- आज आएगा आम बजट, सोसाइटी के हर सेगमेंट की हैं अपनी-अपनी उम्मीदें

- किसी खास वर्ग के बजाए पब्लिक फ्रेंडली बजट चाहते हैं कानपुराइट्स

-आई नेक्स्ट ने हर तबके से बातकर जाना, क्या उनकी चाहत और कैसे मिलेगी राहत

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KANPUR : जीडीपी, फिक्सल डेफिसिट, टैक्स स्लैब, इकोनॉमिक रिफॉ‌र्म्स यह कुछ ऐसे ट‌र्म्स हैं, जिनके बिना आम बजट पूरा नहीं होता। मगर, हकीकत में आम आदमी को आम बजट की इन चीजों से कोई मतलब नहीं होता, न ही ये बातें उसे समझ आती है। उसे तो सिर्फ अपनी मंथली इनकम से घर की जरूरतों को पूरा करने से मतलब होता है। घर का राशन, बच्चों की स्कूल फीस, गाड़ी का फ्यूल, मोबाइल का बिल, केबिल का किराया, फैमिली संग सैर सपाटा और थोड़ी बहुत बचत हकीकत में यही होता है आम आदमी का बजट। वित्त मंत्री अरुण जेटली आज आम आदमी की उम्मीदों का आम बजट पेश करेंगे। बजट को लेकर आम आदमी मन क्या चाहता है, उसकी चाहत क्या है, उसकी राहत क्या है? कैसा होना चाहिए इस बार का बजट? तमाम सवालों को लेकर आम आदमी के मन के बजट को पेश करती आई नेक्स्ट की यह रिपोर्ट -

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स्कॉलरशिप की लिमिट बढ़ाई जाए

शिवम अरोड़ा, बीटेक स्टूडेंट, एचबीटीआई

एचबीटीआई में कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे शिवम अरोड़ा भी बजट को लेकर काफी कांशियस हैं। बजट को लेकर उनकी उम्मीदें कुछ इस प्रकार हैं

- हायर स्टडीज में स्टूडेंट्स के लिए स्पेशल स्कॉलरशिप एलॉटमेंट।

- स्कॉलरशिप की लिमिट मौजूदा लिमिट से बढ़ाई जानी चाहिए। चाहे वह मेरिट बेसिस पर हो या फैमिली की फाइनेंशियल कंडीशन के हिसाब से।

- पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने चाहिए।

- स्टूडेंट्स के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कम किराये की व्यवस्था की जानी चाहिए।

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स्मॉल, मिडिल इंकम ग्रुप पर रहे फोकस

सत्येन्द्र शुक्ला, एडवोकेट

- ज्यादातर टैक्स पेयर्स स्मॉल और मिडिल इनकम ग्रुप सेगमेंट से होते हैं। इसलिए बजट में ज्यादा फोकस इन पर होना चाहिए।

- व्यापार में दुकानदार एमआरपी की आड़ में जनता को खूब चपत लगाते हैं। इस पर सरकार को कोई ठोस फैसला लेना चाहिए।

- बैंक में भ्0 हजार की रकम जमा करते वक्त पैन कार्ड लगाना पड़ता है। यह व्यवस्था कई सालों से चली आ रही है। इस लिमिट को भी बढ़ाना चाहिए।

- पेट्रोल-डीजल के दाम यूनीफॉर्म किए जाने चाहिए। जिससे जनता को राहत मिले।

- फ्यूल की कीमत बढ़ने पर किराया बढ़ता है, लेकिन घटने पर नहीं। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि कीमत घटने पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का किराया भी ऑटोमेटिक घट जाए।

- बच्चों की स्कूल व ट्यूशन फीस की बचत के लिए अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए।

--------------------------------------मेडिक्लेम की लिमिट भ्0 हजार से बढ़ाई जाए

डॉ। शालिनी मोहन, आई सर्जन

- एज ए मेडिकल एक्सपर्ट हम सब मेडिक्लेम की लिमिट भ्0 हजार से ज्यादा बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं।

- इनकम टैक्स स्लैब में रिबेट भी बढ़ाने की जरूरत है।

- ब्लैक मनी को देश में लाया जाए। जिसे देश के विकास में यूज किया जा सके।

- इंडस्ट्रियलिस्ट्स का इनवेस्टमेंट बढ़ाए जाने की जरूरत है। जिससे लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ें।

- रसोई गैस के प्राइस कम होने चाहिए। सिलेंडर की टाइम बाउंड डिलीवरी फिक्स की जाए।

- गोल्ड की इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट बढ़ानी चाहिए। जिससे सोने के दाम घटें और हम महिलाएं ज्यादा से ज्यादा गोल्ड ज्वेलरी खरीद सकें।

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रेल व एयर फेयर में मिले रिबेट

डॉ। राजेश गर्ग, बिजनेसमैन

- इंडस्ट्रियलिस्ट और बिजनेस फ्रेंडली बजट होना चाहिए। जिससे हम स्टेट, नेशनल व इंटरनेशनल लेवल पर सुविधाएं मिल सकें।

- देश के हर राज्य में टैक्स की व्यवस्था अलग-अलग है। इसे एकसमान करना चाहिए। जिससे आम जनता को भी एकसमान कीमत पर प्रोडक्ट अवेलेबल हो सके।

- टैक्स पेयर्स में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल करना चाहिए। इसके लिए टैक्स लिमिट घटानी चाहिए और सबका बीमा कर देना चाहिए। इससे हर आदमी टैक्स अदा करेगा और अपने परिवार के भविष्य को लेकर निश्चिंत रहेगा।

- बिजनेस प्रमोशन के लिए नेशनल-इंटरनेशनल टुअर के दौरान बिजनेसमैन को रेल व एयर फेयर में छूट दी जानी चाहिए।

- एमएसएमई सेगमेंट के लिए बैंक की लोन गारंटी अलग-अलग फिक्स करनी चाहिए।

- व्यापारियों की क्रेडिट लिमिट पर अंकुश रखना चाहिए। मिनिमम बेस प्राइस ट्रांसपैरेंट हो सके।

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स्टैंडर्ड डिडक्शन की व्यवस्था फिर से लागू हो

बजट में नौकरीपेशा व लोअर इनकम ग्रुप के लिए खास घोषणाएं होनी चाहिए। यह कहना है, सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट धर्मेन्द्र श्रीवास्तव का। उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में बजट पब्लिक फ्रेंडली हो, न कि सोसाइटी के कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने वाला। उन्होंने बताया कि नया टैक्स स्लैब कुछ इस तरह डिजाइन होना चाहिए, जोकि आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतर सके और जनता को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो सके।

- महिलाओं व पुरुषों के लिए मौजूदा टैक्स स्लैब लिमिट ख्.भ्0 की है। इसे बढ़ाकर भ् लाख किया जाना चाहिए।

- महिलाओं व पुरुषों के लिए एकसमान टैक्स स्लैब है। जबकि कुछ साल पहले तक महिलाओं को ज्यादा छूट मिलती रही है। यह व्यवस्था फिर से लागू होनी चाहिए।

- कुछ साल पहले तक नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स स्लैब में सालाना ख्भ् हजार तक स्टैंडर्ड डिडक्शन की व्यवस्था थी। फिलहाल, यह स्कीम बंद है। इसे दोबारा चालू करके लिमिट क् लाख कर देनी चाहिए।

- एलआईसी, पीएफ, बच्चों की ट्यूशन फीस समेत हाउसिंग लोन के ब्याज आदि की सेविंग लिमिट क्.भ्0 लाख है। इसे बढ़ाकर ख् लाख की जानी चाहिए।

- नई प्रॉपर्टी खरीदने पर होम लोन लेने पर ख्.भ्0 लाख की ब्याज छूट मिलती है। इसे बढ़ाकर फ्-फ्.भ्0 लाख किया जाना चाहिए।

- अभी बच्चों की स्कूल-ट्यूशन फीस में धारा 80 (सी) के तहत छूट मिलती है। इसके लिए अलग धारा बनाई जानी चाहिए। प्रति बच्चा करीब ख्0 हजार सालाना छूट जनता को दी जानी चाहिए।

- फिक्स्ड डिपॉजिट में ब्याज पर कोई छूट नहीं मिलती है। इसमें ख्भ् हजार सालाना की जानी चाहिए। इससे रिटायर्ड लोगों को फायदा मिलेगा व एफडी की संख्या में भी इजाफा होगा।

- क्0 लाख से नीचे इनकम ग्रुप वाले सभी टैक्स पेयर्स को टीडीएस न काटा जाए। ऐसे लोगों के लिए साल के आखिर में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त टैक्स जमा करने की सुविधा दी जाए।