- बिहार विरासत समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तक का हुआ विमोचन

PATNA : 'बोधगया देश के उन विरले स्थानों में से एक है, जहां धार्मिक समरसता और सामाजिक विन्यास में आपसी सहयोग का प्रमाण मिलता है। ऐसे स्थल कम हैं जहां हिंदु, बौध और मुस्लिम लोग एक साथ रहते थे। इसके बाद भी ऐतिहासिक काल में कभी संघर्ष की स्थिति नहीं थी। इसलिए यह आज भी अनुकरणीय एवं संरक्षण योग्य है। उक्त बातें चर्चित इतिहासकार प्रो.ओपी जायसवाल ने कहा। रविवार को यह मौका था- बिहार विरासत विकास समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'बोधगया: इम्प्रेशंन विदइन एंड बियोंड' के विमोचन का। पटना संग्रहालय के आडिटोरियम में इसका विमोचन कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री शिव चंद्र राम ने किया। मुख्य अतिथि के तौर पर विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद एवं पद्मश्री उषा किरण खां उपस्थित थे।

प्रयोगशाला और लाइब्रेरी बनेगा

इस पुस्तक का विमोचन करते हुए कला संस्कृति मंत्री शिव चंद्र राम ने बिहार विरासत समिति को धन्यवाद किया। उन्होंने घोषणा की कि बिहार विरासत समिति को इतिहास के संरक्षण के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रयोगशाला और लाइब्रेरी का निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने उपस्थित इतिहास के शोधार्थियों को इतिहास के संरक्षण में महत्वपूर्ण पहल करने की अपील की।

धार्मिक सद्भाव की बात बतायाी

प्रो। ओपी जायसवाल ने इस पुस्तक में बोधगया में धार्मिक सह-अस्तित्व विषय पर अपना योगदान किया है। उन्होंने इसकी चर्चा करते हुए कहा कि आज जहां धर्म के नाम पर समाज को तोड़ने का काम किया जा रहा है, तो वहीं इस स्थान के इतिहास में इसके बिलकुल विपरीत परिस्थिति थी। एक ही स्थान पर धार्मिक मान्यताओं के सहज रूप से सम्मान की बात चीनी यात्री फाहियान ने भी किया है। गया शेष, जटिल कश्यप और निरंजन कश्यप तीनों शैल संप्रदाय को मानने वाले लोग थे। जटिल कश्यप ने ही बुद्ध को उस गर्भगृह में लेकर गए जहां उन्होंने तपस्या की। बुद्ध को उन्होंने सदैव भरपूर सहयोग किया.बोधगया के मंदिर को भी शैल संप्रदाय के लोगों ने ही संरक्षित किया।