- मोहद्दीपुर में सफाईकर्मियों ने नगर आयुक्त के सामने ही जला डाला कूड़ा

- शहर में लगातार बढ़ रही हैं कूड़ा जलाने की घटना

- जहरीला धुआं फैला रहा लोगों की सेहत पर जानलेवा खतरा

GORAKHPUR: जीवन कहे जाने वाले ऑक्सीजन को दूषित होने से बचाने के लिए शासन कुछ भी कर ले, लेकिन नगर निगम शहर की आबोहवा दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। स्थिति यह है कि शहर में डेली दर्जनों स्थानों पर सफाई कर्मी कूड़ा एकत्रित कर आग लगा दे रहे हैं। कूड़ा जलने से उस एरिया में जहरीला धुआं फैल जा रहा है। सोमवार को तो इस तरह की लापरवाही की हद ही पार हो गई। मोहद्दीपुर एरिया में सफाई निरीक्षण करने पहुंचे नगर आयुक्त बीएन सिंह के सामने ही सफाई कर्मियों ने कूड़ा जला डाला। निगम के जिम्मेदारों की मनमानी का तो ये बस एक उदाहरण मात्र है। हाल ये है कि कूड़ा निस्तारण के नाम पर आग लगाकर आए दिन कागजों में कार्य का कोटा पूरा कर दिया जा रहा है।

उधर जला रहे, इधर दिखा रहे

बता दें, नगर निगम में डेली 20 से 25 गाडि़यां 20-20 लीटर डीजल लेकर कूड़ा उठाने के लिए महेवा स्टोर से निकलती हैं। इन गाडि़यों का कार्य शहर के कूड़ा पड़ाव केंद्र और मोहल्लों में रखे गए कूड़ेदानों से कूड़ा उठाकर उसे निस्तारित करने का है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कूड़ा उठाने की इस जिम्मेदारी में भी निगम के कुछ जिम्मेदार खेल कर दे रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कूड़ा जलाकर यहां कूड़ा कलेक्शन में घपला किया जा रहा है। आग लगा देने से कूड़ा कम हो जाता है और एक गाड़ी दो से तीन जगह का कूड़ा एक ही बार उठा लेती है। जबकि जिम्मेदार एक बार में पांच से छह डब्बों का रिकॉर्ड तैयार कर देते हैं। इस तरह दो से तीन जगहों का कूड़ा कलेक्शन महज कागजों में ही दिखा दिया जाता है।

अंधेपन से लेकर मौत तक का खतरा

आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि कूड़ा जलाना आपकी सेहत के लिए कितना हानिकारक हो सकता है। अपने शहर की बात करें तो यहां सबसे अधिक कूड़ा प्लास्टिक के रूप में निकलता है। ऐसा कूड़ा जलाने पर खतरनाक गैस कार्बन मोनोऑक्साइड निकलती है। यह गैस इतनी खतरनाक होती है कि एक किलो प्लास्टिक से निकली गैस पांच लोगों की मौत का कारण बन सकती है। इसके अलावा इससे निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड गैस भी काफी खतरनाक होती हैं। इन गैसों से कैंसर होने के साथ ही बच्चों की लंबाई भी रुकने का खतरा होता है। प्लास्टिक से सबसे अधिक कार्बनिक यौगिक निकलता है। यह अपने आस-पास के 50 मीटर एरिया में नर्वस सिस्टम और फेफड़ों को प्रभावित करता है। वहीं, फाइबर जलाने से निकलने वाले धुएं से खतरनाक गैस पॉलीसाईक्लिक हाईड्रोकार्बन और पॉलीक्लोरिनेटेड डाईबेन्जोफ्योरान्स निकलती है। यह गैस बच्चों में घबराहट पैदा करने के साथ ही कैंसर की जड़ बनती है। वहीं घर की सामग्री के कूड़े से सबसे अधिक कार्बन डाईऑक्साइड निकलता है। किसी व्यक्ति की आंखें अगर इससे 30 मिनट तक लगातार संपर्क में रहें तो उसे मोतियाबिंद की प्रॉब्लम हो सकती है।

कूड़ा जलाना है अपराध

बता दें, सिटी के एरिया में इधर-उधर कूड़ा फेंकने के साथ ही कूड़ा जलाना भी अपराध की श्रेणी में आता है। नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि कूड़ादान में आग किसी भी हाल में नहीं लगाई जा सकती है। जिस कूड़ादान में मेडिकल वेस्ट पड़ा हो, उसमें भी किसी भी हाल में आग नहीं लगाई जा सकती है।

ये है शहर की स्थिति

शहर से निकलने वाला कूड़ा - 608 मीट्रिक टन

लिखित रूप से कूड़ा निस्तारण की जगह - चिलुआताल

शहर में कूड़ा पड़ाव केंद्र - 42

डेली कूड़ा निस्तारण की संभावना - 450 मीट्रिक टन

कूड़ा जलाया जाता है - 50 से 60 मीट्रिक टन

कोट्स

बीच आबादी कूड़ा एकत्रित ही नहीं होना चाहिए। जहां तक यहां खुले में कूड़ा जलाने की बात है पैसा बचाने के खेल में यह आग लगाई जाती है। इससे उठने वाला धुआं शहर की हवा को तो दूषित कर ही रहा है, तापमान भी बढ़ता है। जिसका सीधा असर सेहत पर पड़ता है।

- जितेंद्र द्विवेदी, एनवायर्नमेंटलिस्ट