इस तकनीक में दो महिलाओं से अंडाणु और एक पुरुष के वीर्य से शुक्राणु लिए जाएंगे. इसका उपयोग जीवन की बुनियादी संरचना कोशिकाओं के माइटोकांड्रिया की कमी की वजह से होने वाली गंभीर बीमारियों से बचाव में होगा.
ब्रिटेन के प्रजनन नियामक ने कहा है कि इसका कोई प्रमाण नहीं है कि यह असुरक्षित है. लेकिन उन्होंने और परीक्षण की बात की. सरकार प्रजनन के नियमों में बदलाव पर विचार कर रही है.
कोशिका का ऊर्जा केंद्र
इस तरह की बीमारियों की वजह से शरीर की कोशिकाओं के ऊर्जा केंद्र (माइटोकांड्रिया) को क्षति पहुँचती है.
"अभी केवल यही सही होगा कि हम जीवन बचाने वाले इस उपचार को जल्द से जल्द लागू कर सकें"
-प्रोफ़ेसर डेम सैली डेविस, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
क़रीब हर साढ़े छह हज़ार बच्चों में से एक में यह गंभीर बीमारी पाई जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि वे ऊर्जा की जरूरत वाले काम नहीं कर सकते हैं. इस वजह से उनमें कमजोरी, अंधापन, हृदय गति का रुक जाना यहाँ तक की मौत भी हो जाती है.
माइटोकांड्रिया माँ से बच्चो में जाता है.
ह्यूमन फ़र्टीलाइज़ेशन एंड इंब्रियोलॉजी प्राधिकरण (एचएफ़ईए) में वैज्ञानिकों का एक पैनल एकत्र हुआ. वैज्ञानिकों ने तीन अलग-अलग लोगों से सामग्री लेकर इन विट्रो फ़र्टीलाइज़ेशन की दो अत्याधुनिक तकनीकों का आकलन किया. इसके तहत बनने वाले मां-बाप और महिला, तीनों स्वस्थ्य माइटोकांड्रिया वाले थे.
एचएफ़ईए की रिपोर्ट में इस प्रक्रिया के प्रदर्शन से पहले अंतिम दौर के कुछ परीक्षण करने की बात कही गई है.
मानव के अंडाणु या शुक्राणु का प्रयोग करने की दशा में इन दोनों तकनीकों की क्षणता का विस्तृत परीक्षण शामिल है.
बीमारी की आशँका
इस तरह पैदा होने वाले बच्चे और उसकी आने वाली पीढ़ियों में भी माइटोकांड्रिया वाली बीमारी से पीड़ित होने की आशंकाओं की भी इस प्रक्रिया के दौरान विस्तृत परीक्षण की ज़रूरत होगी.
माइटोकांड्रिया का अपना ख़ुद का डीएनए का एक छोटा सा सेट होता है, ऐसे इस तरह पैदा होने वाले बच्चे में तीनों लोगों की आनुवांशिक सामग्री होगी.
ब्रिटने सरकार ने सैद्धांतिक रूप से तीन लोगों से होने वाले संतान का समर्थन किया है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रोफ़ेसर डेम सैली डेविस ने पिछले साल कहा था, ''अभी केवल यही सही होगा कि हम जीवन बचाने वाले इस उपचार को जल्द से जल्द लागू कर सकें. ''
इस वैज्ञानिक समीक्षा को अधिक से अधिक परामर्श के लिए सरकार ने अधिकृत किया है.
एक प्रवक्ता ने कहा, ''माइटोकांड्रिया के दान से ऐसी महिलाओं को आनुवांशिक कमियों को दिए बिना बच्चा पैदा करने का अवसर मिलेगा जो माइटोकांड्रिया की कमी से होने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं.''