- तमाम कयासों को दरकिनार कर कांग्रेस के लंच में पहुंचे बसपा के दिग्गज नेता

- कांग्रेस के सातों विधायक भी रहे मौजूद, बसपा प्रत्याशी को वोट देना भी पक्का

LUCKNOW :

राज्यसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार करने को कांग्रेस ने अपने विधायकों को लंच पर बुलाया था जिसमें बसपा के दिग्गज नेताओं के शामिल होने से सूबे में नये सियासी गठजोड़ का रास्ता साफ होने के संकेत मिले। यूं कहें कि आमतौर पर बाकी पार्टियों से दूरी बनाकर रखने वाली बसपा ने राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए तमाम कयासों को दरकिनार कर ऐसी पहल की जिसके सूबे की सियासत में दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं। लंच पार्टी में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, विधानसभा में नेता बसपा दल लालजी वर्मा और बसपा प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर की मौजूदगी से यह भी साफ हो गया कि कांग्रेस विधायक अब बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर के पक्ष में वोट कर सकते हैं।

मायावती ने मांगे विधायकों के नाम

वहीं दूसरी ओर गुरुवार को बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सपा से नौ विश्वस्त विधायकों की सूची मांग ली। माना जा रहा है कि क्रॉस वोटिंग के डर से बसपा नेतृत्व ने यह एहतियाती कदम उठाया है। सूत्रों की मानें तो बसपा की ओर से सपा को भेजे गये संदेश में उन विधायकों के नाम देने को कहा गया जो बसपा प्रत्याशी को पहली वरीयता का वोट करेंगे। वहीं दूसरी ओर सपा के सूत्रों की मानें तो बसपा नेतृत्व को नौ विधायकों की सूची भेज दी गयी है। चर्चा यह भी है कि इस सूची में निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' और विनोद सरोज का नाम शामिल नहीं है। बुधवार को सपा की डिनर पार्टी में शामिल होने से यह साफ हो चुका है कि राजा भैया सपा प्रत्याशी जया बच्चन के लिए वोट करेंगे। वहीं बसपा प्रत्याशी को वोट देने को लेकर फिलहाल उन्होंने अपना रुख साफ नहीं किया है। इसकी वजह बसपा सरकार में राजा भैया के खिलाफ बसपा सरकार में पोटा कानून के तहत की गयी कार्रवाई मानी जा रही है।

अंबेडकर और अनिल में मुकाबला

राज्यसभा चुनाव को लेकर जारी लामबंदी और सियासी जोड़तोड़ से यह भी साफ हो गया है कि चुनाव में बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर और भाजपा के नौवें प्रत्याशी अनिल अग्रवाल के बीच कड़ा मुकाबला होगा। बसपा को सपा के करीब नौ और कांग्रेस के सात विधायकों का वोट मिल रहा है। जीत के लिए बसपा प्रत्याशी को करीब तीन अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी क्योंकि बसपा विधायक मुख्तार वोट नहीं दे सकेंगे। वहीं नितिन अग्रवाल के पाला बदलने से सपा का एक वोट भी कम हो गया है। इसके अलावा क्रॉस वोटिंग होने की सूरत में ज्यादा नुकसान बसपा का होना तय है। अब बसपा के 18, सपा के नौ और कांग्रेस के सात विधायकों को मिलाकर 34 वोट होते हैं। बसपा को एक वोट रालोद का भी मिलेगा। इसके बाद भी जीत के अतिरिक्त दो वोटों की दरकार होगी। वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी अनिल अग्रवाल के लिए पार्टी ने अंदरखाने रणनीति तय कर ली है। भाजपा के पास अतिरिक्त 28 वोट हैं जो नितिन अग्रवाल के एक वोट से 29 हो जाएंगे। इस तरह भाजपा को नौवें प्रत्याश्ी की जीत के लिए अतिरिक्त आठ वोटों की दरकार होगी। चर्चा है कि सपा के कुछ विधायक भाजपा प्रत्याशी को वोट दे सकते हैं हालांकि इसका खुलासा शुक्रवार को मतदान के दौरान होगा।

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मुख्तार नहीं दे सकेंगे वोट

वहीं दूसरी ओर बसपा विधायक मुख्तार अंसारी का राज्यसभा चुनाव में वोट देना मुश्किल का सबब बन गया है। उन्हें निचली अदालत द्वारा वोट देने के लिए अनुमति प्रदान की गयी थी जिस पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी। दरअसल राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के इस फैसले को चुनौती दी थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी के वोट देने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने विधायक को नोटिस भी जारी की है। अंसारी इन दिनों बांदा जेल में बंद हैं। कोर्ट ने कहा है कि आदेश की प्रति फैक्स के जरिए बांदा जेल अधिकारियों को भेज दी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति राजुल भार्गव ने उत्तर प्रदेश राज्य की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है।

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विजय मिश्र रहेंगे भाजपा के साथ

इसके अलावा निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्र चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट देने के अपने फैसले से पीछे हटेंगे। गुरुवार को उन्होंने शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात के दौरान भी इस बात को दोहराया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह शिवपाल सिंह यादव के साथ हैं लेकिन राज्यसभा चुनाव में वह भाजपा को ही वोट देंगे। उन्होंने सपा से अपनी नाराजगी को लेकर कहा कि सपा का जल्द ही सफाया होने जा रहा है।