इडियट लड़कियां लगती हैं लड़कों को सुटेबुल

लंदन की वारविक यूनिवर्सिटी की साइकॉलजी डिपार्टमेंट की डॉक्टर मारिया डो मार पेरीरिया की रिसर्च में यह बात सामने आई है. उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया कि जब लड़के 14 साल के होते हैं तब उनकी यह सोच होती है कि उनके बराबर की लड़की उनकी अपेक्षा इंटेलीजेंस और अन्य मामलों में कम प्रवीण होती हैं.

समाज तय करता है कौन कैसा हो

डॉक्टर पेरीरिया ने अपनी रिसर्च में पाया कि हमारी सोसाइटी इस बात को तय करती है कि पुरुष और स्त्री में क्या क्वालिटीज होनी चाहिए. इन सामाजिक दबावों के कारण यंगस्टर्स अपने आपको तय मान्यताओं में ढाल लेते हैं. एक दबाव यह भी है कि सेम एज के लड़के और लड़की में लड़का बुद्धि, लंबाई, ह्यूमर और अन्य चीजों में लड़की से बेहतर होना चाहिए.

बच्चों के साथ बिताया समय

इस रिसर्च के लिए डॉक्टर पेरीरिया ने एक स्कूल के आठवीं क्लास के बच्चों के साथ समय बिताया. उन्होंने बच्चों के साथ क्लासेज लीं, फिजिकल सेशंस में भाग लिया, बच्चों के साथ खाना खाया और घुलमिल कर काफी वक्त तक रहीं. इस दौरान उन्होने पाया कि यंगस्टर्स की काफी बातों को उनके टीचर्स और माता-पिता भी नही समझ पाते हैं. गौरतलब है कि इस रिसर्च और बच्चों के साथ समय बिताने के लिए डॉक्टर पेरीरिया को स्कूल प्रशासन और संबद्ध अथॉरिटी से परमिशन लेनी पड़ी.

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