न्यू सेशन आने को, स्कूल और प्रकाशक मिलकर पैरेंट्स की जेब पर डाल रहे डाका

सीबीएसई और आईसीएसई की किताबों में चार गुना अधिक रेट
सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें चलती हैं। ऐसे में किताबों की कीमतों में तीन से चार गुना तक का अंतर होता है। एनसीईआरटी की जो किताब 100 रुपए में मिलती है, उतने ही पेज वाली निजी प्रकाशकों की किताबें 250 से 300 रुपए तक बाजार में उपलब्ध है। राजधानी के एक बुक स्टोर संचालक का कहना है कि एनसीईआरटी की पुस्तकों की कीमत की तुलना में प्राइवेट प्रकाशकों की पुस्तकों के दाम दोगुना से तीन गुना ज्यादा है। सरकार ने अब सभी प्रकाशकों के लिए ओपेन मार्केट कर दिया। ऐसे में कई प्रकाशक अपने अनुसार किताबें छाप रहे हैं। इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। उसी पाठ्यक्रम को कोई 400 पेज में छाप रहा है तो कोई 700 पेज में। ऐसे में किताबों के दाम भी अलग हैं।

सस्ते प्रकाशक की किताबें मार्केट से गायब
जिस प्रकाशक की किताबों के दाम कम हैं, वे बाजार से गायब हैं। इसकी वजह है कि उस पर थोक विक्रेता से लेकर फुटकर दुकानदार को कमीशन कम मिलता है। इतना ही नहीं ज्यादा दाम रखकर स्कूलों को भी कमीशन देते हैं। ऐसे में शिक्षक भी उनकी ही किताब खरीदने को कहते हैं। इस बारे में दुकानदारों का कहना है कि हमें जो किताबें मिलती हैं, वही बेचते हैं। अमीनाबाद में थोक पुस्तक विक्रेता विशाल बुक के डिस्ट्रीब्यूटर मिर्जा मोहम्मद लईक बताते हैं कि जिन प्रकाशकों की किताबें सस्ती हैं, उन्हें स्टूडेंट्स मांगते हैं। वे कई चक्कर लगाते हैं, लेकिन जब हमें ही वे किताबें नहीं मिल रहीं तो क्या करें। आखिर कितना लंबा इंतजार करें जो मिल जाती हैं वही बेचते हैं। इंडियन बुक सेंटर के अम्मार आब्दी कहते है कि हमारे यहां हरदोई, सीतापुर सहित आसपास के जिलों से भी लोग किताबें खरीदने आते हैं लेकिन वे भटक रहे हैं।

क्लास नौ की किताबों की रेट
सामाजिक विज्ञान।
प्रकाशक एक-150 रुपए, प्रकाशक दो- 232.80 रुपए, प्रकाशक तीन- 338.99

हिंदी
प्रकाशक एक-88.19 रुपए, प्रकाशक दो-125 रुपए, प्रकाशक तीन-175 रुपए

इंग्लिश
प्रकाशक एक- 67.55 रुपए, प्रकाशक दो-170 रुपए, प्रकाशक तीन- 265.80 रुपए

मैथ्स
प्रकाशक एक-130.19 रुपए, प्रकाशक दो-190 रुपए, प्रकाशक तीन-232 रुपए

क्लास12 की किताबों के दाम
जंतु विज्ञान

प्रकाशक एक-555 रुपए, प्रकाशक दो-700 रुपए, प्रकाशक तीन-886 रुपए

फिजिक्स
प्रकाशक एक-700 रुपए, प्रकाशक दो-750 रुपए, प्रकाशक तीन- 900 रुपए

मैथ्स
प्रकाशक एक-300 रुपए, प्रकाशक दो-670 रुपए, प्रकाशक तीन-635 रुपए

एनसीईआरटी की किताबों के रेट में सबसे ज्यादा फर्क
इसके अलावा सीबीएसई बोर्ड में नौवीं क्लास की मैथ्स की किताब की बात करें तो, एनसीईआरटी की किताब 130 रुपए की है। वहीं आरडी शर्मा (धनपत राय पब्लिकेशंसस) की किताब 345 रुपए की है, आरएस अग्रवाल, वी अग्रवाल की किताब 392 रुपए की है। एमएल अग्रवाल (अविचल पब्लिकेशंसस) की किताब 340 रुपए की है, यानी एनसीईआरटी की जगह दूसरी किताब लेने पर स्टूडेंट्स को 215 से 262 रुपए अधिक की कीमत की किताब खरीदनी पड़ती है। वहीं आठवीं क्लास मैथ्स की एनसीईआरटी 50 रुपए में आती है। आरडी शर्मा (धनपत राय पब्लिकेशंस) 385 रुपए, आरएस अग्रवाल 250 रुपए, ऑल इन वन मैथमेटिक्स (अरिहंत पब्लिकेशंस) 295 रुपए, सिस्टमैटिक मैथमेटिक्स (सुल्तान चंद पब्लिकेशंस)285 रुपए यानी एनसीईआरटी की किताब न हो तो स्टूडेंट्स को दूसरी किताब के लिए 200 से 335 रुपये अधिक देने पड़ेंगे। छठी क्लास इंग्लिश एनसीईआरटी की हनीकॉम 50 रुपए तो फूल मा‌र्क्स इंग्लिश 260 रुपए व ऑल इन वन इंग्लिश 225 रुपए की है। ज्यादातर सीबीएसई स्कूल कॉमन सिलेबस की आड़ में एनसीआईआरटी की किताबों को न पढ़ाकर इन प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों को ही अपने यहां पर पढ़ा रहे है।

10 से 30 फीसदी प्रकाशक दे रहे कमीशन
निजी प्रकाशकों की किताब में कमीशन का जमकर खेल चलता है। वहीं पुस्तक विक्रेता अभिभावकों से ज्यादा पैसे वसूलते हैं और कमीशन स्कूलों को देते हैं। कमीशन देने के बाद भी किताब विक्रेताओं के साथ ही प्रकाशकों की अच्छी कमाई होती है। स्कूलों को 10 से 30 फीसदी कमीशन देने के बाद भी इन्हें काफी फायदा होता है। एनसीईआरटी की किताबों की कीमत काफी कम होती है। ऐसे में कमीशनखोरी इसमें नहीं हो पाती। यही वजह है कि पुस्तक विक्रेता भी इन पुस्तकों को नहीं रखते क्योंकि इसमें कमाई का मार्जिन कम होता है। कई प्रकाशक और पुस्तक विक्रेता तो स्टिकर लगाकर ज्यादा दाम वसूलते हैं।

क्लासवाइस बुक्स के रेट
क्लास स्कूल में कीमत बाजार से कीमत फर्क

सातवीं 3800 1200 से 1800

पांचवीं 3400 2000 से 2800

चार 2300 1200 से 1800

तीन 2200 400 से 600

दूसरी 2000 200 से 600

पहली 1500 500 से 800

तीन गुना अधिक रेट पर कॉपी और स्टेशनरी
स्कूल मनमाने तरीके से कॉपियां और स्टेशनरी की सामग्री बेच रहे हैं। स्कूलों ने अभिभावकों को साफ हिदायत दी है कि बाहर से खरीदी गईं कॉपियां और स्टेशनरी स्कूल में मान्य नहीं करेंगे। ऐसे में अभिभावक इन्हें स्कूल से तीन गुना ज्यादा दामों पर खरीदने को मजबूर हैं। नया सेशन शुरू होने से पहले ही स्कूलों में कमाई का धंधा शुरू हो गया है। स्कूल प्रबंधक कॉपियों पर स्कूल का नाम लिखवाकर उन्हें बेच रहे हैं। स्कूलों ने अभिभावकों को साफ तौर पर कहा है कि स्टूडेंट्स स्कूल से खरीदी कॉपी और पाठ्य सामग्री ही स्कूल लाएंगे। वहीं स्कूलों में बेची जा रहीं कॉपियां और स्टेशनरी तीन गुना तक ज्यादा दामों पर दी जा रही हैं। क्लास सातवीं की 180 पेज की कॉपी की कीमत 180 रुपए है। जबकि बाजार में इसी गुणवत्ता वाली 180 पेज की कॉपी की कीमत 80 से 100 रुपए है। वहीं ड्राइंग की कॉपी 56 रुपये की है, जबकि इस गुणवत्ता की ड्राइंग की कॉपी बाजार में 20 से 40 रुपये उपलब्ध है। रफ काम करने के लिए 180 रुपए का रजिस्टर दिया जा रहा है। इसकी बाजार में कीमत 60 से 80 रुपए है। वहीं कॉपी पर नाम लिखने के लिए लगने वाली नाम चिट भी बाजार से ज्यादा दामों पर बेची जा रही है। स्कूल 12 चिट की कीमत 40 रुपए ले रहे हैं, जबकि बाजार में इनकी कीमत 15 से 20 रुपये है।