1 . 1991 से 2012 तक इन्होंने बतौर चेयरमैन टाटा ग्रुप की कमान संभाली और उसकी कामयाबी की ऊंचाई तक ले गए।

2 . इन्होंने ही टाटा मोटर्स में पैसेंजर कार सेगमेंट को प्रवेश दिलाया।

3 . 1981 में, रतन टाटा को इंडस्ट्रीज और समूह की अन्य होल्डिंग कंपनियों का अध्यक्ष बनाया गया। यहां वे समूह के कार्यनीतिक विचार समूह को रूपांतरित करने के लिए उत्तरदायी और उच्च प्रौद्योगिकी व्यापारों में नए उद्यमों के प्रवर्तक थे।

4 . 1991 में उन्होंने जेआरडी से ग्रुप चेयरमैन का कार्यभार संभाल लिया। अब टाटा ने पुराने गार्डों को बहार निकाल दिया और युवा प्रबंधकों को जिम्मेदारियां दी गईं। उस समय से लेकर उन्होंने टाटा ग्रुप के आकार को ही बदल कर रख दिया, जो आज भारतीय शेयर बाजार में किसी भी अन्य व्यापारिक उद्यम से अधिक बाजार पूंजी रखता है।

5 . इनके मार्गदर्शन में ही टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई। 1998 में टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका को बाजार में उतारा।

6 . 2009 में रतन टाटा को फोर्ब्स लिस्ट में दुनिया के सबसे पावरफुल लोगों के क्रम में 59वें स्थान पर तवज्जोह दी गई।

7 . 31 जनवरी 2007 में रतन टाटा की अध्यक्षता में ही टाटा संस ने कोरस समूह को सफलतापूर्वक अधिग्रहित कर लिया। बता दें कि ये एक एंग्लो-डच एल्यूमीनियम और इस्पात निर्माता है। इस अधिग्रहण के साथ रतन टाटा भारतीय व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए।

8 . 26 मार्च 2008 को रतन टाटा के अधीन टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कंपनी से जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया।

9 . रतन टाटा को 26 जनवरी 2000 में तीसरे नागरिक अलंकरण पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

10 . 26 जनवरी 208 में इनको दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया।

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