-मथुरा प्रशासन बार-बार हादसों के बाद भी नहीं जागा

-पुलिया पर न तो साइन बोर्ड और न लगा है ब्लिंकर

BAREILLY: जिस पुलिया पर हादसा हुआ है वह काफी संकरी है। इस पुलिया पर न तो कोई दिशा सूचक लगे हैं और न ही कोई रात में चमकने वाले ब्लिंकर लगे हैं। यही वजह है कि ड्राइवर रात में वाहन तेजी से चलाते हैं और अचानक संकरी पुलिया आने पर समझ नहीं पाते हैं और नहर के अंदर समा जाते हैं। पुलिया की रेलिंग भी टूटी हुई है। इस पुलिया में एक कार गिरी थी, जिसमें भी एक साथ 12 लोगों की मौत हुई थी। कुछ दिनों पहले आल्टो कार अंदर जाने से तीन लोगों की मौत हुई थी। एक बार बस भी नहर में गिर चुकी है। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन ने न तो नई पुलिया बनाकर मार्ग को चौड़ा किया और न ही यहां पर हादसे रोकने के कोई इंतजाम किए।

बरेली में भी कई जगह हैं एेसी पुलिया

मथुरा के मकेरा गांव के पास ही हाइवे पर संकरी पुलिया नहीं है। बल्कि पूरे प्रदेश में ऐसी कई जगह जानलेवा पुलिया हैं। पीडब्ल्यूडी व एनचआईए रोड तो चौड़ी कर रही है, लेकिन नई पुलिया नहीं बना रही हैं। जिसकी वजह से आए दिन हादसे होते रहते हैं। बरेली में बीसलपुर रोड पर देखें तो कुआंडांडा के पास नहर भी पुलिया संकरी थी। कुछ महीने पहले पुलिया टूटने से दो बाइक सवारों की गिरकर मौत हो गई थी, जिसके बाद पुलिया को चौड़ा किया गया था। तीन किलोमीटर और चलने पर भी एक और पुलिया संकरी है। बीसलपुर रोड पर हरुनगला के पास भी नकटिया नदी पर संकरी पुलिया है, जिसकी वजह से अक्सर रोड एक्सीडेंट होते हैं। बीसलपुर के पास बीसलपुर मोड़ पर भी संकरी पुलिया है। रोड पर ही बिलसंडा से बंडा के बीच में मकसूदापुर के पास नहर पर पुलिया संकरी है।

सभी नहरों पर संकरी है पुलिया

पीलीभीत रोड की बात करें तो रिठौरा से पहले नहर पर पुलिया संकरी है। इस पर भी कई बार हादसे हो चुके हैं। नवाबगंज से हाफिजगंज के बीच में भी पुलिया संकरी है। शाहजहांपुर रोड की बात करें तो फतेहगंज पूर्वी के पास भी संकरा पुल है। पुल टूटकर गिर चुका है, जिसके बाद ही पुल को चौड़ा किया गया। बीसलपुर से निगोही रोड पर जाएं, तो यहां भी निगोही से दो किलोमीटर पहले नहर पर संकरी पुलिया है। गोला से मोहम्मदी रोड पर ममरी के पास नहर पर पुलिया संकरी है। निगोही से पुवायां रोड पर भी शारदा नहर पर संकरी पुलिया है। फरीदपुर से भुता मार्ग पर फैजनगर के पास बहगुल नदी का पुल भी टूटा हुआ है।

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सिर्फ 5 घंटे का ही रहा सफर

राजू चाय और नाश्ता कॉर्नर के संचालक राजू की बेटी खुशबू बीएससी में पढ़ती थी। बेटी मानसी ने इंटर फ‌र्स्ट क्लास पास किया था। बेटा रितिक दसवीं और हार्दिक 9वीं क्लास का छात्र था। मानसी का दो दिन पहले ही रिजल्ट आया था और वह फ‌र्स्ट क्लास पास हुई थी। राजू की बहन पूनम पत्‍‌नी कृष्ण बिलासपुर डिस्ट्रिक्ट रामपुर में रहती थी। उसकी बेटी सुरभि खुसरो कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई कर रही थी। बेटे रोहन की छुट्टियां चल रहीं थी। दो दिन पहले पूनम रोहन के साथ छुट्टियां मनाने मां के घर आयी थी। मानसी की मां ने बोला था कि अच्छे नंबर से पास होने पर सभी बालाजी दर्शन के लिए जाएंगे। रिजल्ट आने पर राजू ने सैटरडे बालाजी दर्शन करने का मन बना लिया। उन्होंने बहन पूनम से चलने के लिए कहा, लेकिन पूनम ने मां के साथ रहने की बात कही। पूनम के बेटे रोहन ने जाने की जिद की तो वह भी साथ में चली गई। दोनों का परिवार करीब 5 घंटे ही कार में साथ रहा और फिर काल के मुंह में समा गया।

मुझे पता होता तो कमरे में बंद कर देती

राजू की मां सीता रानी बार-बार मनहूस घड़ी को याद कर रो पड़ती हैं। वह रोते-रोते कहतीं हैं कि मुझे पता होता तो मैं राजू और पूरे परिवार को कमरे में बंद कर देती और उन्हें घर से बाहर ही नहीं निकलने देती। मेरा तो बुढ़ापे का सहारा ही छिन गया। सीतारानी के पति की काफी समय पहले ही मौत हो चुकी है। पति की मौत के बाद ही उन्होंने घर की जिम्मेदारी उठा ली थी और दुकान खोली थी। दोनों भाई चाय और पान की दुकान से परिवार चला रहे थे। अब सीता रानी बुढ़ापे में आराम करना चाहती थीं, लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था।

70 हजार रुपए लेकर निकले थे

राजू की मां ने बताया कि राजू घर से 70 हजार रुपए लेकर निकले थे। उन्होंने कहा भी था कि इतने रुपये क्यों ले जा रहे हो तो राजू ने कहा था कि घूमने जा रहे हैं, बच्चे आराम से खर्च करें और किसी को कोई प्रॉब्लम न हो। इसलिए बच्चों को भी 10-10 हजार रुपए रखने के लिए दे दिए थे। राजू सबसे पहले बालाजी दर्शन के लिए निकले थे। वहां से जाने के बाद मथुरा और गोवर्धन में भी दर्शन करने जाते और उसके बाद आगरा में घूमते लेकिन कहीं पहुंचने से पहले ही सभी नहर में डूबकर मौत हो गई।

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बरेली को लगी किसी की नजर

पिछले कुछ दिनों से बड़े हादसों में बरेली जिले का नाम जरूर शामिल हो रहा है, जिससे सभी के मन में एक सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या किसी को बरेली की नजर लग गई है। हालांकि यह एक अंधविश्वास ही है, लेकिन लोग ऐसा ही बोल रहे हैं। 3 जून की रात को भी बरेली के बिथरी चैनपुर में बड़ा बाईपास पर बस हादसा हुआ था। ट्रक की टक्कर से बस में आग लग गई थी, जिसमें 25 यात्री जिंदा जल गए थे और 15 लोग घायल हो गए थे। यही नहीं मुरादाबाद में प्रेमनगर के रहने वाले परिवार के 5 लोगों की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। अब एक बार फिर से बरेली के 10 लोगों की मथुरा में हुए हादसे में मौत हो गई। बरेली निवासी तीनों हादसों को सुनकर सिहर जा रहे हैं। कोई कह रहा है कि न जाने कब कोई बड़ा हादसा हो जाए। कोई परिवार के एक साथ न जाने की बात कह रहा है तो कई रात में जाते वक्त न सोने की बात कह रहा है। क्योंकि तीनों हादसे रात 12 बजे से सुबह 4 बजे के बीच में ही हो रहे हैं। इस दौरान लगभग सभी को नींद आ जाती है।