-शासनादेश के बावजूद बिल्डर्स ने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में नहीं बनाए 10 परसेंट एलआईजी और ईडब्ल्यूएस यूनिट

- कर दिया करोड़ों का खेल, एफएआर आदि इंसेन्टिव का भी फायदा उठाया

-मोटा फायदा देख केडीए ऑफिसर्स ने बगैर एलआईजी, ईडब्लूएस के पास किए मैप, शासनादेश को दबाए रखा

vishnu.tiwari@inext.co.in

KANPUR: केडीए और बिल्डर्स के गठजोड़ ने शासनादेशों की धज्जियां उड़ाते हुए करोड़ों के वारे-न्यारे कर डाले। बिल्डर्स ने अपनी हाउसिंग स्कीम्स में क्0 परसेंट एलआईजी और क्0 परसेंट ईडब्ल्यूएस यूनिट्स नहीं बनाए और साथ ही एफएआर आदि इन्सेन्टिव का खूब फायदा भी उठाया। इसका खुलासा इन एलॉटमेंट प्रॉसेज के लिए जारी किए गए शासनादेश के बाद हुआ है। इससे केडीए के कई ऑफिसर्स और बिल्डर्स में अफरातफरी मची हुई है। फिलहाल शासनादेश की धज्जियां उड़ाने वाले बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स की फाइल पलटी जा रही है। इनकी संख्या 8 से क्0 तक बनाई जा रही है।

यह था शासनादेश

दरअसल ख्म् सितंबर, ख्0क्क् में उ.प्र। शासन के सचिव आलोक कुमार की तरफ से फ्000 स्क्वॉयर मीटर से अधिक एरिया वाले हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में प्रपोज्ड टोटल यूनिट के क्0 परसेंट एलआईजी और क्0 परसेंट ईडब्ल्यूएस यूनिट बनाने का शासनादेश जारी किया था। ख्म् अगस्त,ख्0क्ब् को प्रमुख सचिव शासन सदाकान्त की तरफ से शासनादेश के अ‌र्न्तगत बनाए गए एलआईजी और ईडब्ल्यूएस यूनिट्स के एलॉटमेंट प्रॉसेज का नोटिफिकेशन किया गया। नोटिफिकेशन से केडीए ऑफिसर्स में अफरातफरी शुरू हो गई है। उन्होंने ख्0क्क् में प्राइवेट डेवलपर्स के द्वारा बनाए गए एलआईजी व ईडब्लूएस यूनिट्स की छानबीन शुरू कर दी। इसमें छानबीन में केडीए को अभी तक मैनावती मार्ग पर स्थित केवल एक ऐसा हाउसिंग प्रोजेक्ट मिला है जिसने अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट में एलआईजी और ईडब्लूएस यूनिट बनाए हैं। इस डेवलपर ने ख्म्म् एलआईजी और ईडब्लूएस यूनिट तैयार होने की रिपोर्ट सौंप दी है। जबकि इतने ही और बनने हैं।

फ्000 वर्ग मीटर से अधिक वाले

एक के अलावा फिलहाल केडीए के पास और किसी डेवलपर का नाम नहीं है, जिसने एलआईजी और ईडब्लूएस यूनिट बनाए हों। इससे केडीए ऑफिसर्स में अफरातफरी मची हुई है। उन्होंने ख्म् सितंबर, ख्0क्क् को जारी हुए शासनादेश के बाद पास हुए फ्000 स्क्वॉयर मीटर से अधिक एरिया वाले हाउसिंग प्रोजेक्ट पर नजरें गड़ा ली हैं।

एक नहीं कई हाउसिंग प्रोजेक्ट

केडीए सोर्सेज की मानें तो ख्म् सितंबर,ख्0क्क् के बाद फ्000 स्क्वॉयर मीटर से अधिक वाले पास हुए प्रोजेक्ट्स की संख्या आधा दर्जन के करीब है। ये हाउसिंग प्रोजेक्ट किदवई नगर, सिंहपुर, बैरी अकबरपुर, ख्यौरा कटरी, मकड़ीखेड़ा रोड और कल्याणपुर रोड पर हैं। जिन्होंने अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में एलआईजी और ईडब्लूएस यूनिट बनाए ही नहीं हैं। इनमें से कुछ बिल्डर ऐसे भी हैं जिन्हें एलआईजी व ईडब्लूएस के शासनादेश की भनक पहले से लग गई थी, उन्होंने शासनादेश जारी होने से ऐन पहले ही केडीए ऑफिसर्स से मिलकर अपने फ्000 स्क्वॉयर मीटर से अधिक एरिया वाले अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट के मैप पास करा लिए। इस मेहरबानी का तत्कालीन केडीए ऑफिसर्स ने खूब फायदा भी उठाया। तत्कालीन केडीए ऑफिसर्स ने मोटा फायदा देख शासनादेश को भी ताक पर रख दिया। उन्होंने शासनादेश के केडीए पहुंचने के बाद भी मैप, लेआउट में एलआईजी और ईडब्लूएस यूनिट का प्राविधान न होने बिल्डर्स के हाउसिंग प्रोजेक्ट पास कर दिए हैं।

सीएजी ने पकड़ा था खेल

केडीए सोर्सेज के मुताबिक बिल्डर्स के फ्000 स्क्वॉयर मीटर से अधिक एरिया वाले हाउसिंग प्रोजेक्ट के लेआउट, मैप में एलआईजी व ईडब्लूएस यूनिट का प्राविधान न होने का मामला कैग ने भी पकड़ा है। उसने शासनादेश के जारी होने से ऐन पहले पास किए गए ऐसे लेआउट, ग्रु्रप हाउसिंग प्रोजेक्ट को लेकर सवालिया निशान भी लगाए थे। इसको लेकर केडीए ऑफिसर्स को लखनऊ तलब भी किया गया था। लेकिन तब केडीए ऑफिसर्स ने शासनादेश जारी होने से पहले हाउसिंग प्रोजेक्ट पास होने आदि बहानेबाजी करते हुए उन्हें सन्तुष्ट करने की कोशिश की थी। सोर्सेज की मानें तो ये मामला अभी भी कैग में पेंडिंग है।

-एलआईजी और ईडब्लूएस यूनिट्स को लेकर जारी किए गए शासनादेश के अ‌र्न्तगत पास हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट की जानकारी की जा रही है। अगर कुछ गड़बड़ी पाई जाती है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

-स्वराज गांगुली, चीफ टाउन प्लानर केडीए

शासनादेश- ख्म् सितंबर, ख्0क्क्

क्- फ्000 स्क्वॉयर मीटर से अधिक एरिया की हाउसिंग स्कीम के अ‌र्न्तगत प्रपोज्ड हाउसिंग यूनिट्स के मिनिमम क्0 परसेंट एलआईजी और क्0 परसेंट ईडब्ल्यूएस (टोटल ख्0 परसेंट यूनिट)

ख्- फ्000 स्क्वॉयर मीटर से लेकर क् हेक्टेयर तक की हाउसिंग स्कीम में उसी स्थल पर एलआईजी व ईडब्ल्यूएस यूनिट संभव न हो तो, उसी स्थल के लगभग क् किलोमीटर अ‌र्द्धव्यास में स्थित रेजीडेंशियल लैंडयूज में बनाए जा सकते है।

फ्- एलआईजी, ईडब्ल्यूएस यूनिट्स बनाने के बदले में डेवलपर्स को एफएआर आदि का इंसेन्टिव