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900 सभी बैंकों के कुल एटीएम की संख्या

80 फीसदी एटीएम चल रहे हैं बंद

550 एटीएम हैं सरकारी बैंकों के

350 एटीएम हैं प्राइवेट बैंकों के

पब्लिक सेक्टर के ज्यादातर एटीएम का नोटबंदी के बाद से शटर ही नहीं उठा

सरकारी बैंकों में बाबूगिरी हावी, प्राइवेट में फटाफट निबट रहा काम

प्राइवेट बैंकों से हो रहा पूरा भुगतान, सरकारी में बाबू कर रहे चेंज पर मजबूर

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: देश के प्रधानमंत्री की नीयत साफ है। भ्रष्टाचार मिटाने के साथ आतंकवाद से निबटने के उनके मंसूबों पर पानी फेर रहे हैं पब्लिक सेक्टर के बैंक। पब्लिक की परेशानी है कि कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। लेकिन, परेशान होने वाले ज्यादातर लोग वही हैं जिनके पास सरकारी बैंकों से ट्रांजेक्शन करने के अलावा कोई चारा नहीं है। इस मामले में पब्लिक के भरोसे पर खरे उतर रहे हैं प्राइवेट सेक्टर के बैंक। सरकारी बैंक पब्लिक को चेक का एमाउंट चेंज करने पर मजबूर कर रहे हैं और प्राइवेट बैंक सप्ताह की पूरी लिमिट का भुगतान एक साथ कर रहे हैं। पब्लिक सेक्टर के किसी भी बैंक के एटीएम से अभी पांच सौ का नोट नहीं निकला है जबकि प्राइवेट सेक्टर के बैंक एक राउंड अपने एटीएम से यह नोट बांट चुके हैं। यही कारण है कि अब पब्लिक प्राइवेट बैंक के एटीएम की लाइन में लगना ज्यादा पसंद करती है।

इतना अंतर क्यों है भाई

प्राइवेट और सरकारी बैंकों में वास्तविक स्थिति क्या है, यह जानने के लिए आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने रियलिटी चेक किया तो वही हकीकत सामने आई, जिसकी शिकायत पब्लिक की ओर से की जा रही है

सरकारी बना प्राइवेट

यूनियन बैंक में नो कैश का नोटिस

आई नेक्स्ट रिपोर्टर गुरुवार को दिन में करीब 12.45 बजे सिविल लाइंस स्थित यूनियन बैंक की शाखा में पहुंचा। जहां बैंक के अंदर गिनती के ही लोग खड़े थे, कहीं कोई लाइन नहीं लगी थी। लाइन न लगने का कारण जानने का प्रयास किया गया तो पता चला कि बैंक में कैश ही नहीं है। नगद भुगतान काउण्टर पर 'शाखा में नगदी खत्म हो गई है' का नोटिस लगा हुआ था। दो बजे तक बैंक में कैश नहीं पहुंच सका था, जिसकी वजह से कैश काउण्टर बंद रहा।

एटीएम भी दो दिन से है बंद

यूनियन बैंक के बाहर ही बैंक का एटीएम लगा हुआ है, जो पिछले दो दिनों से बंद है। क्योंकि, बैंक के पास कैश ही नहीं है। जिसकी वजह से यूनियन बैंक से लोगों को गुरुवार को रुपया नहीं मिल पाया। यहां वहां भटकना पड़ा।

प्राईवेट-

ICICI में बंट रहा था पूरा कैश

यूनियन बैंक से निकल कर रिपोर्टर आईसीआईसीआई बैंक पहुंचा, जहां पर खाताधारकों को न सिर्फ कैश दिया जा रहा था, बल्कि सेविंग के 24 हजार और करेंट एकाउण्ट के 50 हजार की लिमिट को भी पूरा किया जा रहा था। यानी लिमिट के अनुसार जिसको जितनी जरूरत हो, उसको उतना कैश मिल रहा था।

एटीएम से भी मिल रहा था कैश

आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम में भी कैश भरा रहा। जिसकी वजह से लोगों की लंबी लाइन लगी रही। देर से ही सही, लेकिन लोगों को एटीएम से कैश मिल रहा था। इसलिए सरकारी बैंकों से भटकने के बाद लोग आईसीआईसीआई बैंक की लाइन में लगे हुए थे।

एटीएम खाली, विदड्राल की लंबी लाइन

आईसीआईसीआई बैंक से रिपोर्टर इलाहाबाद बैंक के मेन ब्रांच में पहुंचा, जहां पर नो कैश का नोटिस तो नहीं लगा था, लेकिन कैश के लिए लोगों को काफी इंतजार करते हुए और लंबी लाइन में लगे हुए देखा गया। जहां विड्राल फार्म के लिए लंबी लाइन लगी थी। वहीं एटीएम में पैसे न होने से लोगों को काफी दिक्कत हुई। बैंक कर्मचारियों ने बताया कि कैश की कमी है। जिसकी वजह से एटीएम बंद है।

यहां भी एटीएम में था कैश

इलाहाबाद बैंक से रिपोर्टर एचडीएफसी बैंक के मेन ब्रांच में पहुंचा। जहां बैंक के अंदर गिनती के ही लोग थे, वहीं बाहर एटीएम के लिए लंबी लाइन लगी हुई थी। बैंक के अंदर कैश काउण्टर पर नो कैश का नोटिस लगा हुआ था। जिसकी वजह से बैंक से कस्टमर को पेमेंट नहीं हो रहा था, लेकिन एटीएम लोगों की जरूरतों के मुताबिक खरा उतरा। लंबी लाइन में लग कर लोगों ने एचडएफसी बैंक के एटीएम से कैश निकाले।

बंद हैं एटीएम, कौन जिम्मेदार

जिम्मेदारी की चादर ओढ़ने के साथ ही बड़ी-बड़ी बातें करने वाले बैंकों की स्थिति यह है कि शहर के करीब दो दर्जन से अधिक एटीएम आठ नवंबर के बाद से खुले ही नहीं हैं। अगर खुले भी हैं तो 35 दिन में आठ से दस दिन। अधिकांश दिन एटीएम सेंटर बंद रहे हैं। इसकी वजह से लोग अपने-अपने एरिया को छोड़ कर यहां-वहां भटक रहे हैं। कैश के लिए भटक रहे लोगों की मानें तो म्योराबाद में पब्लिक सेक्टर के तीन बैंकों के एटीएम हैं जबकि प्राइवेट सेक्टर का सिर्फ एक। प्राइवेट बैंक के एटीएम में परमानेंट पैसा है। जबकि बाकी तीनों एटीएम बमुश्किल एक या दो दिन ही खुले हैं। यही हाल कल्याणी देवी एरिया का भी है। यहां भी सरकारी बैंकों के एटीएम खाली है। नैनी में एग्रीकल्चर कॉलेज के पास लगे एटीएम की भी यही कहानी है। शहर के पॉश इलाकों को छोड़ दिया जाय तो पब्लिक सेक्टर के बैकों के एटीएम की हर जगह यही कहानी है।

सारा फोकस सिविल लाइंस पर

बैंकों का सारा फोकस केवल सिविल लाइंस एरिया में ही है। वहीं पुराने शहर के साथ ही दूर-दराज के इलाकों में लगे एटीएम में कैश ही नहीं डाला जा रहा है। उधर सरकारी बैंकों में पेमेंट को लेकर भी समस्या है। एक तो गाइड लाइन के मुताबिक पैसा नहीं दे रहें हैं, जो भुगतान कर रहे हैं उसमें भी सिर्फ दो हजार के नोट दे रहे हैं। वहीं प्राइवेट बैंक गाइड लाइन भी फॉलो कर रहे हैं और लोगों को 100 और 500 के नोट भी दे रहे हैं।

मुझे पैसे की सख्त जरूरत थी। सरकारी बैंक के एकाउण्ट से कैश निकालने का प्रयास किया तो बैंक ने 14 हजार देने से मना कर दिया। आईसीआईसीआई बैंक के एकाउण्ट से कैश निकालने आया तो बिना किसी ना-नुकुर के पूरा पैसा मिल गया।

हुसैन अब्बास

करेली

यूनियन बैंक, एसबीआई के साथ ही अन्य सरकारी बैंकों के एटीएम फेल हैं। एचडीएफसी बैंक का एटीएम ही सहारा बना हुआ है। घंटे-दो घंटे लाइन में लगने के बाद ही सही, लेकिन कैश तो मिल रहा है। वो भी 100 और 500 के नोट में।

-नलिन रंजन शुक्ला

छोटा बघाड़ा

दो दिन पहले मैं अपने बैंक गया। विड्राल फार्म में 20 हजार रुपये का एमाउण्ट लिखा तो कैशियर ने पांच हजार रुपये से अधिक देने से मना कर दिया। जब कि जरूरत मुझे पूरे 20 हजार की थी। पांच हजार लेकर 15 हजार का जुगाड़ अन्य लोगों से किया।

मनोज कुमार

मुट्ठीगंज

रिजर्व बैंक से कैश नहीं आ रहा है, जिसकी वजह से हम कस्टमर को कैश नहीं दे पा रहे हैं। थोड़ा बहुत पैसा जो जमा हो रहा है, उसी से बांटा जा रहा है। हमारे पास भी यही शिकायत आ रही है कि प्राइवेट बैंक तो खूब पैसा दे रहे हैं। उन्होंने क्या स्पेशल अरेंजमेंट किया है, इसकी जानकारी हमें नहीं है।

-नरायन ताताचारी

एजीएम इलाहाबाद बैंक

अब इलाहाबाद को मिलेगा चार गुना रुपया

जिलाधिकारी संजय कुमार बैंको और एटीएम में बढ़ती भीड़ और जनसामान्य को हो रही पैसों की परेशानियो को देखते हुए लगातार आरबीआई के अधिकारियों से वार्ता कर रहे थे। डीएम की वार्ता आज रंग लाई। कानपुर आरबीआई के डीजीएम एसके द्विवेदी इलाहाबाद के जिलाधिकारी के आग्रह और यहां की जनसंख्या और नए रुपयों के अभाव को देखते हुए यहाँ प्रत्येक सप्ताह चारगुना रुपया देने को तैयार हो गए हैं। कल से पहले दी जा रही धनराशि की तुलना में इलाहाबाद को तीन से चारगुना रुपया आरबीआई देगा और यहाँ के चेस्ट में रखा जाएगा। शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के बैंकों को यहीं से पर्याप्त धन मिलेगा। जिलाधाकारी ने कहा कि जो रुपया बैंको को मिल रहा है वो जनसामान्य को ठीक ढंग से उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के बैंक भी इसका ख्याल रखेंगे। अपर जिलाधिकारी नगर शहरी क्षेत्र में तथा उप जिलाधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार नजर रखेंगे। उन्होंने कहा की किसी भी व्यक्ति से लाइन में गलत व्यवहार न किया जाये।