- मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में फिर फर्जी ब्लड यूनिट के साथ पकड़ा गया युवक

- ब्लड बैंक की फर्जी रसीद और ब्लड बैंक का ही स्टिकर लगा ब्लड बैग बरामद हुआ, प्रिंसिपल को दी गई सूचना

- हैलट के एक कर्मचारी के ही मामले में लिप्त होने की आशंका, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नहीं दी पुलिस को सूचना

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KANPUR: मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक में एक बार फिर फर्जी ब्लड यूनिट और ब्लड बैंक की रसीद के साथ एक युवक को पकड़ा गया। यह युवक हैलट में भर्ती एक पेशेंट का तीमारदार था। जिसने ब्000 रुपए में हैलट में ही इरफान नाम के युवक से खून खरीदा था। लेकिन ब्लड बैग में लीकेज की वजह से जब डॉक्टर ने उसे बदल कर लाने के लिए ब्लड बैंक भेजा तो वहां के कर्मचारियों ने उसे पकड़ लिया। इस दौरान उसके ब्लड बैग व रसीद की जांच की तो पता चला कि उस सीरियल नंबर की रसीद अभी तक यूज ही नहीं हुई है। वहीं सूत्रों की माने तो हैलट के ही एक कर्मचारी के द्वारा चलाए जा रहे समानात्तर ब्लड बैंक की वजह से यह दिक्कत आ रही है जिसकी जानकारी दिए जाने के बाद भी मेडिकल कॉलेज प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

कैसे हुई फर्जी ब्लड बैग की पहचान

हैलट के वार्ड-8 के ख्0 नंबर बेड पर भर्ती रामादेवी के अटेंडेट सजेती के बृजेश को डॉ। राघवेंद्र सिंह की यूनिट के डॉक्टर ने ए पॉजिटिव ब्लड यूनिट लाने के लिए भेजा। लेकिन हैलट में ही मिले इरफान नाम के शख्स ने उससे ब्000 रुपए लेकर घंटे भर के अंदर एक युनिट ब्लड उसे उपलब्ध करा लिया। बृजेश के मुताबिक इरफान ने उसे ब्लड यूनिट के साथ मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक की रसीद भी दी। लेकिन ब्लड चढ़ाते समय बैग में लीकेज की शिकायत होने पर डॉक्टर ने उसे ब्लड बैंक से बदल कर लाने के लिए कहा। वही ब्लड यूनिट लेकर बृजेश ब्लड बैंक पहुंचा और रसीद दी। ब्लड बैंक के कर्मचारी ने रसीद का मिलान किया तो उसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं था। साथ ही उस ब्लड यूनिट पर भी जो नंबर पड़े थे वह भी कभी ब्लड बैंक से इश्यू नहीं किए गए। इसके बाद कर्मचारियों ने उसे पकड़ कर प्रभारी को सूचना दी। इस दौरान उससे पूछताछ की रिकॉर्डिग की गई और लिखित में बृजेश ने सारी बात बताई। जिसके बाद उसे छोड़ ि1दया गया।

हैलट के कर्मचारी पर शक क्यों

दरअसल बीते एक महीने में तीन बार ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने फर्जी ब्लड बैग व ब्लड बैंक की रसीद के साथ तीन लोगों को पकड़ा। इनके पास से जो रसीदें मिलीं उसके सीरियल नंबर उस दिन चल रहे रसीद के नंबर के आस पास ही थे। इसके अलावा बरामद तीनों ब्लड बैग नाको के सप्लाई किए हुए थे। जिन्हें सिर्फ ब्लड बैंकों में ही दिया जाता है। ऐसे में शक हैलट के उसी कर्मचारी पर जा रहा है जिस पर पहले से ही समानांतर ब्लड बैंक चलाने के आरोप चुके हैं लेकिन साठगांठ की बदौलत उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। तीनों ही मामलों में जो ब्लड मिला वह अगर पेशेंट को चढ़ा दिया जाता तो पेशेंट की जान भी चली जाती, जैसा की हैलट में भर्ती एक पेशेंट के साथ हुआ भी। लेकिन उसकी जान बचा ली गई। वहीं मामले की जांच और कार्रवाई के बजाय उसे दबा दिया गया। प्रिंसिपल तक को इसकी सूचना दी गई लेकिन पुलिस तक बात नहीं पहुंची।