- खेल संघों की नेशनल बॉडी में लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू

- प्रदेश में इन सिफारिशों के लागू ना संघों में बढ़ रही है मनमानी

LUCKNOW: खेल संघों की नेशनल बॉडी में भले ही लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू कर दी गई हो, लेकिन यूपी में मौजूद मठाधीश खेल संघों पर इसका कोई असर नहीं है। हाल यह है कि कई खेल संघों में वर्षो से लोग जमे बैठे हैं। संघों के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज लोग भले ही खिलाड़ी ना रहे हो, लेकिन अपने खेल के वे बेताज बादशाह बने बैठे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं यह लोग मैदान में दिन भर मेहनत करने वाले खिलाडि़यों का भविष्य भी तय कर रहे हैं। किसी खिलाड़ी ने इनके खिलाफ जाने की हिमाकत की तो उसका भविष्य चौपट। यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव डॉ विजय सिन्हा पिछले कई सालों से अपने पद पर मौजूद थे। इसी के चलते इनकी तानाशाही बढ़ती गई। विजय सिन्हा ही नहीं कई अन्य खेल संघ भी ऐसे हैं जहां पर लोगों ने कब्जा कर रखा है।

सचिव का कार्यकाल चार साल

यूपी से संचालित होने वाले विभिन्न खेल संघ के सचिव कई वर्षो से डटे हुए हैं। इन पर लगाम लगाने के लिए खेल मंत्रालय ने खेल अधिनियम के तहत कई व्यवस्थाएं की, लेकिन खेल संघ पर इनका कोई असर नहीं पड़ा। अधिनियम के तहत यूपी में विभिन्न खेल संघ में सचिव का कार्यकाल आठ साल का होगा। इसमें भी एक बार चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उसे अगले कार्यकाल से एक ब्रेक लेना होगा। दो कार्यकाल पूरा करने वाले सचिव फिर से इस पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। फिलहाल इस फैसले को नेशनल बॉडी ने मान लिया है। वहां पर कई बदलाव भी हो चुके हैं। जिन लोगों ने बदलाव नहीं किए थे, ओलम्पिक कमेटी ने भी इस मामले में भारत सरकार का साथ दिया था। लेकिन प्रदेश के खेल संघों ने इसका विरोध कर दिया है। डॉ विजय सिन्हा पिछले 30 सालों से यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव रहे।

बिना मर्जी नहीं हिलेगा पत्ता

खेल संघ के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों के ना हटने से इनकी मनमानी बढ़ने लगती है। वे अपने चाहने वालों और घर के लोगों को इसमे शामिल कर लेते हैं। डॉ विजय सिन्हा ने भी अपने बेटे निशांत सिन्हा को अपनी मर्जी से संघ में संयुक्त सचिव का पद दे दिया। बस यहीं से निशांत ने बैडमिंटन के खिलाडि़यों पर तानाशाही शुरू कर दी। यूपी बैडमिंटन अकादमी की तरफ तो तहरीर पुलिस को दी गई है, उसमें यह आरोप लगाया है कि निशांत खिलाडि़यों से मोटी रकम वसूलता था। खेल संघों को खेल विभाग से सुविधा लेने का तो अधिकार है, लेकिन खेल विभाग किसी भी खेल संघ से कुछ भी पूछताछ नहीं कर सकता है। आईटीआई की दायरे से भी खेल संघों के बाहर होने से उसे फायदा मिल रहा है।

लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें

- 70 साल से अधिक का व्यक्ति किसी भी बॉडी में किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं होगा

- संघ के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष के पद पर कोई भी व्यक्ति तीन टर्म रह सकता है। एक टर्म चार साल का होगा

- लगातार दो टर्म पर तो कोई व्यक्ति रह सकता है लेकिन उसके बाद अगले टर्म के लिए उसे एक ब्रेक लेना होगा

खेल सुधारने के लिए जो नियम बनाए गए थे, वे बिल्कुल सही हैं। खेल संघों को उनका पालन करना चाहिए। जब किसी एक के पास पद पहुंच जाएगा तो वह मनमानी करना शुरू कर देगा।

लक्ष्मण अवार्डी

पूर्व वेटलिफ्टिंग प्लेयर

ये हैं खेल संघ सचिव

यूपी खेल संघ सचिव कार्यकाल

फुटबॉल मो। शम्सुद्दीन 23 साल से अधिक

टेबल टेनिस अरुण कु। बनर्जी 23 साल से अधिक

कुश्ती प्रेम कुमार मिश्रा 15 साल से अधिक

तैराकी रविन कपूर 10 साल से अधिक

बास्केटबॉल भूपेन्द्र शाही 18 साल से अधिक

ताइक्वांडो सीके शर्मा 16 साल से अधिक

साइकलिंग आरसी रस्तोगी 20 साल से अधिक

एथलेटिक्स संघ पीके श्रीवास्तव 18 साल से अधिक

तीरंदाजी अजय कुमार गुप्ता 16 साल से अधिक

घुड़सवारी सलमान सईद 12 साल से अधिक

टेनिस सीपी कक्कड़ 20 साल से अधिक

बैडमिंटन डॉ। विजय सिन्हा 25 साल से अधिक

हैंडबॉल आनंदेश्वर पांडेय 22 साल से अधिक

याचिंग डॉ। अनिल अग्रवाल 8 साल से अधिक

वुशू मनीष कक्कड़ 8 साल से अधिक

चेस एसो। एसके तिवारी चार साल से अधिक

रोइंग हरीश चंद्र शर्मा दूसरा टर्म

नियम पर खरे

यूपी खेल संघ सचिव कार्यकाल

नेटबॉल नरेंद्र शर्मा तीन साल से अधिक

खो-खो विनोद कुमार सिंह तीन साल से अधिक

भारोत्तोलन रंजीत सिंह यादव तीन साल से अधिक

क्याकिंग व कैनाइंग डीपी सिंह तीन साल से अधिक

हॉकी एसो। डॉ आरपी सिंह तीन साल से अधिक

वॉलीबाल विवेक सिंह दो साल से अधिक

रायफल रामेन्द्र शर्मा एक साल से अधिक

बॉक्सिंग अनिल मिश्रा तीन साल से अधिक

ट्रायथलान एसएस दत्ता तीन साल से अधिक

तलवारबाजी यूजिन पाल पहला टर्म

जूडो आयशा पहला टर्म

सचिव के बार-बार बदलने से संघ को इंटरनेशनल लेवल पहचान कभी नहीं मिल पाएगी। इसके लिए सरकार को सचिव पद के लिए एक उम्र निर्धारित करनी होगी। कई खेल संघों में ऐसे लोग हैं जिनकी उम्र 65 और 70 से ऊपर है। फिर भी संघ के सचिव बने हुए हैं। भले ही वह ठीक से चल ना पाते हो और ना ही उन्हें ठीक से दिखाई देता हो।

-आनंदेश्वर पांडेय

सचिव, यूपी ओलम्पिक एसोसिएशन

लोढ़ा समिति की सिफारिशों को यूपी में भी लागू किया जाना चाहिए। इससे खेल का ही भला होगा। लोग अपनी मनमानी नहीं कर सकेंगे। मैने खुद जूडो एसोसिएशन के सचिव पद इसी लिए छोड़ा। हां एक बात और कि संघ में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़नी चाहिए, जिससे इस तरह के मामले ना हो।

मुनव्वर अंजार

पूर्व सचिव यूपी जूडो एसोसिएशन