आईपीएल में रेवेन्यू:

आईपीएल में कई रास्तों से पैसा आता है। जिसमें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में रेवेन्यू ब्राडकॉस्टिंग से आता है। इसके बाद इसका दूसरा सोर्स टाइटल सेंसरशिप और कारपोरेट सेंसरशिप है। तीसरा स्रोत फ्रेंचाइजी की नीलामी है। इसके अलावा चौथा और आखिरी रेवेन्यू टिकट की सेल से भी आता है। इसके अलावा अंपायरों की ऑफिशियल स्पॉन्सशिप और ब्रॉडकास्िटंग राइट्स बेचने पर इसे काफी पैसा मिलता है।

ipl में कहां से आता है पैसा? कैसे होता है बीसीसीआई,खिलाडि़यों और फ्रेंचाइजी में बंटवारा

फ्रेंचाइजी में रेवेन्यू:

मीडिया राइट्स से फ्रेंचाइजी को काफी अच्छी कमाई होती है। मल्डीमीडिया स्क्रीन के विज्ञापन से भी इसके करोड़ो की कमाई होती है। स्पॉन्सरशिप के तहत हो 60 फीसदी पैसा इकट्ठा होता है वह फ्रेंचाइजियों में बराबर बराबर बांटा जाता है। लोकल स्पॉन्सरशिप से भी फायदा होता है। इसके अलावा स्टेडियम के अंदर की एडवरटाइजिंग से इसे कमाई होती है। टिकट की जो ब्रिक्री होती है, इससे भी फ्रेंचाइजी को थोड़ा प्रॉफिट मिलता है।

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खिलाड़ियों को रेवेन्यू:

आईपीएल में खेलने वाले खिलाड़ियों पर काफी बड़ा दांव लगा होता है। इसमें खिलाड़ियों की कीमत लाखों से करोंड़ो तक होती है। ऐसे में इन खिलाड़ियों को बेसिक एग्रीमेंट में जो पैसा तय होता है वह तो मिलता ही है। इसके अलावा उन्हें प्राइज मनी, बाउंसेस के रूप में जो टीम का फिनिशर होता है। इसके अलावा सैलरी और उनका डेली एलाउंज तय होता है।

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आईपीएल फ्रेंचाइजी को देता:

आईपीएल से फ्रेंचाइजी को पैसा मिलता है। आईपीएल को बॉडकॉस्टिंग राइट्स से होने वाले लाभ में इसकी भी हिस्सेदारी होती है। इसके अलावा स्पॉन्सरशिप में भी यह आईपीएल से लेती है। एडवरटाइजिंग और खुद की स्पॉन्सरशिप से भी फ्रेंचाइजी को लाभ मिलता है। टिकट ब्रिकी में भी आईपीएल कुछ हिस्सा फ्रेंचाइजी के साथ शेयर करता है।

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आईपीएल और फ्रेंचाइजी में बंटवारा:  

आईपीएल की कमाई में 40 फीसदी आईपीएल के खाते में रहता है। इसके अलावा 54 फीसदी फ्रैंचाइजी के खाते में जाता है। छह फीसदी प्राइज मनी पर खर्च आता है। हालांकि यह करार बस अगले साल यानि की 2017 तक है। इसके बाद 50 फीसदी आईपीएल के पास, 45 फीसदी फ्रैंचाइजी के पास और पांच फीसदी प्राइज मनी के लिए रिजर्व हो जाएगा।

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