-संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय में ज्यादातर अधिकारी रहते हैं नदारद, फ्राइडे दोपहर आई नेक्स्ट टीम ने किया रियलिटी चेक

- पब्लिक की समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं, सरकार ने आरटीओ के कामों की फीस की दोगुनी और दलालों की फीस तीन गुनी

kanpur@inext.co.in

kanpur। दोपहर के 1 बजे। संभागीय परिवहन अधिकारी कायार्लय कानपुर। आरटीओ ऑफिस के अंदर घुसते ही दलालों का झुंड पब्लिक को अपने जाल में फंसाने की कोशिश में लगा था। हर कोई इधर-उधर अपना काम करवाने के लिए परेशान हो रहा था और दलाल इसी बात का फायदा उठाकर उन्हें फंसाने में कामयाब भी हो रहे थे। पब्लिक की शिकायत पर फ्राइडे को आरटीओ पहुंची आई नेक्स्ट टीम जैसे ही अंदर पहुंची तो वहां का नजारा बिल्कुल 'बिंदास' था। वहां मौजूद पब्लिक बोली, 'भइया यहां उत्तर प्रदेश सरकार का नहीं आरटीओ अधिकारियों का 'राज' चलता है'। टीम ने रियलिटी चेक किया तो स्थिति बिल्कुल चौंकाने वाली दिखी। दोपहर में आधे अधिकारियों के रूम खाली थे और बाबू अपने काम में दलालों के साथ बिजी थे। पब्लिक अपने काम के लिए भटक रही थी।

'मैडम अभी नहीं आई हैं'

आई नेक्स्ट टीम सबसे पहले आरटीओ प्रवर्तन सुनीता वर्मा के रूम में पहुंची। उनका गेट खुला था, लेकिन दरवाजा दबा था। बाहर बैठे चपरासी से रिपोर्टर ने पूछा मैडम हैं, बाहर पब्लिक खड़ी हैचपरासी बोला, अंदर मीटिंग चल रही है। जब आई नेक्स्ट टीम ने देखा तो अंदर कोई नहीं था। पूछने पर मालूम चला कि 'मैडम अभी आई नहीं हैंकहीं जरूरी काम से गई हैं' जब तक रिपोर्टर कुछ बोलता फिर चपरासी बोला, अरे जाओ भइया अपना काम करोचेकिंग करने कहीं गई होंगीवो कहां गई खैर ये तो कोई नहीं बता पाया, लेकिन उनके गेट के बाहर पब्लिक जरुर परेशान हो रही थी। उनमें से ज्यादातर लोग व्यापारी थे, क्योंकि वो प्रवर्तन दल से जुड़ी हैंव्यापारी परेशान हो रहे थे लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था।