- चोलापुर में किशोरी के जलने की घटना में घरवालों पर ही उठ रहे सवाल, बदनामी से बचने की दिया होगा घटना को अंजाम

- जलने के लगभग 10 मिनट बाद परिजनों ने मचाया शोर, लड़की पहले रही शांत बाद में दिया बयान

- पैर के तलवे भी जले, जबकि खुद से आग लगाने पर नहीं जलते तलवे

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चोलापुर के नेहियां गांव में जली किशोरी ने खुद को आग लगाई है या फिर उसे जलाया गया है? अब मामला इसको लेकर फंसा है। क्योंकि आग की लपटों से शरीर के उन अंगों को भी नुकसान हुआ है जिनके खुद से आग लगाने पर जलने की संभावना कम ही होती है। ये अंदेशा खुद मंडलीय अस्पताल में किशोरी का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने जाहिर किया है। डॉक्टर्स का कहना था कि किशोरी को लगभग 90 परसेंट से ज्यादा जली हालत में यहां लाया गया और उसका इलाज शुरू हुआ तो उसके पैर के तलवे भी बुरी तरह से जले मिले। जबकि अगर कोई खुद को आग लगाता है तो तलवे के जलने के चांसेज नहीं होते। ऐसा तब होता है जब किसी को जलाया जाए। यानि मामला इज्जत की वेदी पर किशोरी को कुर्बान करने का लग रहा है।

छेद ही छेद हैं इसमें

किशोरी का मंडलीय अस्पताल इस हालत में आना डॉक्टरों को भी परेशान कर रहा है। किशोरी के पिता टेलरिंग शॉप चलाते हैं और उसकी आर्थिक हालत भी ठीक ही है। इसलिए किशोरी को इतनी बुरी हालत में सीधे मंडलीय अस्पताल लाना भी डॉक्टरों को गले के नीचे नहीं उतर रहा है। इसके अलावा डॉक्टरों का कहना था कि उसे 108 नंबर एंबुलेंस सेवा लेकर आई है। उसे आदेश है कि अगर गांव का कोई भी केस होगा तो उसे पहले पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया जाएगा। इसके बाद वहां से रेफर होने पर मंडलीय हॉस्पिटल लाना होगा लेकिन एंबुलेंस स्वास्थ्य केन्द्र या किसी दूसरे अस्पताल पर रुकी ही नहीं है और न ही एंबुलेंस में उसे कोई इंजेक्शन या ड्रिप लगाया गया। जो मेडिकली भी ठीक नहीं है। इसलिए डॉक्टर्स ये आशंका जाहिर कर रहे हैं मामला कुछ गड़बड़ है।

बयान दिया लेकिन बाद में

किशोरी कैसे जली? इसे जानने के लिए पुलिस काफी देर तक परेशान रही। गोसाईपुर चौकी इंचार्ज ने किशोरी का बयान दर्ज किया लेकिन कई राउंड चक्कर लगाने के बाद। पहली बार में किशोरी ने पुलिस से ये कहा कि उसने आग नहीं लगाई लेकिन जब बाद में पुलिस ने पूछताछ की तो उसने आग लगाने की बात कही। इससे पुलिस को भी शक है कि मामला कुछ और हो सकता है। वहीं घर वाले भी पुलिस को कुछ बताने से बचते रहे जबकि ग्रामीणों ने पुलिस को बताया है कि घटना के लगभग दस मिनट बाद परिजनों को पता चला और उन लोगों ने शोर मचाना शुरू किया।

पहले भी हो चुका है इज्जत के नाम पर ऐसा

इज्जत की बलि वेदी पर बच्चों को कुर्बान करने का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2013 में रोहनिया में एक प्रेमी प्रेमिका को उनके घर वालों ने इसी तरह पकड़ा था। जिसके बाद प्रेमिका की हत्या कर दी गई थी। जिसमें पूरा गांव ही गुनाहगार था। इसके अलावा 2015 में ही हरहुआ में एक प्रेमिका को प्यार करने की सजा मिली और उसका बाल मुंडवाने के बाद उसे पूरे गांव में घुमाया गया। ये दो मामले ही ये बताने का काफी है कि आज भी समाज प्यार करने वालों को किस नजर से देखता है और मां-बाप इज्जत से ज्यादा सस्ती बच्चों की जान समझते हैं।