- बिजली विभाग में एक्टिव है बिल मैनेज करने वालों का गैंग

GORAKHPUR:

बिजली का बिल अधिक आ गया है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। बिल मैनेज करने वालों की एक टीम आपको विभाग में घूमते मिल जाएगी। आप कितना भी अधिक बिजली खर्च कर लीजिए, लेकिन आपका बिल उतना ही जमा करना पड़ेगा, जितना बिजली विभाग का बिचौलिया चाहता है। अब बिजली विभाग बिल नहीं बना रहा है, बल्कि बिचौलिए ही नया बिल बना रहे हैं और वही बिल जमा होता है तो वहां बिचौलिए चाहते हैं। बिजली बिल का यह खेल तब उजागर हुआ जब एक बिचौलिए से आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बिजली कंज्यूमर बन कर बात की।

रिपोर्टर और बिचौलिए के बीच बिल सही करने को लेकर टेलिफोन पर हुई बातचीत

रिपोर्टर- भाई साहब आप बिजली विभाग से बोल रहे हैं?

बिचौलिया- जी, बोल रहा हूं आप कौन?

रिपोर्टर- अरे मेरा बिल 75 हजार रुपए हो गया है। मैं दो दिन पहले आफिस गया था तो वहां हड़ताल थी। एक बिल जमा करने वाले ने आपका नंबर दिया है।

बिचौलिया- अच्छा ठीक है, लेकिन पहले आपका बिल देखना पड़ेगा कि क्यों गड़बड़ आया है?

रिपोर्टर- मेरा बिल सीडीएफ आया है?

बिचौलिया- आप कैसे जानते हैं कि सीडीएफ है?

रिपोर्टर- उस दिन मैं गया था तो जिस व्यक्ति ने आपका नंबर दिया, उसी ने बिल देखा और बताया था कि बिल सीडीएफ बन रहा है।

बिचौलिया- कितने का बिल है?

रिपोर्टर- 75270 रुपए का

बिचौलिया- ठीक है दे दीजिएगा सही हो जाएगा।

रिपोर्टर- कितने दिन में सही हो जाएगा।

बिचौलिया- कम से कम एक हफ्ता लग जाएगा।

रिपोर्टर- कितना देना पड़ेगा?

बिचौलिया- पहले 50 प्रतिशत पर यह काम होता था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से सख्ती होने से यह रेट 60 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

रिपोर्टर- तब भी मोटे तौर पर बता दीजिए कि कितना रुपए लगेगा?

बिचौलिया- अरे आप परेशान न हो हम लोग कम से कम आपका 20 से 22 हजार रुपए तक बचा देंगे।

रिपोर्टर- अरे कुछ और कम करिए बहुत अधिक हो जाएगा।

बिचौलिया- अरे हम कुछ नहीं कर सकते हैं। आप समझ नहीं रहे हैं। सभी को तो देना पड़ता है। यहां एक-एक रुपए किसको देना यह है एक बिल में तय होता है। तब वहां एक बाबू बैठता है, उसी से बात कर लीजिए हम नहीं कर पाएंगे। हम लोग एक बिल लेकर जाते हैं तो तीन जगह पूछा जाता है कितने में आया है। इस चक्कर में हम लोगों को बताना पड़ जाता है और उसमें सबको देना पड़ जाता है।

60 प्रतिशत पर होती है डीलज

बिजली विभाग में बिल का खेल जबरदस्त चलता है। जिस कंज्यूमर का बिल 50 हजार रुपए से अधिक का बकाया होता है, उसपर विभाग में चक्कर लगा रहे बिचौलिए नजर रखने लगते हैं। जैसे ही उनका नया बिल जनरेट होता है बिचौलिए कंज्यूमर से संपर्क करने लगते हैं। इसके बाद शुरू हो जाता है मोलभाव का खेल।

कई बार आ चुका है मामला

बिजली विभाग में बिल के खेल का मामला कई बार सामने आ चुका है। पिछले साल चेकिंग के दौरान तुर्कमानपुर में एक संविदाकर्मी का नाम सामने आया था, जो तुर्कमानपुर एरिया के लोगों से 200 रुपए प्रति घर से लेकर बिजली जलाने की इजाजत दे दिया था। यह मामला खुलने के बाद विभाग ने संविदाकर्मी को हटा दिया था। इसके बाद चेकिंग अभियान के दौरान बिजली विभाग के ही एक कर्मचारी बृजेश का नाम सामने आया था, जो मीटर बदलने के लिए 45 हजार लिया और 30 हजार रुपए का बिल दिया था। इसी तरह बिलिंग कंपनी के दो कर्मचारी गोलघर एक्सईएन के कंप्यूटर में बिल सही करते हुए पकड़े गए थे।