--नक्सलियों से लोहा लेने झारखंड पहुंचे बीएसएफ के 10 असिस्टेंट कमांडेंट

पांच अन्य के आने की स्वीकृति, बनेंगे मारक दस्ते के प्रमुख

झारखंड पुलिस ने मांगा था 40 सहायक कमांडेंट

रांची : झारखंड से नक्सलियों के सफाया के लिए डीजीपी की घोषणा के अनुसार अब सिर्फ चार महीने ही बचे हैं। उन्होंने दिसंबर-2017 तक झारखंड को नक्सल मुक्त बनाने की घोषणा की थी, जिसे अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया गया है। झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए झारखंड जगुआर (एसटीएफ) का 40 मारक दस्ता (असाल्ट ग्रुप) तैयार किया गया है, जिसकी अगुवाई सहायक कमांडेंट स्तर के पदाधिकारी करने वाले हैं। इसके लिए केंद्र की सहमति मिलने के बाद झारखंड को बीएसएफ के 15 सहायक कमांडेंट मिले हैं। इनमें मंगलवार की शाम तक बीएसएफ के 10 सहायक कमांडेंट स्तर के पदाधिकारियों ने झारखंड जगुआर में योगदान भी दे दिया। अन्य पांच भी शीघ्र योगदान देने वाले हैं। फिलहाल, बीएसएफ के 15 सहायक कमांडेंट झारखंड को मिल रहे हैं। सहायक कमांडेंट स्तर के शेष 25 अधिकारियों के लिए भी पुलिस मुख्यालय स्तर पर बातचीत जारी है। झारखंड में वर्तमान में सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट स्तर के 14 अधिकारी पहले से तैनात हैं। वर्तमान में वे झारखंड के 14 उग्रवादग्रस्त जिलों में एएसपी अभियान हैं।

:::::::::::::::::::::::::::

45 जवानों/अधिकारियों का होता है मारक दस्ता

अधिकारियों ने बताया कि एक मारक दस्ते में 45 अधिकारी-जवान होते हैं। प्रत्येक असाल्ट ग्रुप का नेतृत्व करने के लिए झारखंड पुलिस के अधिकारियों ने केंद्र से अ‌र्द्ध सैनिक बल के सहायक कमांडेंट स्तर के पदाधिकारियों की मांग की थी। इसकी मंजूरी भी मिल गई है। अब प्रत्येक असाल्ट ग्रुप की अगुवाई ये अधिकारी करेंगे। बीएसएफ के ये अधिकारी दुश्मनों से लड़ने के सभी तरीकों से बखूबी परिचित होते हैं, जिसका लाभ झारखंड के लड़ाकों को मिलेगा और नक्सलियों के खिलाफ कारगर अभियान चलेगा। जंगल-पहाड़ों की भौगोलिक स्थिति से बीएसएफ के ये अधिकारी सीमा पर हमेशा दो-चार होते हैं, ऐसे में उनके अनुभव का लाभ मिलेगा। ऐसी भौगोलिक स्थिति लातेहार-गढ़वा-पलामू से सटे छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़, सारंडा, पारसनाथ व खूंटी, गुमला, लोहरदगा आदि के जंगली इलाकों में है, जहां अभियान चलाया जाना है। यहां नक्सलियों को जंगल का लाभ मिलता है और वे आसानी से भाग निकलते हैं।

::::