- मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं ब्लू व्हेल गेम से भयभीत पैरेंट्स

- ब्लू व्हेल गेम सर्चिग में यूपी में तीसरे नंबर पर है इलाहाबाद

ALLAHABAD: दुनियाभर में ब्लू व्हेल गेम से होने वाली मौतों की दहशत शहर में भी दस्तक दे चुकी है। आलम यह है कि अगर बच्चा कंप्यूटर या मोबाइल में ज्यादा समय दे रहा है तो भी पैरेंट्स परेशान हो जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में शहर में मनोचिकित्सकों के पास पहुंचने वाली पैरेंट्स की तादाद इसकी तस्दीक कर रही है। डॉक्टरों का भी कहना है कि बच्चों पर नजर रखना जरूरी है।

केस-1

अशोक नगर के रहने वाले सिविल इंजीनियर सत्यवान (परिवर्तित नाम) का 14 साल के बेटे को ऑनलाइन वीडियो गेम्स का एडिक्शन है। पैरेंट्स को शक था उनका बेटा कहीं ब्लू व्हेल गेम की चपेट में न आ जाए। इस डर से उन्होंने मनोचिकित्सक से संपर्क किया। डॉक्टर ने पैरेंट्स को बेटे के साथ अधिक से अधिक समय बिताने की सलाह दी है।

केस-2

दसवीं में पढ़ने वाला बृजेश (परिवर्तित नाम) पिछले कुछ दिनों से इंटरनेट वीडियो गेम में अधिक इंगेज हो चला था। यह देखकर माता-पिता को उसकी गतिविधियों पर शक हुआ। उन्होंने नजर रखनी शुरू कर दी। आदत नहीं छूटने पर पैरेंट्स ने तत्काल मनोचिकित्सक से संपर्क किया। डॉक्टर ने छात्र की काउंसिलिंग कर उसका इलाज शुरू कर दिया है।

इन हरकतो को समझें रेड सिग्नल

- बच्चे का हर समय गुमसुम रहना।

- हर समय इंटरनेट में बिजी रहना।

- मोबाइल को एक पल के लिए खुद से अलग नहीं करना।

- घर से बाहर निकलकर खेलने में रुचि नहीं लेना।

ऐसे रखिए बच्चे पर नजर

- फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सएप अकाउंट चेक करते रहें।

- फ्रेंड सर्किल पर जरूर नजर दौड़ाएं।

- देर रात इंटरनेट यूज करने पर रोक लगाएं।

- कम्प्यूटर या मोबाइल के बजाय आउटडोर गेम्स खेलने को प्रेरित करें।

बॉक्स

यूपी में तीसरे नंबर पर इलाहाबाद

पैरेंट्स की चिंता यूं ही नही है। दरअसल ब्लू व्हेल गेम की सर्चिग में यूपी में इलाहाबाद तीसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर कानपुर तो दूसरे पर गाजियाबाद है। जबकि लखनऊ छठे पायदान पर है। इस गेम को दुनियाभर में भारत में सर्वाधिक ऑनलाइन सर्च किया जा रहा है। गूगल ट्रेंड्स के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। इसके मुताबिक ब्लू व्हेल गेम सर्च करने में यूपी भारत में 27वें नंबर पर है।

पोजीशन शहर कितनी बार सर्च

पहला कानपुर 100

दूसरी गाजियाबाद 87

तीसरी इलाहाबाद 81

चौथा नोएडा 64

पांचवां वाराणसी 63

छठवां मेरठ 54

(रविवार शाम 8 बजे तक)

ब्लू व्हेल गेम जैसे टास्क पैरेंट्स की टेंशन बढ़ा रहे हैं। पैरेंट्स की शिकायत होती है कि उनका बच्चा ऑनलाइन गेम्स पर अधिक समय व्यतीत करता है। परिवार से उसका इंटरैक्शन खत्म होता जा रहा है। ऐसे केसेज में माता-पिता और बच्चों की काउंसिलिंग की जा रही है।

-डॉ। अभिनव टंडन, मनोचिकित्सक

जो बच्चे इंटरनेट पर अधिक समय बिताते हैं, उनके पैरेंट्स को होशियार रहना चाहिए। आजकल इंटरनेट पर ऐसे कई गेम और टास्क मौजूद हैं जो उनको भ्रमित कर सकते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करना चाहिए।

-डॉ। अजय मिश्र, मनोचिकित्सक

बच्चे को मोबाइल देने के बाद उसे वाच भी करना चाहिए। अगर वह देर रात तक मोबाइल या कम्प्यूटर पर बिजी है तो यह अच्छा साइन नहीं है। बच्चे जिज्ञासु होते हैं और वह जानकर भी ऐसे गेम्स की ओर भागते हैं। अगर कुछ गलत दिखे तो गुस्साने के बजाय बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए।

-डॉ। कमलेश तिवारी, मनोवैज्ञानिक

पुलिस ने (खासकर 12 से 19 साल के किशोरों)के लिए जारी की एडवाइजरी

- क्या आपका बच्चा सुरक्षित ऑनलाइन साइट का उपयोग करता है।

- बच्चे से अधिक बात करें और उन्हें नैतिक और सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार प्रदर्शन के लिए प्रेरित करें।

- मनोदशा, कम या ज्यादा बातचीत, पढ़ाई में कम रुचि या ग्रेड कम आना जैसे लक्षणों पर गौर करें।

- बच्चे द्वारा ब्लू व्हेल गेम खेलने का पता चलने पर इंटरनेट उपयोग बैन करते हुए स्थानीय पुलिस को सूचित करें।

- शिक्षक यह सुनिश्चित करें कि बच्चे स्कूल में किसी प्रकार के इलेक्ट्रानिक गैजेट का उपयोग नही करते।

- अधिक सहायता हेतु 100 नंबर पर पुलिस से संपर्क करें।