2 साल पहले तक दुनिया भर के एक्सपर्ट इंडिया के ऑटो सेक्टर को चीन से ज्यादा परिपक्व और संभावनाओं वाला बता रहे थे. मगर आज यह सेक्टर पिछले 12 साल के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. फरवरी, 2013 में ऑटो कंपनियों की सेल में लगभग 26 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई है.

भयंकर सुस्ती को देखते हुए कंपनियों ने उत्पादन घटाना शुरू कर दिया है. जानकारों का कहना है कि अगले फाइनेंशियल ईयर के  दौरान भी इसमें सुधार आने की संभावना नहीं है.

बजट ने बिगाड़ा खेल

फरवरी में कुल 1 लाख 58 हजार 513 कारों की बिक्री हुई है. यह पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 25.7 परसेंट कम है. अगर करंट फाइनेंशियल ईयर के पहले 11 महीनों की बात करें तो सेल में 4.6 परसेंट की गिरावट आई है. ऐसे में साल 2002-03 के बाद पहली बार इस फाइनेंशियल ईयर में ऑटो की सालाना बिक्री घटेगी.

स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स (एसयूवी) को छोड़ दें तो अन्य डीजल वाहनों की बिक्री भी घट रही है. बजट में एसयूवी पर उत्पाद शुल्क बढ़ा देने के बाद इनकी बिक्री और घट सकती है. वाणिज्यिक वाहनों (ट्रक, बस आदि) की बिक्री फरवरी में 34.72 फीसद घट गई है.

स्कूटर की सेल बढ़ी

2 व्हीलर गाड़ियों में सिर्फ स्कूटर व मोपेड की सेल बढ़ी है. वह भी 2.55 परसेंट की दर से, जबकि मोटरसाइकिलों की सेल में 4.48 परसेंट की गिरावट से साफ है कि 2 व्हीलर बनाने वाली कंपनियों की स्थिति भी डांवाडोल है.

बढ़ता स्टॉक दोहरी मुसीबत

एक तरफ कारों की सेल घट रही है, वहीं दूसरी तरफ स्टॉक बढ़ रहा है. यह कंपनियों के लिए दोहरी मुसीबत है. उत्पादन कम करने के बावजूद ऑटो कंपनियां का स्टॉक बढ़ता जा रहा है. अप्रैल, 2012 से फरवरी, 2013 के दौरान 1 करोड़ 89 लाख 40 हजार 972 वाहनों का उत्पादन हुआ. वहीं कुल बिक्री 1 करोड़ 63 लाख 29 हजार 96 इकाई रही है. यानी 26 लाख 11 हजार 876 वाहनों का स्टॉक बचा हुआ है.

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