहुत जवाब नहीं दिया। बस यही कहा कि पटाक्षेप हो गया है अब इस पर ज्यादा कहने की जरूरत नहीं है।

दूसरे दिन भी हुई नारेबाजी

दूसरे दिन विधान सभा में खूब नारेबाजी हुई। विपक्ष यानी बीजेपी ने सदन शुरू होने से ठीक पहले सदन के गेट पर पिछड़ों-अतिपिछड़ों को स्कॉलरशिप देने के सवाल पर नारेबाजी की और जीतनरामांझी की सरकार को पिछड़ा-अतिपिछड़ा विरोधी सरकार करार दिया। ऑपोजिशन लीडर नंदकिशोर यादव ने सवाल उठाया और जवाब देने के लिए कल विधान परिषद् की ही तरह डिपार्टमेंट मिनिस्टर बीमा भारती मौजूद नहीं थीं। ऑपोजिशन लीडर ने कहा कि ख्0क्क्-क्ख् में स्कॉलरशिप एक लाख थी, क्ख्-क्फ् में यह 7भ् हजार हुई और क्फ्-क्ब् में क्भ् हजार कर दी गई। सरकारी शुल्क देने का ही प्रावधान करना सही नहीं है।

सभी पार्टी के वरीय नेता उच्च सदन में मौजूद थे, बावजूद ऐसी घटना घटी। यह तो निंदनीय है। तिल को ताड़ बनाया गया या तो सहमति से हुई यह घटना या फिर पार्टी की वरीय नेता का कोई असर नहीं है पार्टी के नेताओं पर है।

पी.के। सिन्हा, एक्स एमएलसी

संजय सिंह तो एक बार मेरे तरफ भी हमले के लिए बढ़े थे। मैं नहीं कहता कि नीतीश कुमार के उकसावे पर वे ऐसा कर रहे थे, पर नीतीश कुमार मौजूद थे परिषद् में। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टे मेरी मेंबरी खत्म कर दी गई। ऐसे लोगों की बैकग्राउंड तो देखिए। कैसे-कैसे लोग मनोनयन से या चुनकर आ रहे हैं देखिए। दोनों तरफ ऐसे लोग आपको मिल जाएंगे।

प्रेम कुमार मणि, एक्स एमएलसी