- अधिकतर व्यवसायियों ने आईडीएस कंपनी से बदलवाए सॉफ्टवेयर

- कई जगह हार्डवेयर भी अपडेट किये गए, दो माह पहले से चल रही थी तैयारी

RANCHI (1 July) : शनिवार से लागू हुए गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी की तैयारी रांची के व्यापारियों ने दो माह पहले ही शुरू कर दी थी। जिन व्यापारियों ने केवल सॉफ्टवेयर अपडेट कराया है, उन्हें ढाई से तीन लाख रुपए तक खर्च करने पड़े। इसमें सॉफ्टवेयर से लेकर इनपुट और ट्रेनिंग तक शामिल है। इसी क्रम में कुछ बड़े व्यापारियों ने तो अपने यहां मौजूद हार्डवेयर सिस्टम को भी बदल डाला। इसमें उन्हें क्भ् लाख रुपए तक खर्च करने पड़े।

दो महीने तक करनी पड़ी कसरत

सिटी के मशहूर रेस्टोरेंट कावेरी के संचालकों ने बताया कि उन्होंने दो महीने पहले से ही सॉफ्टवेयर अपडेट का काम शुरू कर दिया था। उन्होंने आईडीएस कंपनी से सॉफ्टवेयर लिया है। इसी प्रकार कैपिटोल हिल होटल्स समूह के संचालकों ने तो अपने यहां का सर्वर भी बदल डाला। चूंकि सारे कंप्यूटर और सर्वर क्भ् साल पुराने हो चुके थे, इसलिए इसी मौके पर उन्हें बदल दिया गया। इसमें क्भ् लाख रुपए लग गए।

मिड नाइट में ही किया रिहर्सल

सिटी के कई बड़े व्यावसायियों ने बीती रात क्ख् बजे के बाद जीएसटी अपडेट कर रसीद निकालने का रिहर्सल कर लिया था। इसके बावजूद शनिवार को दिन के क्क् बजे तक खरीदारी नहीं हुई। क्ख् बजे के बाद ही बिलिंग शुरू हुई। हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से जुड़े व्यापारियों ने अपने यहां ठहरे मेहमानों का फ्0 जून तक का बिल अलग निकाल कर रख लिया। जब वे चेक आउट करेंगे, तो उन्हें दो बिल दिये जाएंगे। एक बिल में पुराने टैक्स सिस्टम से कर लिया जाएगा, तो दूसरा बिल क् जुलाई से शुरू होगा, जिसमें जीएसटी जोड़ कर बिल दिया जाएगा

कोट

होटल का संचालन कभी आसान नहीं रहा, लेकिन अब जीएसटी को मैनेज करने के लिए किसी एक्सपर्ट का सहारा जरूर लेना होगा। इसके बावजूद इसकी अच्छाइयों से इंकार नहीं किया जा सकता। अज पहला ही दिन है, इसलिए इस सिस्टम को समझने के लिए व्यावसायी और ग्राहक दोनों ही वक्त ले रहे हैं। जल्द ही सब कुछ सामान्य होगा।

संजय भाटिया

अभी व्यापारियों को भी इस बात की पूरी जानकारी नहीं है कि बिलिंग कैसे होगी, टैक्स कैसे कलेक्ट किया जाएगा और इसे सरकार को कैसे देना होगा। लेकिन, गुजरते दौर के साथ लॉन्ग टर्म में इसका फायदा देखने को मिलेगा। कपड़े के व्यापार में हजार रुपए तक में भ् परसेंट और हजार से ऊपर में क्ख् परसेंट टैक्स है।

राजेंद्र जैन

जीएसटी को लेकर हमने कड़ी मेहनत की। कई दिनों तक इसका सॉफ्टवेयर अपडेट कराया। बिलिंग की मुकम्मल व्यवस्था की और सबकुछ सुचारू तरीके से लागू किया। सरकार का यह कदम बेहद क्रांतिकारी है। इसे समझने में भले ही कुछ दिन समय लगे, लेकिन जब यह आम चलन में आ जाएगा, तो किसी को परेशानी नहीं होगी।

रंजन कुमार

शुक्रवार की रात को जमकर खरीदारी हुई। लोग जीएसटी से पहले ख् परसेंट कम चार्ज लगने की छूट को देखते हुए खूब खरीदारी कर रहे थे। लेकिन, शनिवार को कम ही ग्राहक आए। वैसे लोगों में जैसे-जैसे अवेयरनेस बढ़ेगा, वैसे-वैसे बाजार की रौनक भी लौटेगी और खरीदारी में तेजी आएगी।

स्वरूप कुंडू

बाजार में जीएसटी को लेकर अभी थोड़ी बेचैनी है। जिस प्रकार व्यापारियों अभी जीएसटी को समझ रहे हैं, उसी प्रकार ग्राहक भी समय लेकर खरीदारी करने के मूड में नजर आ रहे हैं। वैसे ज्वेलरी व्यवसाय पूरी तरह से ग्राहकों की जरूरत पर आधारित है। लोग जल्द ही खरीदारी के लिए दुकानों में आएंगे।

अम्ब्रीश रोहतगी

सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। बेशक शुरुआत में थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन आगे चलकर इस कर व्यवस्था का लाभ ही होगा। आम लोगों के लिए अभी इसे समझने में थोड़ी कठिनाई हो रही है। मॉल में मौजूद सामान में भ् से लेकर ख्8 फीसदी तक टैक्स का प्रावधान है। हमारी तैयारी पक्की है।

अनिल सेठी

रेस्टोरेंट में जीएसटी का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। हमारे यहां (कावेरी) पहले की ही तरह ग्राहक आए। इसकी एक वजह यह भी है कि पहले वैट क्ब्.भ् परसेंट लगता था और दूसरे टैक्स भ् परसेंट के आसपास थे, जो कुल मिलाकर ख्0.भ् परसेंट होते थे। अब यह घटकर क्8 परसेंट हो गया है। यह अच्छा ही है।

करण वीर भाटिया

आम लोगों के लिए बाहर खाना सस्ता ही हुआ है। इससे रेस्टोरेंट के व्यवसाय में कोई फर्क नहीं पड़ा है। जिन्हें आउटिंग करनी है, वे आ ही रहे हैं और आगे भी आते ही रहेंगे, क्योंकि जीएसटी से उन पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। दूसरे सेक्टर में भले ही कुछ दिन मंदी दिखे, लेकिन बाद में सब ठीक हो जाने की उम्मीद है।

कंवल भाटिया