-85-90 हजार करोड़ के करीब हो सकता है बजट आकार

-लगातार चार बार बजट पेश करने वाले पहले सीएम होंगे रघुवर

-गांव-गरीब, महिलाओं और युवाओं पर होगा केंद्रित

-शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कौशल विकास के अलावा आधारभूत संरचना पर होगा जोर

-जेंडर, कृषि, एससी-एसटी के लिए अलग से पेश किया जा सकता है बजट

रांची : झारखंड विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बने गतिरोध के बीच राज्य सरकार मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट पेश करेगी। मुख्यमंत्री रघुवर दास बतौर वित्तमंत्री भारी भरकम बजट पेश करेंगे। बजट आकार 85 से 90 हजार करोड़ रुपये के करीब आंका जा रहा है। बजट आकार में गत वर्ष के सापेक्ष 14 से 20 फीसद वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य सरकार ने गत वर्ष 75 हजार 673 करोड़ का बजट पेश किया था। यह महज इत्तेफाक है कि गत वर्ष भी राज्य सरकार ने 23 जनवरी को ही बजट पेश किया था। मंगलवार को बजट पेश करने के साथ ही रघुवर दास राज्य के ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे जिन्होंने लगातार चार बार बजट पेश किया है।

बजट को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के सभी प्रमंडलों में बजट विमर्श संगोष्ठी का आयोजन कर आम लोगों की राय ली थी। इनमें सरकार को आठ सौ से अधिक सुझाव प्राप्त हुए थे। इन सुझावों के बड़े पैमाने पर बजट में शामिल किया जा सकता है। राज्य सरकार का बजट गांव-गरीब, आदिवासी, महिलाओं और युवाओं पर फोकस रहेगा। ग्रामीणों और गांवों के विकास के लिए सरकार कुछ नई घोषणाएं कर सकती है। पिछली बार की तर्ज पर जेंडर और कृषि बजट मूल बजट में अलग स्थान पा सकते हैं। इसी तरह गत वर्ष अनुसूचित जनजाति क्षेत्र तथा अनुसूचित जाति विकास बजट भी पेश किया था, इस बार भी उन्हें जारी रखा जा सकता है। हमेशा की तरह शिक्षा और स्वास्थ्य पर तो बजट में ध्यान दिया ही जाएगा। ग्रामीण विकास, नगर विकास और कौशल विकास के बजटीय आकार में वृद्धि की जा सकती है। आधारभूत संरचना सरकार के एजेंड में सबसे ऊपर है। जाहिर है बिजली, सड़क और पानी के लिए नई भावी योजनाओं की झलक बजट में देखने को मिल सकती है।

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छह पिछड़े जिलों पर विशेष फोकस :

सरकार का फोकस राज्य के छह सबसे पिछड़े जिलों पाकुड़, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, साहेबगंज और चाईबासा पर रहेगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इन जिलों को अगले दो वर्षो में विकसित जिलों के बराबर खड़ा करने की घोषणा की थी। इस लिहाज से इन जिलों के लिए अलग से बजटीय प्रावधान किया जा सकता है।

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राजस्व संग्रह पर रहेगा जोर :

बजट में आंतरिक राजस्व के संसाधन बढ़ाने और राजस्व घाटा कम करने के भी प्रावधान किए जाएंगे। गत वर्ष के लिए राज्य सरकार ने करीब 29 हजार करोड़ की उगाही का लक्ष्य निर्धारित किया था जिसके सापेक्ष अब तक की उपलब्धि निराशाजनक रही है। जीएसटी से भी उतनी आमद नहीं हुई जितने का अनुमान लगाया गया है। बजट में गत वर्ष के राजस्व संग्रह के लक्ष्य को 14 फीसद बढ़ाया जा सकता है। स्पष्ट समझे तो वाणिज्यकर, खान, उत्पाद व अन्य महकमों से 33 हजार करोड़ के राजस्व संग्रह की उम्मीद रहेगी।