-बिना प्लान के ही गिरा दी भैंसाली बस स्टैंड की बिल्डिंग

-एमडीए में प्रस्तावित बिल्डिंग के मैप का आवेदन नहीं

-बस अड्डों के स्थानातंरण पर भी लगा प्रश्न चिह्नित

आई एक्सक्लूसिव

मोहित शर्मा

मेरठ। परिवहन विभाग का एक बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। परिवहन विभाग ने बिना किसी तैयारी और प्लान के भैंसाली बस अड्डे की बिल्डिंग को गिरा दिया। हालांकि विभाग इस जमीन पर नई डबल स्टोरी बिल्डिंग और पार्किंग बनाने की बात कह रहा है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस प्रस्तावित बिल्डिंग के मानचित्र की स्वीकृति के लिए न तो एमडीए से स्वीकृति ली गई है और न कैंटोमेंट बोर्ड से।

क्या है प्लान?

दरअसल, परिवहन विभाग ने दिल्ली रोड स्थित भैंसाली बस अड्डे की पुरानी बिल्डिंग को ध्वस्त कर दिया है। रोडवेज यहां पर अपनी पार्किंग के साथ डबल स्टोरी बिल्डिंग बनाने की बात कर रहा है। विभाग की मानें तो रोडवेज अड्डे के प्लेटफॉर्म को उठाकर उसमें नई बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा।

पांच करोड़ का प्रोजेक्ट

रोडवेज के आरएम एसके बनर्जी ने बताया कि प्रस्ताव के लिए शासन से पांच करोड़ का बजट रखा गया है। इसके लिए शासन की ओर से निर्माणकर्ती कार्यदायी संस्था को भी नियुक्त कर दिया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

नहीं ली एनओसी

मजे की बात यह है कि परिवहन विभाग ने प्रस्तावित बिल्डिंग के लिए न तो मेरठ विकास प्राधिकरण में भवन निर्माण का कोई नक्शा स्वीकृत कराया है और न ही मानचित्र के लिए कोई आवेदन किया गया है। यही न ही कैंट बोर्ड की जमीन होने की स्थिति में कैंट बोर्ड से भी कोई एनओसी नहीं ली गई है।

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ये हैं हालात

-एनजीटी बस अड्डे को बाहर करने के कर चुकी आदेश।

-विचाराधीन मामले में बिल्डिंग बनाने की कर दी तैयारी

-प्लाजा सिनेमा और बराबर वाले ग्राउंड में चल रही पार्किंग

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भैंसाली रोडवेज स्टैंड

स्थापना - 1952 में

कुल जमीन - 16 एकड़

डिपो का क्षेत्रफल- 11671 वर्ग मीटर

वर्कशॉप का क्षेत्रफल- 12480 वर्ग मीटर

कुल यूज क्षेत्रफल 25151 वर्ग मीटर

कुल यात्री - 60 हजार प्रतिदिन

कुल आय- 30 लाख रुपए प्रति दिन

जमीन है किसकी

हैरानी की बात यह है कि रोडवेज की जिस जमीन पर हवाई किले बनाने की बात हो रही है। उस जमीन के मालिकाना हक को लेकर भी अभी संशय है। दरअसल, परिवहन विभाग इस जमीन को कैंटोंमेंट बोर्ड से खरीदी हुई बताता है। जिसको बी-1 लैंड में दर्शाया गया है। वहीं एक आरटीआई के जवाब में एमडीए ने यह लैंड अपने विकास क्षेत्र में बताते हुए प्रवर्तन जोन-बी का हिस्सा बताया है। ऐसे में जमीन को लेकर भी अभी संदेह है।

ये हैं बड़े सवाल

-आखिर भैंसाली रोडवेज बस अड्डे की जमीन किसकी है?

-मसला एनजीटी में विचाराधीन है। तो नई बिल्डिंग कैसे बन सकती है।

-बिल्डिंग बनने के बाद यदि एनजीटी बस अड्डे को बाहर शिफ्ट करने का फैसला सुनाता है, तो फिर बिल्डिंग का क्या होगा?

-इस स्थिति में बिल्डिंग निर्माण में खर्च हुई सरकारी बजट का हर्जाना कौन भरेगा?

-यदि यह जोन कैंट बोर्ड का है, तो उस पर निर्माण कैसे किया जा सकता है?

वर्जन -

परिवहन विभाग की ओर से मानचित्र के लिए एमडीए में कोई आवेदन नहीं किया गया है। किसी भी सरकारी व गैर सरकारी बिल्डिंग के निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत होना जरूरी है।

-केके गौतम, टाउन प्लानर एमडीए

भैंसाली अड्डे की जमीन पर डबल स्टोरी बिल्डिंग बनाने का प्लान है। इसके साथ ही प्लेटफॉर्म को उठाकर पार्किंग व यात्रियों के लिए बैठने का इंतजाम किया जाएगा।

-एसके बनर्जी, रीजनल मैनेजर परिवहन विभाग

-भैंसाली बस अड्डे की बिल्डिंग का गिराया जाना और उसके स्थान पर नई बिल्डिं़ग का प्रस्ताव धांधली की ओर इशारा करता है। बिना किसी ठोस प्लान के बिल्डिंग को गिरा देना बड़ा मामला है। इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाया जाएगा।

-लोकेश खुराना, आरटीआई एक्टीविस्ट