- नॉमिनेशन के आठ दिन बीत जाने के बाद भी नहीं मांगा गया चुनावी खर्चे का ब्यौरा

- नॉमिनेशन फॉर्म के साथ जारी कर दिया गया था नोटिस

- न तो कैंट बोर्ड और न ही रिटर्निग ऑफिसर के थू्र लगाए ऑब्जर्वर

- अब तक का कोई रिकॉर्ड कैंट बोर्ड रिटर्निग ऑफिसर के पास नहीं

Meerut : कैंट बोर्ड और रिटर्निग ऑफिसर की लापरवाही की वजह से उन मेंबर्स की बल्ले हो गई है जो नॉमिनेशन के दिन से अब तक लाखों रुपए खर्च कर चुके हैं और कैंट बोर्ड और रिटर्निग ऑफिसर के बहीखातों में उन खर्चो का ब्यौरा पूरी तरह से सिफर है। ताज्जुब की बात तो ये है कि नॉमिनेशन फॉर्म के साथ हफ्तेभर में चुनावी खर्चे का ब्यौरा देने का नोटिस देने वाला कैंट बोर्ड अभी तक सभी प्रत्याशियों के रजिस्टर तक तैयार नहीं किए हैं। साथ ही इन लोगों के नजर रखने वाली मोबाइल टीम और ऑब्जर्वर तक डिसाइड नहीं हुए हैं।

तो कुछ खर्च नहीं किया प्रत्याशियों ने

रोजाना प्रचार, लेट नाइट पार्टियां, बैनर, होर्डिग पर होने वाला खर्च लाखों रुपए बैठ चुका है। पिछले आठ दिनों से पूरी तरह से प्रचार प्रसार पूरी तरह से जारी है। एक दो नहीं बल्कि पूरे 9ख् प्रत्याशी इस काम पूरी तरह से जुटे हुए हैं, लेकिन कैंट बोर्ड और रिटर्निग ऑफिसर के पास इन खर्चो का कोई रिकॉर्ड नहीं है। न ही अभी तक ऐसा लेटर भी भेजा है। इसका मतलब साफ है कि कैंट बोर्ड और रिटर्निग ऑफिसर की नजर में प्रत्याशियों का खर्चा सिफर है।

हफ्तावार देना था हिसाब

नियम के मुताबिक नॉमिनेशन के दिन से ही चुनावी खर्चे का हिसाब शुरू हो जाता है। कैंट बोर्ड के नियम के मुताबिक हफ्ते में एक बार चुनावी खर्च का ब्यौरा देना था। नॉमिनेशन हुए आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई हिसाब नहीं दिया गया। अधिकारियों की मानें तो नॉमिनेशन फॉर्म के साथ सभी आचार संहिता की कॉपी थमा दी गई थी, जिसमें हफ्ते भर में रिपोर्ट करने की बात थी, लेकिन न तो रिटर्निग ऑफिसर की ओर से कोई नोटिस जारी हुआ और न ही कैंट बोर्ड की ओर से।

नहीं तैयार किए रजिस्टर

कैंट बोर्ड की लापरवाही आलम ये है कि अभी तक वो रजिस्टर तक तैयार नहीं हुए हैं, जिनमें प्रत्याशियों के खर्चो का ब्यौरा अंकित होना है। जब इस बारे में कैंट बोर्ड के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रकाशन के लिए रजिस्टर भेज दिए गए हैं। दो दिन में रजिस्टर कैंट बोर्ड में आ जाएंगे। जानकारों की मानें तो ये रजिस्टर नॉमिनेशन से पहले ही तैयार हो जाने चाहिए थे।

नहीं हो सकेगी जांच

पिछले आठ दिनों में किस प्रत्याशी में किस मद में कितना खर्च किया इस बारे में पता कभी चल नहीं पाएगा। न ही इसका कोई रिकॉर्ड कैंट बोर्ड रिटर्निग के पास है। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि रिटर्निग ऑफिसर और कैंट बोर्ड की ओर से न तो कोई मोबाइल टीम और न ही ऑब्जर्वर टीम गठित की थी। अगर अब भी कोई प्रत्याशी अपना खर्चा दें भी दे तो कैसे पता चलेगा कि प्रत्याशी ने जो ब्यौरा दिया है सही भी है गलत? ये सबसे बड़ा सवालिया निशान है।

कैंट बोर्ड की ओर से दो मोबाइल टीम बनाई जा रही हैं। जिनमें चार-चार ऑब्जर्वर और एक-एक वीडियोग्राफर होगा। वहीं चुनावी खर्चे का रजिस्टर भी दो दिनों में तैयार हो जाएंगे।

- एमए जफर, पीआरओ, कैंट बोर्ड