- जलकल का पानी शुद्ध नहीं होने के कारण लोग खरीद रहे आरओ का पानी

- पब्लिक जलकल को दे रही टैक्स, बाहर से भी खरीद रही पानी

GORAKHPUR: पब्लिक टैक्स देती है ताकि उसे शुद्ध जल मिले लेकिन जलकल की लापरवाही के कारण उसे पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। शहर में मानक के हिसाब से क्लोरिनेशन वाला शुद्ध पानी सप्लाई नहीं होने से लोग आरओ वाटर पर रोज करीब 5 लाख रुपए खर्च कर रहे हैं। पब्लिक की मानें तो जलकल अफसरों और पानी व्यापारियों की मिलीभगत के कारण आज लगभग 10 घर में से नौ घरों में पानी खरीदना पड़ रहा है। पब्लिक के जेब पर हर माह 700 रुपए तक एक्स्ट्रा भार पड़ रहा है।

बढ़ रही डिमांड

गंदे पानी सप्लाई के कारण बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है। हर रोज पानी की डिमांड बढ़ती जा रही है। अब होटल, रेस्टोरेंट, घर तो दूर ठेले या गुमटी पर भी लोग दूषित पानी नहीं पीना चाहते। नतीजा, वहां भी गैलन वाला पानी पहुंच गया है। हालांकि गैलन वाटर का रेट फिक्स नहीं है। मार्केट में 20 से 25 रुपए के बीच गैलन का पानी मिल रहा है। होम डिलीवरी फ्री रहती है। पर डे करीब 25 हजार से अधिक गैलन की सप्लाई होती है। अगर एवरेज 20 रुपए माना जाए तो भी शहर में डेली करीब पांच लाख रुपए का पानी बिक रहा है।

तीन गुना बढ़ जाता है बिजनेस

गोरखपुर में दूषित पानी के कारण पानी की डिमांड लगातार बढ़ रही है। मगर मैरेज सीजन आते ही यह डिमांड अचानक तीन गुना हो जाती है। नॉर्मज डेज में जहां 25 हजार गैलन की डिमांड रहती है, वहीं मैरेज सीजन में बढ़कर यह करीब 75 हजार गैलन के पास पहुंच जाती है। ठंड आने पर भी इसकी डिमांड में कोई खास कमी नहीं आती। ऐसे जहां डेली 25 हजार गैलन की डिमांड रहती है, वहीं ठंड में घट कर करीब 20 हजार केआसपास पहुंच जाती है, जबकि पांच साल पहले पानी की डिमांड नॉर्मली 100 से 150 गैलन ही रहती थी।

कुछ यूं बढ़ता गया बिजनेस

साल - प्लांट डेली डिमांड (गैलन)

2009 - 1 से 2 50 से 60

2010 - 5 से 10 100 से 150

2011 - 20 से 25 250 से 300

2012 - 40 से 50 2 से 3 हजार

2013 - 200 से 300 8 से 10 हजार

2014 - 1000 के आसपास 12 से 15 हजार

2015 - 1200 से अधिक 15 हजार से अधिक

2016- 1500 से 1800 20 हजार

2017 - 2000 के लगभग 25 हजार

पुरानी पाइप लाइन गंदा पानी का सबसे बड़ा कारण

गोरखपुर को नगर निगम की श्रेणी में शामिल होने के बाद 1990 में शहर में पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाने का कार्य शुरू हुआ। उस समय लगभग 600 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाई गई। आज भी इन्हीं पाइप लाइन से सप्लाई हो रही है। इसमें 400 किमी पाइप लाइन से लोगों के घरों में पानी सप्लाई हो रही है। यह पाइप लाइन होने के कारण अक्सर फट जाती है, जिसके कारण पानी लीकेज होने लगता है। इससे सबसे अधिक पानी बरबाद होता है। पहले ही गंदा पानी रोड या नाले में बहता है और वहीं अगर सप्लाई चालू नहीं रहती है तो नाले का गंदा पानी पाइप में चला जाता है और जब यह पानी लोगों के घरों में पहुंचता है तो उसको साफ करने के लिए लोग कई मिनट तक टोटी को खुला छोड़ देते हैं।

15 मिलियन लीटर शुद्ध पानी की कमी

शहर में शुद्ध पानी की किल्लत शुरू हो गई है। जलकल विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 3.50 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस तरह देखें तो शहर की 13 लाख की आबादी को प्रतिदिन 45.5 लाख लीटर शुद्ध पानी की आवश्यकता पड़ेगी, जबकि जलकल विभाग डेली 30 लाख लीटर पानी की सप्लाई कर रहा है। इस तरह शहर में डेली 15 लाख लीटर पानी की कमी हो रही है। इसकी पूर्ति लोग खरीदकर या अशुद्ध पानी से पूरा कर रहे हैं।

एक घर का इतना बढ़ गया खर्च

जलकल पानी सप्लाई के गंदा होने पर खर्च

212.50 रुपए तो पहले ही खर्च नगर निगम को देना पड़ेगा। क्योंकि घर के अन्य कार्य के लिए मोटर से पानी तो भरना ही पड़ेगा और टैक्स तो देना ही पड़ेगा, इसके अलावा एक सामान्य परिवार डेली 20 लीटर जार की जरूरत होती है और प्रति जार 20 रुपए पानी वाले लेते हैं। ऐसे में अगर माह 31 का है तो एक सामान्य परिवार का प्रति माह 620 रुपए और 212.50 रुपए टैक्स और बिल के रूप में देखें तो 632.32 रुपए प्रति माह खर्च बढ़ जा रहा है।

नंबर गेम

2000 आरओ प्लांट हैं शहर में

1500 लीटर होती है एक प्लांट से सप्लाई

3000 लीटर पानी एक आरओ प्लांट से लगन वाले दिन में सप्लाई

2 से 2.5 लाख लीटर सामान्य दिन में शहर में आरओ वाटर की सप्लाई

5 लाख लीटर आरओ वाटर की सप्लाई होती लगन वाले दिन में

इन एरिया में होती है पानी सप्लाई

जलकल विभाग शहर के 68 प्रतिशत एरिया में पानी सप्लाई करता है। इस एरिया को 21 जोन में बांट कर पानी आपूर्ति संचालित की जाती है। बेतियाहाता, रायगंज, सिविल लाइंस, अलीनगर, लालडिग्गी, राजघाट, तिवारीपुर, मोहद्दीपुर, नौसढ़, शाहपुर, हुमायूंपुर, गोरखनाथ, लच्छीपुर, नथमलपुर, बशारतपुर, फतेहपुर, चरगांवा, सालिकराम, रुस्तमपुर, महादेव झारखंडी और नंदानगर एरिया में पानी सप्लाई होती है। इसमें बेतियाहाता, रायगंज, राजघाट, लालडिग्गी एरिया के 80 प्रतिशत घर जलकल की पानी सप्लाई के भरोसे हैं।

इन एरिया में नहीं होती है पानी सप्लाई

जलकल शहर के 32 प्रतिशत एरिया में पानी सप्लाई नहीं करता है। इसमें गायत्री नगर, बिछिया, जेल बाइपास, पादरी बाजार आंशिक, शिवपुर सहबाजगंज, सेमरा, करीम नगर, इंदप्रस्थ कालोनी, घोसीपुरवां, नकहा क्रासिंग, लच्छीपुर, इंडस्ट्रियल एरिया, राजेंद्र नगर पूर्वी, राजेंद्र नगर पश्चिमी, नया गांव, पट्टन चौराहा, ग्रीन सिटी, माधवपुर, बहरामपुर एरिया में जलकल इंडिया मार्का हैंडपंप लगाकर पानी की व्यवस्था की है।

कॉलिंग

दूषित पानी से अनेक तरह की बीमारियां फैल रही हैं। अब हर शख्स शुद्ध पेयजल पीना चाहता है, इसलिए पानी की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले पांच साल पहले शहर में महज एक या दो प्लांट थे, मगर अब 2000 से अधिक प्लांट लगे हैं।

दिनेश श्रीवास्तव, बिजनेसमैन

बीमारी से बचने के लिए अब हर शख्स शुद्ध पेयजल चाहता है क्योंकि शहर का पानी बहुत खराब है, इसलिए गैलन वाली पानी की डिमांड बढ़ रही है। घर से लेकर दुकान और ठेले से लेकर गुमटी तक पानी की डिमांड है। प्लांट की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। शहर में डेली करीब 15000 से अधिक गैलन की सप्लाई होती है।

विजय, बिजनेसमैन