कुछ दिन पहले की ही बात है जब टीवी एक्ट्रेस पायल रोहतगी ने फिल्म मेकर दिबाकर बैनर्जी पर आरोप लगाया था कि फिल्म शंघाई में रोल देने के लिए दिबाकर ने उनसे शारीरिक संबंध बनाने की बात कही थी. कुछ ऐसी ही खबरें कुछ दिन पहले फिल्म मेकर मधुर भंडराकर के लिए भी आई थी. एक प्रीती जैन नाम की मॉडल ने मधुर पर फिल्म में काम देने का लालच देकर सेक्स करने और बलात्कार करने की कोशिश की थी.

खैर यह सब बात समय के साथ धुंधलाती चली गईं लेकिन इन सबसे एक बात जो सामने आई वो यह थी की कास्टिंग काउच का रिवाज बॉलीवुड में कहीं न कहीं एग्जिस्ट करता है. जब इस बारे में गहन जांच की गई तो पता चला की यह कलचर आज का नहीं बल्कि बहुत पुराना है.

फ्लैश बैक में जाए तो पता चलता है कि बॉलीवुड में कास्टींग काउच कलचर की एंट्री 1951 में ही हो गई थी. यह बात इंटरनेट पर वाइरल हो रही फेमस फोटोग्राफर जेम्स बर्क की लाइफ मैग्जीन में ली गई तस्वीरों को देख कर साबित हो जाती है.

फोटो में साफ दिख रहा है कि फिल्म डाएरेक्टर ए.आर कादर अपने प्रोडक्शन हाउस में फिल्म के ऑडिशन के लिए बुलाई गई लड़की से एक रोल के लिए क्या क्या कर वा रहे हैं और उस लड़की को भी मजबूरी में यह सब करना पड़ रहा है.

ए.आर कादर उस वक्त के बड़े फिल्म डाएरेक्टर थे और उन्हें हर फिल्म में एक नई अदाकारा को लांच करने के लिए जाना जाता था. कादर ने 1946 में शाहजहां, 1949 में दिललगी1949 में दुलारी, 1966 में दिल दिया दर्द लिया नाम की कई फिल्में बनाई हैं.

 

1951 में भी था casting couch का खतरा

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