95 परसेंट हुआ भुगतान

मिसाइल बनाने वाली बेंगलुरु की कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड को इसको बनाने के एवज में 95 परसेंट भुगतान (करीब 3600 करोड़ रुपये) किया जा चुका है। रिपोर्ट में बताया गया है कि टेस्टिंग के दौरान मिसाइल लक्ष्य से कम दूरी पर ही गिर गई, इसकी क्वालिटी कमजोर दिखी। रिपोर्ट में बताया गया है कि कॉन्ट्रैक्ट हुए सात साल का समय बीत चुका है। आकाश और इसके नए संस्करण आकाश एमके -2 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली का विकास 18 से 20 किलोमीटर की दूरी में दुश्मनों के ठिकानों पर निशाना साधने के लिए किया गया है।

 

बॉर्डर पर नहीं तैनात हुआ मिसाइल सिस्टम

कैग ने अपनी रिपोर्ट में एयरफोर्स के स्ट्रैटजिक मिसाइल सिस्टम की तैनाती में देरी पर चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में तैयार मिसाइल सिस्टम को चीन बॉर्डर पर 2013 से 2015 के बीच 6 ठिकानों पर तैनात किया जाना था, लेकिन उन ठिकानों पर कंस्ट्रक्शन में देरी के चलते 3619.25 करोड़ रुपये की कॉस्ट से तैयार एक भी मिसाइल सिस्टम को आज तक तैनात नहीं किया जा सका।

 हथियारों पर भी उठे सवाल

इससे पहले कैग अपनी रिपोर्ट में देश की सुरक्षा को लेकर हथियारों पर भी सवाल उठा चुका है। रिपोर्ट में कहा गया था कि ज्यादा दिन तक चलने वाले युद्ध के लिए सेना के पर्याप्त हथियार नहीं हैं। हालांकि इस संबंध में डिफेंस मिनिस्टर स्पष्ट कर चुके हैं कि रक्षा बल के पास पर्याप्त मात्रा में गोला-बारूद है। कैग ने कहा था कि 152 प्रकार के हथियारों में से 121 युद्ध के आवश्यक न्यूनतम मानकों के अनुरूप नहीं हैं।

क्या है रिपोर्ट में

-टेस्टिंग के दौरान मिसाइल लक्ष्य से कम दूरी पर ही गिर गई।

-मिसाइल की क्वालिटी टेस्टिंग के दौरान कमजोर दिखाई दी।

-मिसाइल की कई महत्वपूर्ण इकाइयां खराब चल रही थीं।

-छह चिन्हित स्थानों में से एक पर भी मिसाइल को इन्स्टॉल नहीं किया जा सका है।

-देश युद्ध के दौरान एक जोखिम के दौर से गुजर सकता है।

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