- बेसिक विद्यालयों को शासन से किताबों की दरकार

- किताबें नहीं मिलने से पढ़ाई नहीं कर पा रहे स्टूडेंट्स

आगरा। मुख्यमंत्री अखलेश यादव की प्राथमिकता में शुमार शिक्षा किताबों के आभाव में बदहाल स्थिति में है। शासन ने सेशन शुरू होने के बाद भी बच्चों को किताब वितरण की सुध तक नहीं ली है। इससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। निजी स्कूल के स्टूडेंट्स की अपेक्षा में विद्यार्थी पिछड़ रहे हैं।

दो किताबों से सभी को पढ़ा रहे

बेसिक स्कूल में अध्यापन कार्य के लिए स्कूल के शिक्षकों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। क्लास में मात्र एक दो किताबों से ही सभी विद्यार्थियों के कोर्स को पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों को प्रॉपर वे में शिक्षा नहीं मिल रही है।

शासन ने नहीं भेजीं किताब

शासन ने अभी तक बेसिक स्कूलों में वितरण किए जाने वाली किताबें नहीं भेजी हैं। इससे विद्यार्थियों के सामने समस्या खड़ी हो रही है। अप्रैल में सेशन शुरू होने के बाद बच्चों को किताबें मिलने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक जनपद में किसी भी स्कूल में किताबें नहीं भेजी गई हैं।

शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़

बेसिक स्कूलों में शासन और प्रशासन की इस अनदेखी से शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ किया जा रहा है। बच्चों के लिए कोर्स की किताबें मात्र एक कल्पना की तरह हैं। वे कोर्स से रिलेटेड महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री से महरूम हैं। शासन और प्रशासन को इसकी कोई फि क्र नहीं है।

अक्टूबर में मिलेंगी पुस्तकें

बेसिक स्कूलों में किताबों की समस्या को ध्यान में रखते हुए शासन से सितम्बर में पहली किस्त जनपदों को आवंटन की जाएगी। जबकि दूसरी किस्त अक्टूबर महीने में भेजी जाएगी। सेशन शुरू होने के छह महीने बाद ही विद्यार्थियों को किताबें मिलने की उम्मीद है। लेकिन तब तक शायद निजी स्कूल के विद्यार्थी अपना अधिकतक कोर्स पूरा कर चुके होंगे।