रात के सूची जारी होने का मिला संगठन को फायदा

दिन में होती सूची घोषित तो हो सकता था हंगामा

आगरा। भाजपा ने पार्षद पद के प्रत्याशियों की सूची यूं ही रात के वक्त जारी नहीं की। इसके पीछे प्रमुख कारण ये था कि टिकट कटने के बाद नाराज होने वाले कार्यकर्ता हंगामा खड़ा न कर दें। इसी डर से महानगर अध्यक्ष निवास, बृज क्षेत्र कार्यालय और माधव भवन पर पुलिस फोर्स तैनात किए जाने की पहल की गई थी।

कहीं खुशी तो कहीं पर गम

नामांकन करने के लिए मात्र दो दिन शेष हैं। अंतिम समय पर प्रत्याशियों की सूची जारी करने के पीछे भाजपाईयों को ये भी डर था कि कहीं नाराज दावेदार बसपा का दामन न थाम लें। एक यही भी कारण था कि पार्षद प्रत्याशियों को लेकर संगठन के अलावा संघ और इससे जुड़े अन्य हिन्दूवादी संगठन पहल करने में जुटे हुए थे। इसके कारण भी सूची जारी करने में देरी हुई है। उम्मीद जताई जा रही थी कि पार्षद और मेयर प्रत्याशियों की सूची एक साथ जारी की जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गुरुवार रात करीब साढे ग्यारह बजे भाजपा ने पार्षद पद के प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। वहीं मेयर के प्रत्याशी पर कोई फैसला नहीं हो सका।

कैसे करें फैसला

भाजपा में मेयर के दावेदारों की अपनी अपनी खूबी है। एक दावेदार का राजनैतिक कैरियर भाजपा से ही शुरू हुआ है। दावेदारों में उनकी पार्टी में जो आयु है, वो किसी की नहीं है। वहीं दूसरा दावेदार पार्टी के लिए दुधारू गाय साबित हो रहा है। बेशक पार्टी में उनका ज्यादा योगदान नहीं है, लेकिन दुधारू गाय होने के कारण वे भी मजबूत दावेदार कर रहे हैं। इन्हीं खासियतों के कारण इन पहलवानों के बीच कमेटी के चयनकर्ता कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। देर शाम तक मेयर पद का उम्मीदवार घोषित नहीं हो सका।

फोन तक बंद करने पडे़

सूची जारी होने की सूचना जैसे ही दावेदारों को हुई, उन्होंने फोन घुमाना शुरू कर दिया। लेकिन बात किसी से नही हो सकी। वो इसलिए कि जिलाध्यक्ष और महामंत्री आदि के मोबाइल बंद आ रहे थे।