- लाइट जाने पर नहीं चालू करते हैं बीटीएस, बचा हुआ फ्यूल मार्केट में बेच देते हैं कर्मचारी

BAREILLY:

बीएसएनएल में फ्यूल का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। बीटीएस ठप करने के पीछे फ्यूल चोरी का खेल ही है। ड्यूटी पर लगे कर्मचारी पैसे की लालच में बीटीएस को चालू नहीं करते हैं और जो भी फ्यूल बचता है उसे मार्केट में बेच अपनी जेबें भर लेते हैं, जिसका खामियाजा मोबाइल यूजर्स को भुगतना पड़ रहा है। पुअर कनेक्टिविटी की वजह से कॉल कनेक्ट नहीं होती है, जिससे मोबाइल यूजर्स को बेवजह परेशान होना पड़ता है।

30 लाख रुपए की फ्यूल की खपत

शहर में बीएसएनएल के टोटल 14 एक्सचेंज है। कैंट, चौपुला, राजेंद्रनगर, किला, मढ़ीनाथ, सुभाषनगर, लाल फाटक, महानगर, हार्टमन, बानखाना, प्रेमनगर, नार्थ सिटी, आरयू और एयरफोर्स गेट। इन सभी एक्सचेंज पर करीब करीब 10 हार्सपॉवर के जेनरेटर लगे हुये हैं। हर महीने 30 लाख रुपए की डीजल की खपत हो रही है। फिर भी मोबाइल यूजर्स को पुअर कनेक्टिविटी की समस्या से जूझना पड़ता है। क्योंकि, लाइट जाने पर कर्मचारी जेनरेटर को चालू ही नहीं करते हैं।

600 रुपए तक की कमाई

एक्सचेंज के कर्मचारियों की अपनी सेटिंग होती है। एक समय में बीटीएस को बंद नहीं करते हैं। बल्कि शिफ्ट वाइज बीटीएस को ठप करते हैं ताकि पूरे शहर की सर्विस एक साथ प्रभावित न हो। जानकारों की मानें तो यदि एक घंटे तक जेनरेटर न चलाया जाए तो डेढ़ से दो लीटर डीजल की बचत आसानी से हो जाती है। ऐसे में एक बीटीएस यदि 3-4 घंटे रोजाना बंद रहा, तो फ्यूल की काफी बचत हो जाती है, जिसे मार्केट में बेचने पर 500-600 रुपए की कमाई हो जाती है।

एक पम्प से फ्यूल की सप्लाई

इस बात से बीएसएनएल के जीएम भी भली भांति जानते हैं। तभी तो उन्होंने सभी एक्सचेंज के लिए एक फिलिंग स्टेशन से ही फ्यूल की सप्लाई सुनिश्चित कराई है। कर्मचारी नगर स्थिति सिद्धबाबा फिलिंग स्टेशन से फ्यूल की सप्लाई होती है। जबकि पहले एक्सचेंज के कर्मचारी अपने नजदीकी फिलिंग स्टेशन से ही फ्यूल मंगाते थे।

हमारा यह प्रयास है कि लाइट जाने पर भी बीटीएस चालू रहे। इसके लिए सभी कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिये गये है। हर महीने करीब 30 लाख रुपए की डीजल खपत है।

चरन सिंह, जीएम, बीएसएनएल