यह कहानी है आरती (बदला हुआ नाम) की। पिता के देहांत के बाद 17 साल की इस युवती की मां ने दूसरी शादी रचा ली। इसके बाद सौतेले बाप ने उसे बिहार में एक ईंट भट्ठे के मालिक को बेच दिया। यहां उसे शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना दी जाती थी। यहां एक दिन मौका देखकर वह भाग निकली। इसके बाद रांची के चिरौंदी स्थित अपने घर जब वह पहुंची तो मां ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। ऐसे में एक बार फिर वह बेसहारा हो गई।

 

एनजीओ के संरक्षण में

मां द्वारा घर से निकाले जाने के बाद कुछ लोगों ने उसे मदद करने का आश्वासन देकर अपने कब्जे में कर लिया। उन लोगों ने उसे जबर्दस्ती जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया। मजबूरियां कुछ ऐसी थी कि पेट की खातिर वह कॉल गर्ल बन गई। इस बीच एक दिन एक एनजीओ ने उसे भटकते हुए हालात में देख लिया। पूछे जाने पर उसने अपनी दास्तां बता दी। इसके बाद एनजीओ आरती (बदला नाम) को अपने संरक्षण में रह रही है। उसने बताया कि वह अब भी पढ़ना चाहती है। अगर उसे सहयोग मिले तो कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर नौकरी करना चाहती है। फिलहाल वह एक एनजीओ कर्मी के संरक्षण में रह रही है।