-ज्यादा शोर करने पर धारा 188 के तहत हो सकती है कार्रवाई

-केस साबित होने पर 6 महीने तक कैद की सजा का प्रावधान

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DEHRADUN : दीपावली पर पटाखे गलत समय पर जला रहे हैं तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। आपके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। साबित होने पर छह माह की सजा भी मिल सकती है। इसका संविधान में प्रावधान है। बेहतर यही है कि पटाखे जलाएं, लेकिन तय समय केाद नहीं।

समय सीमा है निर्धारित

पटाखे जलाने के लिए नियम बनाए गए हैं, जिसके तहत रात के क्0 बजे के बाद शोर वाले पटाखे नहीं जलाए जा सकते हैं। एडवोकेट अजय कौशिक बताते हैं कि भारती संविधान में प्रत्येक नागरिक को मूल अधिकार दिए हैं। इसके तहत राइट टू लाइफ एंड लिबर्टी का सबको अधिकार है। हम अपनी मर्जी से सेलिब्रेट कर सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रहे कि किसी और की लाइफ एंड लिबर्टी में खलल पैदा न हो।

स्वस्थ्य व प्रदूषण रहित जिंदगी

कानून के मुताबिक मूल अधिकार के नाम पर किसी और के मूल अधिकार में दखल नहीं दिया जा सकता। लाइफ एंड लिबर्टी के तहत मिले अधिकार में स्वस्थ्य व प्रदूषण रहित जिंदगी शामिल है और इस तरह इसमें खलल नहीं डाला जा सकता। किसी और के मूल अधिकार में दखल की इजाजत संविधान नहीं देता है।

80 डेसी से ज्यादा नहीं आवाज

किसी भी शख्स के सुनने की क्षमता 80 डेसिबल तक होती है और इस सीमा तक आवाज को झेला जा सकता है, लेकिन इससे ज्यादा आवाज सेहत के लिए ठीक नहीं है, जबकि फायर क्रैकर की आवाज क्ख्भ् डेसिबल तक होती है और इस तरह से क्0 बजे रात के बाद इसे बैन किया गया है।

हो सकता है केस दर्ज

कानून के जानकारों के अनुसार अगर कोई शख्स रात के क्0 बजे के बाद पटाखा जलाता है और इससे किसी को परेशानी होती है तो वह क्00 नंबर पर कॉल कर सकता है। पुलिस ऐसे मामले में आईपीसी की धारा-क्88 के तहत केस दर्ज कर सकती है।

छह महीने की कैद

पुलिस चाहे तो सीधे भी इस तरह के शोर पर केस दर्ज कर सकती है। ऐसे मामले में बनाए गए आरोपी के खिलाफ अगर केस साबित हो जाए तो म् माह कैद की सजा का प्रावधान है। साथ ही तय सीमा से ज्यादा प्रदूषण होने पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सामने भी शिकायत की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार

कानूनी जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में ख्00भ् में दिए अपने एक एतिहासिक जजमेंट में न्वॉइस पॉल्यूशन और उसके विपरीत प्रभाव की विस्तार से चर्चा की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान क्रैकर से लेकर गाडि़यों से होने वाले न्वॉइस पॉल्यूशन के बारे में विस्तार से बताया था। कोर्ट ने इस दौरान कहा था कि फायर क्रैकर दो तरह के होते हैं एक ध्वनि वाले और दूसरे प्रकाश वाले। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि रात क्0 बजे से लेकर सुबह म् बजे तक आवाज वाले फायर क्रैकर बैन होंगे।

शोर पर हो सकती है सजा

- पुलिस ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा-क्88 के तहत केस दर्ज कर सकती है।

- पुलिस अगर चाहे तो सीधे भी इस तरह के शोर पर मामला दर्ज कर सकती है।

- केस साबित होने पर म् महीने तक कैद की सजा का प्रावधान है।

- प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से भी की जा सकती है शिकायत।