जरूरी है अवेयरनेस

29 सितंबर को पूरे विश्व में वल्र्ड हार्ट के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो इसे मनाने का उद्देश्य केवल हार्ट प्रॉब्लम्स से बचाव और लोगों में अवेयरनेस फैलाना है। मगर हर साल वल्र्ड हार्ट डे पर हार्ट पेशेंट्स की तादात पहले से ज्यादा बढ़ जाती है। हाई ब्लड प्रेशर को इसका शुरुआती लक्षण माना जा सकता है। डाक्टर्स भी मानते हैं कि हार्ट प्रॉब्लम से बचाव सिर्फ लाइफ स्टाइल सुधार कर ही किया जा सकता है और हार्ट प्रॉब्लम को कम करने में जहां 50 प्रतिशत रोल दवाएं निभाती  हैं, वही 50 प्रतिशत क्रेडिट आपके हेल्दी लाइफ स्टाइल को भी जाता है।

इन बातों का करे ध्यान

-हाइट के हिसाब से वेट हमेशा कंट्रोल रहना चाहिए।

-40 साल की उम्र पार करते ही चीनी, चिकनाई और नमक कम कर देना चाहिए।

-हर रोज तेज कदमों से आधा घंटे की वॉक जरूर करनी चाहिए।

-अपने लाइफ स्टाइल में एक्सरसाइज या योगा को जरूर जगह देनी चाहिए।

-बहुत ज्यादा जंक फूड नहीं खाना चाहिए।

-स्मोकिंग कम करनी चाहिए।

-शुगर के मरीज को अपनी शुगर कंट्रोल रखनी चाहिए।

- अगर जैनेटिक हार्ट प्रॉब्लम है तो वेट कंट्रोल रहना चाहिए।

- बीपी मॉनिटर करते रहना चाहिए, शुगर लेवल कंट्रोल रहना चाहिए और कॉलेस्ट्रोल भी बैलेंस रहना चाहिए।

 -किसी भी परेशानी से बचने के लिए एल्कोहल, सिगरेट या जंक फूड का सहारा लेने की बजाय फल और सब्जियां खाएं।

-स्ट्रेस को दूर रखने के लिए लाइट म्यूजिक सुनें।

महिलाएं हो रही हैं हार्ट डिसीज का शिकार

अगर आपको ये लगता है कि भारत में ज्यादातर महिलाओं की मौत प्रेग्नेंसी और बे्रस्ट कैंसर से होती है तो आप गलत हैं। मुंबई के आईपीसी हार्ट केयर सेंटर की डॉ। प्रतिक्षा ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट दी है जिसमें साफ कहा गया है कि भारतीय महिलाओं में हार्ट डिसीज एक बड़े किलर के रूप में सामने आ रही हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महिलाएं कैंसर, एड्स और मलेरिया से ज्यादा कार्डियोवास्कुलर डिजीजेस की शिकार हैं। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 30-35 साल उम्र की महिलाओं में हार्ट रिलेटेड प्रॉब्लम्स सबसे तेजी से फैल रही है। यंगस्टर में कार्डियो वास्कुलर डिजीजेस के लिए काम से रिलेटिड स्ट्रेस बड़ा फैक्टर है। जरूरत से ज्यादा तनाव के कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट होने लगता है जिससे कॉरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज हो जाता है और कार्डियो वास्कुलर डिजीजेस होने का खतरा बढ़ जाता है। पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की आर्टरीज छोटी होती हैं इसलिए इनकी जान जाने का खतरा भी ज्यादा होता है। पिछली कुछ समय में भारत में नशा करने वाली महिलाएं दोगुना हो गई हैं, इसका कारण कहीं न कहीं स्ट्रेस है। भारतीय महिलाएं वैसे भी अपनी सेहत से ज्यादा अपने पति, बच्चे, मां-बाप की सेहत का ख्याल रखती हैं और इस सबके बीच वो ये भूल जाती हैं कि उनकी सेहत का ख्याल रखना भी उनके लिए बहुत जरूरी है। न तो वो कोई लाइफ स्टाइल फॉलो करती हैं न ही अपने खाने पीने का ध्यान रखती हैं, जिससे उनका वजन भी बढ़ जाता है।

पूरे दिन में कितनी एनर्जी

ग्रुप-   पर्टिकुलर्स  वेट   नेट एनर्जी

पुरूष -कम वर्कलोड -60- 2425

      मिडियम वर्कलोड- 2875

      हेवी वर्कलोड-     3800

महिला- कम वर्कलोड- 50- 1875

         मिडियम वर्कलोड-  2225

         हेवी वर्कलोड-    2925

प्रगनेंट लेडी          50    +300

 0-6 मंथ                   +400

 6-9 मंथ                  +550

बच्चे  1-3 साल    12.2   1240

       4-6 साल    19.0   1690

       7-9 साल    26.9   1950

ब्वाय- 10-12 साल   35.4   2190

 गर्ल   10-12 साल   31.5   1970

 ब्वाय  13-15 साल   47.8   2450

 गर्ल  13-15 साल   46.7   2060

ब्वाय 16-18 साल   57.1    2640

गर्ल  16-17 साल   49.9    2060

"इस समय हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में तेजी से इजाफा हो रहा है। हार्ट प्रॉब्लम से बचने के लिए अपने लाइफ स्टाइल को एक्टिव बनाना जरूरी है। साथ ही स्ट्रेस लेवल पर भी कंट्रोल करना बहुत जरूरी है."

-डॉ। आरती फौजदार, कार्डियोलॉजिस्ट, जिला अस्पताल