- मंडी समिति को सीएम रावत ने दिखाया आइना

- तीन दिवसीय कृषक मेले में पहुंचे थे सीएम रावत

- प्रदेश के खाद्यान की पहचान बढ़ाने की दी नसीहत

- परंपरागत के बजाए मॉडल किसानों के लाए जाएं प्रोजेक्ट

DEHRADUN : 'कृषक मेले में पुराने परंपरागत चीजों के स्टॉल के बजाय प्रदेश के मॉडल किसानों को लाया जाना चाहिए। वह उपस्थित रहेंगे तो सीएम के आने की भी जरूरत नहीं है। नए बीज और नई सुविधाएं ढूंढकर हमें किसानों को देनी होगी.' इन शब्दों के साथ सीएम हरीश रावत ने मंडी समिति अधिकारियों को कृषि विकास पर आइना दिखया। इतना ही नहीं उन्होंने पहाड़ी उत्पादों की देशभर में पहचान बनाने के लिए इसे नए मॉडल के रूप में लेने को कहा।

मेले से माइलेज का स्टंट

निरंजनपुर स्थित मंडी समिति के नए परिसर में सैटरडे को तीन दिवसीय कृषक मेला शुरुआत हुई। शुरुआत से ही कृषक मेला किसानों के विकास से जुड़ा होने के बजाए राजनीतिक माइलेज वाला रहा। मंडी अध्यक्ष रविंद्र आनंद ने कृषक मेले से पहले जो दावे किए थे, मेले में लगे स्टॉल में वह हवाई नजर आए। इतना ही नहीं जिले के साथ ही गढ़वाल मंडल के किसानों के पहुंचने के दावे की हवा भी मेले में निकल गई। सबसे बड़ी बात तो यह रही कि जो किसान मेले में पहुंचे भी, उन्हें खेती से जुड़ा कोई नया अनुभव नहीं मिल सका। मेले में सीएम हरीश रावत, कृषि मंत्री हरक सिंह रावत, पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, कैबिनेट दर्जाधारी राजेंद्र चौधरी, जसवीर रावत, राजीव जैन, अनील गुप्ता आदि पहुंचे थे।

न एक्सपर्ट पहुंचे, न वैज्ञानिक

मंडी अध्यक्ष रविंद्र आनंद ने मेले से पहले दावा किया था कि मेले में किसानों को लोन और ऐसी अन्य स्कीमों की जानकारी देने के लिए नॉबार्ड और पंजाब नेशनल बैंक के एक्सपर्ट मौजूद रहेंगे। मौसम की जानकारी के लिए पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय के कृषि एक्सपर्ट भी उन्होंने कृषक मेले में बुलाने की बात कही थी, लेकिन सैटरडे को जब यह मेला शुरू हुआ तो उसमें इस तरह का कोई एक्सपर्ट नजर नहीं आया। केवल पुराने प्रदर्शनी वाले उत्पादों के ही गिने चुने स्टॉल लगे थे। किसानों को कोई नई जानकारी या तकनीकि मेले में आकर नहीं मिली।

खाली रह गया स्टॉल एरिया

कृषक मेले से पहले मंडी अध्यक्ष ने जिस तरह दावा किया था, तैयारी तो कुछ उसी के अनुरूप की गई थी। कृषक मेले में स्टॉल लगाने के लिए बड़ा टैंट लगाया गया था, लेकिन इनमें काफी हिस्सा खाली रहा। इतना ही नहीं स्टॉल ज्यादा दिखाने के लिए एक विभाग के अलग-अलग उत्पाद के स्टॉल भी अलग-अलग लगाने पड़े।

लोकल उत्पादों के लगेंगे स्टॉल

सीएम ने प्रदेश के किसानों को मजबूती देने के लिए शहर के प्रमुख प्वॉइंट्स पर प्रदेश के मुख्य कृषि उत्पादों के स्टॉल लगाने को कहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में क्8वें नेशनल गेम्स के लिए बन रहे स्टेडियम, प्रमुख बस स्टैंड, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्री-केदार धाम में भी अगले वर्ष से लोकल उड़द व मंडुए की रोटी और झंगोरा के खीर के स्टॉल लग होने चाहिए। इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग को जिम्मेदारी दी। इतना ही नहीं सीएम ने मंडी समिति में जल्द ही मॉडल किसानों के उत्पाद बेचने के लिए स्टॉल लगाने को भी कहा।

'मेरी भी सुन लो अध्यक्ष जी'

सीएम जब किसानों के विकास की बात मंच पर बोल रहे थे, तब कार्यक्रम का आयोजन करने वाले मंडी समिति के अध्यक्ष किसी से अपनी गुफ्तगु में लगे थे। ऐसे में उन्होंने बीच में मंडी अध्यक्ष से एक सवाल पूछा तो उन्हें यही नहीं पता रहा कि सीएम पूछ क्या रहे हैं? इसके बाद सीएम ने उन्हें दोबारा अपना सवाल बताने के साथ ही उनकी कही बातों पर ध्यान देने को कहा।

नहीं था रजिस्ट्रेशन काउंटर

मंडी कृषक मेले में सबसे बड़ा अव्यवस्थाओं का आलम तो यही था कि मेले में किसान रजिस्ट्रेशन काउंटर ही नहीं था। ऐसे में यह भी पता नहीं लग सका कि मेले में कितने किसान पहुंचे थे। हालांकि जिस प्रकार मेले में स्थिति थी, उसे साफ जाहिर हो रहा था कि मेले में खेती से बमुश्किल भ्0 ही लोग पहुंचे होंगे।

इनको मिला सम्मान

युद्धवीर सिंह- अच्छे कृषक

सीताराम सेठी व गुलाब चंद - मंडी शुल्क

संतराम - मंडी समिति सदस्य, कृषक सहयोग के लिए

जितेंद्र आनंद - आढ़ती एसोसिएशन अध्यक्ष

सुनील सजवाण - मंच संचालन

बद्रीनाथ और केदारनाथ में भी विदेशी फूड कंपनियों के उत्पाद खाने के लिए मिल जाते हैं, लेकिन प्रदेश के मुख्य व्यंजन उड़द, मंडुए की रोटी और झंगोरा की खीर नहीं मिलती है। हमें अपने प्रदेश की पहचान बनाने और किसानों के विकास के लिए इन व्यंजनों की पहचान उच्च स्तर पर बनानी होगी।

- हरीश रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड।

मुख्यमंत्री चाहते हैं कि प्रदेश में एक इंजीनियरिंग कॉलेज या पॉलीटेक्निक भले ही कम बन जाए, लेकिन किसानों के विकास का कोई काम नहीं रुकना चाहिए। इसी सोच के साथ हम किसानों के विकास को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

- हरक सिंह रावत, कृषि मंत्री, उत्तराखंड।