-28 दिसम्बर को पब्लिश हुई न्यूज के बाद प्रशासन मामले को दबाने में जुटा

- मामले में पुलिस ने दर्ज नहीं की एफआईआर, फॉरेंसिक रिपोर्ट आने का कर दिया बहाना

>BAREILLY :

नकटिया नदी में रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज का बॉयो मेडिकल वेस्ट फेंके जाने के मामले को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संज्ञान में लिया है। बीते 17 जनवरी को सीपीसीबी के एडिशनल डायरेक्टन एमके चौधरी ने उप्र। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को मामले की जांच कर 15 दिन में कार्रवाई का निर्देश दिया है।

27 दिसम्बर को मिली थी मानव खोपड़ी

रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज की पार्किंग के ठीक पीछे नकटिया नदी के किनारे 27 दिसम्बर को मानव खोपड़ी मिली थी। जिसकी न्यूज 28 दिसम्बर को पब्लिश हुई थी। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में न्यूज पब्लिश होने के बाद डिस्ट्रिक्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम, हेल्थ डिपार्टमेंट और पुलिस अफसर मौके पर पहुंचे। अफसरों ने पहुंचकर मौके पर जांच की तो मानव खोपड़ी के पास अन्य मानव अंग भी मिले। पुलिस ने उन्हें सील करने के बाद पोस्टमार्टम कराया तो सभी अंग मानव के निकले। जिसके बाद बारादरी पुलिस ने अंगों को फॉरेंसिक जांच के लिए मानव अंगों को लैब भेज दिया है। मामले को छिपाने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सबूतों पर मिट्टी डलवाने के बाद पानी का छिड़काव कर साक्ष्य मिटाने की भी पूरी काेशिश की।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी भेजा था नोटिस

बायो मेडिकल वेस्ट में मानव अंग मिलने की जानकारी के बाद डिस्ट्रिक्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आफिसर ने सहायक वैज्ञानिक से इसकी जांच कराई। 29 दिसम्बर को जांच आई तो उसमें भी रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज के बायोमेडिकल वेस्ट होने की बात कही गई थी। जिस पर डिस्ट्रिक्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आफिसर ने 30 दिसम्बर को रुहेलखंड के डॉ। केशव कुमार को एक नोटिस भेजा जिसमें 15 दिन में जवाब भी मांगा था। इसके साथ ही ईटीपी बगैर हॉस्पिटल संचालित करने पर आपत्ति जताई थी। डिस्ट्रिक्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों ने रुहलेखंड मेडिकल कॉलेज के खिलाफ नोटिस जारी तो कर दिया लेकिन कार्रवाई के नाम पर कहीं न कहीं बचते रहे।