RANCHI: टीबी की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों को अब दो दिन नहीं, बल्कि दो घंटे में पता चल जाएगा कि उन्हें टीबी है या नहीं। इसके लिए रिम्स में कार्टरीज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एंप्लीफिकेशन टेस्ट(सीबी-नैट) मशीन लगाने की तैयारी चल रही है। जनवरी लास्ट तक यह मशीन रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में इंस्टाल कर दी जाएगी। दरअसल, स्टेट टीबी डिपार्टमेंट सभी सरकारी हास्पिटलों में यह मशीन लगा रहा है, ताकि टीबी का तत्काल पता लगाकर मरीज का इलाज शुरू किया जा सके। 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए सरकार अलग-अलग योजनाएं बनाकर काम कर रही है।

सस्पेक्टेड मरीजों को टेंशन नहीं

अभी टीबी के सस्पेक्टेड मरीजों को टेस्ट कराने के बाद एक से दो दिनों में रिपोर्ट मिल पाती है। इसके बाद ही उनका इलाज शुरू हो पाता है। वहीं, कई बार तो टेस्ट कराने में मरीजों को तीन-चार दिन भी लग जाते हैं। ऐसे में उनकी बीमारी और बढ़ जाती है। नई व्यवस्था लागू होने से मरीजों की टेंशन खत्म हो जाएगी। दो घंटे में ही उन्हें रिपोर्ट मिल जाएगी।

रिम्स में पहले से डॉट सेंटर

डिस्ट्रिक्ट टीबी को-आर्डिनेटर आशीष झा ने बताया कि टीबी का इलाज कराने में लोगों को काफी पैसे खर्च होते हैं। वहीं, सस्पेक्टेड बताने से तो उनकी नींद भी उड़ जाती है। इसलिए टीबी के मरीजों का टेस्ट फ्री में किया जाएगा। वहीं, उन्हें डेली रेजिमे के तहत दवाइयां भी मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए रिम्स में डॉट सेंटर पहले से ही चल रहा है।

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अवेयरनेस से बढ़े मरीज, करा रहे इलाज

रांची में टीबी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अवयेरनेस के कारण मरीज खुद इलाज के लिए आगे आ रहे हैं। अगर एक साल का आंकड़ा देखें, तो गवर्नमेंट हास्पिटलों में 2300 मरीज इलाज के लिए आए। जबकि प्राइवेट हास्पिटलों में 2750 मरीजों ने इलाज करवाया। डिपार्टमेंट के पास फिलहाल नवंबर तक का आंकड़ा है। ऐसे में एक महीने की रिपोर्ट में कुछ और मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।

वर्जन

टीबी अगर एक को हो जाए, तो उसकी चपेट में कई लोग आ जाते हैं। ऐसे में अगर बीमारी जल्दी पता चल जाए, तो इलाज भी जल्दी शुरू होगा। यह मशीन रिम्स में लगाई जाएगी, तो अधिक से अधिक मरीजों को इसका लाभ मिलेगा।

-डॉ। वीबी प्रसाद, डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर, रांची