-स्कूल्स की लापरवाही पड़ सकती है बच्चों की जिंदगी पर भारी

-पुरानी फिल्मों में बदमाशों की पहचान रही मेटाडोर व मिनी बसें ढो रही हैं बच्चों को, RTO है चुप

VARANASI : किसी वक्त फिल्म डॉन में अमिताभ बच्चन के गैंग में शामिल मेटाडोर को भले ही कंपनी ने बनाना बंद कर दिया हो, यही नहीं आरटीओ की ओर से भी इस व्हीकल को कंडम गाडि़यों की लिस्ट में शामिल कर इसे सड़क से आउट कर दिया गया हो लेकिन ये कंडम गाडि़यां आज भी न सिर्फ सड़कों पर दौड़ रही हैं बल्कि हमारी और आपकी जान से खिलवाड़ भी कर रही हैं। जान का मतलब बच्चों से है। दरअसल मेटाडोर, मिनी बस सहित कई ऐसे व्हीकल्स हैं जिनको बनाने वाली कंपनियों ने कई साल पहले ही इनकी मैन्युफैक्चरिंग बंद कर दी है। इसके बाद भी ये गाडि़यां स्कूली बच्चों को ढोने का काम कर रही हैं। मजे की बात ये है कि इसकी जानकारी इन कंडम गाडि़यों को रोकने के जिम्मेदार आरटीओ ऑफिसर्स को भी है लेकिन वे चुप्पी साधे हैं।

ख्00 से ऊपर हैं ऐसे वाहन

आरटीओ के सूत्रों की मानें तो कंडम हो चुके स्कूल वाहन जो सड़क पर दौड़ रहे हैं। उनकी संख्या ख्00 से ऊपर है। ऐसे वाहनों को हर साल जांच के दौरान पकड़ा भी जाता है लेकिन स्कूलों के दवाब के कारण इनको छोड़ दिया जाता है। इस साल भी आरटीओ की ओर से चले अभियान में ऐसे एक दर्जन से ज्यादा वाहन पकड़े गए हैं जो कंडम हो चुके हैं। इस बाबत एआरटीओ प्रवर्तन आरएस यादव का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी अपना काम बखूबी कर रहे हैं। स्कूली वाहनों में ओवरलोडिंग व बगैर परमिट दौड़ रहे वाहनों के अलावा कंडम वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है लेकिन इसके साथ ही पेरेंट्स को भी सचेत होना पड़ेगा। उन्हें ये देखना होगा कि उनका बच्चा जिस वाहन से स्कूल जा रहा है उसमें वह सेफ है या नहीं।

हाईलाइट्स

- मेटाडोर, मिनी बस व एलपीजी लगी वैन दौड़ रही हैं स्कूल व्हीकल्स के तौर पर।

- जबकि मेटाडोर समेत पुराने वक्त की मिनी बसें हो चुकी हैं बंद।

- क्भ् साल बाद किसी भी गाड़ी की लाइफ हो जाती है खत्म।

- इसके बाद भी ख्भ् से फ्0 साल पुरानी गाडि़यों में ढोये जा रहे हैं स्कूली बच्चे।

-ऐसी गाडि़यां हैं अनफिट और न ही है इनके पास है परमिट।

- बड़ी गाड़ी होने के नाते ड्राइवर्स भी बच्चों को भरते हैं ठूस ठूस कर।