(ब्रेकिंग न्यूज)

-शहर के सभी प्राइवेट स्कूल्स पर है सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट की नजर

-शिक्षा के नाम पर दुकान चलाने और कमीशन खाने वालों पर भी होगी कार्रवाई

-एक-एक एडमिशन फॉर्म की बिक्री भी लिया जाएगा हिसाब-किताब

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शिक्षा के मंदिर को दुकान और कमीशनखोरी का अड्डा बनाने वाले स्कूल्स पर सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट की इस बार खास नजर है। स्कूल कैम्पस या किसी सेंटिंग के दुकान से यूनीफार्म, बुक्स, स्टेशनरी व अन्य सामानों की बिक्री कर कमीशन लेने वाले स्कूलों को अब खास तौर से हिसाब देना होगा। सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट शहर के उन स्कूल्स की लिस्ट बना रहा है जहां से चोरी-छिपे यूनीफार्म-बुक्स की बिक्री हो रही है। साथ ही स्कूलों से एडमिशन फार्म के नाम पर की जाने वाली कमाई का भी हिसाब लिया जाएगा। डिपार्टमेंट के दायरे में वो सभी स्कूल्स आएंगे जो एजुकेशन के अलावा किसी भी अन्य तरीके से कमाई कर रहे हैं।

फर्म पंजीकरण भी जांचेंगे

सेल्स टैक्स अधिकारियों का कहना है कि स्कूल कैम्पस या सेंटिंग की दुकान से चीजों की बिक्री कराना या उनमें कमीशन लेना, दोनों ही टैक्स का इश्यू है। अब चाहे बिक्री स्कूल खुद कर रहा हो किया किसी दुकान के जरिये करा रहा हो। दोनों जगह फर्म पंजीकरण की जांच होगी। साथ ही किस सामान में कितना रुपया लिया गया, ये भी जांच के दायरे में होगा। ठीक इसी प्रकार एडिशन फार्म से होने वाली आय का भी स्कूलों को हिसाब-किताब देना होगा।

सब कमीशन का है खेल

एक अप्रैल से स्कूलों में नया सेशन शुरू हो रहा है। बच्चों के लिए उनके पेरेंट्स को कॉपी-किताब से लेकर यूनिफार्म आदि सबका इंतजाम करना होगा। इस मौके का फायदा उठाकर मोटा मुनाफा कमाने के लिए स्कूल प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी किताबें सेलेबस में लाते हैं। यही नहीं हर साल कोर्स में थोड़ा-बहुत बदलाव कर देते हैं ताकि सीनियर बच्चों की किताबें या नोटबुक जूनियर्स के काम न आ सके। पब्लिशर्स और दुकानदारों से स्कूलों का हर बच्चे के यूनिफार्म, बुक्स, स्टेशनरी आदि के लिए कमीशन फिक्स हो जाता है और संबंधित चीजें कुछ खास दुकानों पर ही मिलती हैं। ये खेल काफी सालों से चला आ रहा है।

ऐसे लगाएंगे लगाम

- सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट स्कूल मैनेजमेंट से कोर्स, सेलेबस और पे्रस्क्राइब्ड पब्लिशर्स की लिस्ट लेगा।

- दुकानों पर खास तौर से जांच होगी कि हर कॉपी, किताब, स्टेशनरी के सामान की पक्की बिलिंग है या नहीं।

- ये भी देखा जाएगा कि रसीद में सरकार के खाते में जाने वाला टैक्स शामिल होता है कि नहीं?

-जो भी फर्म है, वह टैक्स अधिनियम के तहत पंजीकृत है कि नहीं? इसकी भी जांच होगी।

- न्यू सेशन को लेकर वाणिज्यकर मुख्यालय ने मंडल और जोनल स्तर पर डिप्टी कमिश्नर को अलर्ट किया है।

- विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा (एसआईबी) स्कूलों की हर गतिविधि पर नजर रखेगी।

- उन स्कूलों पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा, जहां बच्चों की संख्या ज्यादा होगी।

स्कूल से बेचा तो

5 परसेंट

टैक्स देना होगा स्कूल से बिकने वाली किताबों पर।

5 परसेंट

टैक्स देय होगा स्टेशनरी जैसे कॉपी, बैग आदि पर।

4 परसेंट

टैक्स देय होगा यूनिफार्म जैसे ड्रेस, शूज, टाई-बेल्ट आदि पर।

(नोट: सरकारी किताबों पर स्कूलों को कोई टैक्स नहीं देना होगा.)

नये एकेडमिक सेशन से स्टेशनरी, ड्रेस, बुक्स व स्कूल बैग आदि पर टैक्स के लिए नजर रखी जाएगी। फर्म सहित स्कूलों पर हमारी खास नजर है। सभी को हिसाब के दायरे में लाया जाएगा।

एक गोयल

एडिशनल कमिश्नर, ग्रेड वन

वाणिज्यकर विभाग

चरम पर पहुंच चुकी महंगाई में बच्चों को पढ़ा पाना आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। जिन घरों में दो बच्चे पढ़ रहे हैं, उनका तो बजट ही गड़बड़ा गया है।

तनु शुक्ला, पेरेंट, सामनेघाट

सूबे की यह सरकार भी इंग्लिश मीडियम स्कूल्स की मनमानी पर बिल्कुल भी रोक नहीं लगा पा रही है। स्कूल्स में स्टेशनरी, यूनीफार्म के नाम पर पेरेंट्स को लूटा जा रहा है।

सुधीर सिंह, अध्यक्ष,

अभिभावक जागृति मंच