RANCHI : आरपीएफ क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा रविवार को जमशेदपुर स्थित एक ट्रैवल एजेंसी में ई-टिकट के चल रहे धंधे का खुलासा किए जाने के बाद साबित हो गया कि 'तत्काल टिकट' में धांधली धड़ल्ले से चल रही है। काउंटर पर घंटों खड़ा रहनेवाले पैसेंजर्स को तत्काल टिकट मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है, लेकिन दलाल के जरिए आपका तत्काल ई- टिकट जरूर कंफर्म हो जाएगा। बस जेब ढीली करनी पड़ेगी। जी हां, रेलवे के तमाम प्रयासों के बाद भी तत्काल टिकटों को लेकर एक बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा है। सिंडिकेट के मेंबर्स व दलाल एक सॉफ्टवेयर की मदद से आईआरसीटीसी की वेबसाइट में छेड़छाड़ कर चंद सेकेंड में ही तत्काल टिकटों पर हाथ साफ कर देते हैं।

सॉफ्टवेयर का गलत इस्तेमाल

साइबर शातिरों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया है, जिसके जरिए आईआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक कर तत्काल टिकटों की कुछ मिनटों में ही बल्क बुकिंग की जा सकती है, जबकि काउंटर पर एक तत्काल टिकट बनाने में में कम से कम एक से डेढ़ मिनट का समय लग जाता है। ऐसे में दलाल अथवा ट्रैवल एजेंसी इसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर टिकटों की बुकिंग आसानी से कर रहे हैं, जबकि काउंटर के सामने अपना काम-धंधा छोड़कर घंटों से टिकट के इंतजार में खड़े मुसाफिरों को हाथ लगती है सिर्फ मायूसी।

सॉफ्टवेयर के जरिए टिकटों की हो जाती बल्क बुकिंग

रेलवे की तत्काल टिकटों को बनाने के लिए दलाल जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं, वह काफी एडवांस्ड है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए कुछ ही मिनटों में कई टिकटें कंफर्म हो जाती है। दरअसल इस सॉफ्टवेयर में पैसेंजर्स से संबंधित सारी डिटेल्स पहले से ही लोड कर दी जाती है। इसके बाद इसे तत्काल टिकटों की बुकिंग शुरु होने के पहले सिस्टम पर फीड कर दिया जाता है। जैसे ही तत्काल टिकटों की बुकिंग शुरु होती है, कमांड देते ही सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट की बुकिंग खुद-ब-खुद होने लगती है। इस तरह मिनटों में ही कई टिकटों की बुकिंग दलाल कर लेते हैं और पैसेंजर्स बिना टिकट के निराश होकर काउंटर से वापस लौट जाते हैं।

काउंटर पर टिकट बनाने में लग जाते एक से डेढ़ मिनट

आप अगर काउंटर से टिकट लेते हैं अथवा ई टिकट बनवाते हैं तो इसमें कम से कम एक से डेढ़ मिनट का वक्त लगता है। यह समय रेलवे के सिस्टम में नाम, पता, उम्र और जर्नी प्लेस को भरने में लग जाता है, जबकि दलाल जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं, उसमें पैसेंजर्स के सारे डिटेल्स पहले से फीड रहते हैं और कमांड देते ही एक के बाद एक टिकट की बुकिंग होने लगती है। यही वजह है कि जबतक आप एक टिकट बुक करते हैं, दलाल दर्जनों टिकट कंफर्म कर लेते हैं। ऐसे में तत्काल टिकटों का कोटा पलभर में ही खत्म हो जाता है और कई पैसेंजर्स टिकट से वंचित रह जाते हैं।

जमशेदपुर में ट्रैवल एजेंसी का संचालक गिरफ्तार

जमशेदपुर के साकची में स्थित शुभम ट्रैवल्स एजेंसी में ई टिकटों की कालाबाजारी का भंडाफोड़ रविवार को टाटानगर आरपीएफ क्राइम ब्रांच की टीम ने किया। यहां आईआरसीटीसी के लाइसेंस की आड़ में ई-टिकट के धंधे में पैसेंजर्स को लूटा जा रहा था। यहां से तीन तत्काल टिकट जब्त करने के साथ संचालक को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

कोडरमा में भी टिकटों की कालाबाजारी का खुलासा

बेंगलुरु सीबीआइ टीम ने पिछले हफ्ते एसीबी के साथ मिलकर कोडरमा के बस स्टैंड के पास स्थित साईं इंटरप्राइजेज में छापा मारा था। जिसमें टीम ने संचालक गणेश कुमार गुप्ता के पास से लैपटाप, मॉडम के अलावा कई अन्य तरह के स्टांप भी जब्त कर लिए थे। जांच में फर्जी तरीके से बल्क में टिकट बुकिंग की बात सामने आई थी।