PATNA : बिहार सरकार ने पुरुष कर्मियों के लिए पितृत्व अवकाश को लेकर नया स्पष्टीकरण जारी किया है। इसमें कहा गया है कि पिता बनने वाले कर्मचारी अपना पितृत्व अवकाश पत्नी के प्रसव से क्भ् दिनों पूर्व या फिर प्रसव के छह माह बाद तक ले सकते हैं। अगर वे इस अवधि में यह अवकाश नहीं लेते हैं तो उनके क्भ् दिनों का पितृत्व अवकाश लैप्स माना जाएगा.यह स्पष्टीकरण वित्त विभाग ने जारी किया है। इसमें मातृत्व व पितृत्व अवकाश को लेकर सरकार ने कई तरह की नयी बातें कही हैं।

दो ही संतानों के लिए अवकाश

नए स्पष्टीकरण के अनुसार किसी भी राज्यकर्मी, पुरुष या महिला, उन्हें पूरे सेवाकाल में केवल दो ही संतानों के लिए यह अवकाश देय होगा। अगर किसी पुरुष या महिलाकर्मी को सरकारी सेवा में आने से पहले ही दो जीवित संतान हो चुके हैं तो उन्हें इस अवकाश का सवैतनिक लाभ नहीं दिया जाएगा। तीसरे संतान के लिए उन्हें इसके लिए अर्जित अवकाश दिया जा सकता है।

और क्या कहा गया है

इस स्पष्टीकरण में कहा गया है कि मातृत्व अवकाश की कालावधि उसके प्रारंभ होने की तिथि से साढे़ चार माह तक या प्रसव तिथि के छह सप्ताह तक, जो भी पहले हो, बढ़ाई जा सकती है। दो से कम जीवित संतान वाली महिला सरकारी सेवक छुट्टी प्रारंभ की तिथि से क्फ्भ् दिनों की अवधि के लिए प्रसव अवकाश पर जा सकेंगी। परंतु यह वैसी महिला सरकारी सेवक के संबंध में भी लागू होगा जो पहले ही प्रसव अवकाश पर जा चुकी है या उनका प्रसव अवकाश समाप्त नहीं हुआ है।

अवकाश का भी प्रावधान

वित्त विभाग ने क्9 जनवरी, ख्0क्भ् को महिला कर्मियों के लिए मातृत्व अवकाश क्फ्भ् से बढ़ाकर क्80 दिनों का कर दिया है। इसके अलावा अवयस्क संतान वाली महिला कर्मियों को उसकी संपूर्ण सेवा-अवधि में केवल दो संतानों के लिए उनकी परीक्षा या बीमारी में उनके पालन-पोषण के लिए दो वर्ष के लिए शिशु देखभाल अवकाश का भी प्रावधान किया गया है। लेकिन इस अवधि में मूल वेतन, ग्रेड पे, महंगाई भत्ता एवं मकान किराया ही देय होगा। स्वीकृत अवकाश के उपभोग के क्रम में स्थानांतरण हो जाने पर सरकारी सेवक को नए स्थान पर योगदान या कार्यभार ग्रहण करने से पहले तक अवकाश अवधि के वेतन का भुगतान पूर्व स्थापना से ही किया जाएगा।