- फाइनांस मिनिस्टर विजेन्द्र प्रसाद यादव ने जुगनू शारदेय की किताब के विमोचन के मौके पर कहा कि सीएम को अलग रखना ठीक नहीं

- आलोक धन्वा, रजी अहमद, रामवचन राय, डीएन गौतम समेत कई थे मौजूद

PATNA : पीएम ने चीफ सेक्रेटरी से सीधे बात की, जबकि यहां संघात्मक व्यवस्था है। सीम को अलग रखते हुए ऐसा किया गया। फेडरर स्ट्रक्चर का क्या मतलब होता है? ये सवाल उठाया सूबे के फाइनांस मिनिस्टर विजेन्द्र प्रसाद यादव ने। उन्होंने नरेन्द्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि व्यक्ति महत्वपूर्ण होता जा रहा है। गांधी संग्रहालय में आयोजित प्रभात प्रकाशन से आयी जुगनू शारदेय की राशनकार्ड का दुख पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने ये कहा।

हंसकर तो मिलते हैं, लेकिन।

इस दौरान गांधीवादी विचारक रजी अहमद ने कहा कि जुगनू शारदेय का व्यक्तित्व तीखा है और शुद्ध है। समाज की तो हालत ये हो गई है कि लोग हंसकर तो मिलते हैं पर बगल में खंजर रखते हैं। आज के समय में वंचितों के लिए रास्ते बंद हो रहे हैं इसलिए ऐसी किताब का महत्व ज्यादा है। पुस्तक में सिर्फ राशन कार्ड की नहीं बल्कि आम आदमी की व्यथा है। वहीं वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा ने कहा कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा संकट पूंजीवाद है। जुगनू शारदेय ऐसे लेखक-पत्रकार हैं जो किसी की पकड़ में नहीं आते। ऐसे वक्त में जब राजनीति के बगैर समाज में कुछ सोचा नहीं जा सकता, सुबह की चाय में पड़ने वाली एक चम्मच चीनी को भी राजनीति प्रभावित करती है इस पुस्तक का बड़ा महत्व है। दूसरी ओर वरिष्ठ पत्रकार-लेखक श्रीकांत ने कहा कि जुगनू अपने आप में अनूठे हैं इसलिए उनकी ये दूसरी किताब भी अनूठी है। एक्स डीजीपी और लेखक डीएन गौतम ने कहा कि रागदरबारी से बड़ी चीज दे सकते हैं जुगनू शारदेय। उन्हें ये काम करना चाहिए। वहीं लेखक व एमएलसी रामवचन राय ने कहा कि जुगनू की खासियत है कि ये यायावर हैं। इंद्रकुमार जी नहीं रहे लेकिन उनकी कुर्सी पर जा कर इन्होंने इस आयोजन का कार्ड रख दिया।