प्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी घटी

देश में बीते 15 वर्षो के दौरान कॉरपोरेट टैक्स वसूली बढ़कर 12 गुनी हो चुकी है। आयकर से आने वाले राजस्व भी बढ़कर नौ गुने पर जा पहुंचा है। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी घटकर एक दशक के निचले स्तर 5.47 फीसद पर आ गई है। केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष करों में आयकर और कॉरपोरेट टैक्स मुख्य तौर पर शुमार हैं। इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'आयकर के आंकड़े जारी करना एक ऐतिहासिक फैसला है। मुझे यकीन है कि यह पारदर्शिता लाने और बेहतर जानकारी के साथ नीति निर्धारण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।'

छह लोगों की आय 68 करोड़ से ज्यादा

इन आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल 2.9 करोड़ लोग आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं। खास बात यह है कि करदाताओं के सबसे बड़े समूह की औसत सालाना आमदनी 6,94,000 रुपये है। जबकि केवल छह व्यक्ति ही ऐसे हैं, जिन्होंने औसत आय 68.72 करोड़ रुपये घोषित की है।

कॉरपोरेट और आयकर से वसूली

वित्त वर्ष 2000-01 में कॉरपोरेट टैक्स और व्यक्तिगत आयकर से वसूली के बीच करीब चार हजार करोड़ रुपये का मामूली अंतर था। वर्ष 2015-16 तक आते-आते आयकर के मुकाबले कॉरपोरेट टैक्स 58 फीसद ज्यादा हो गया। इस दौरान आयकर, कॉरपोरेट टैक्स और अन्य को मिलाकर प्रत्यक्ष करों से होने वाली वसूली बढ़कर 7,42,295 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। वर्ष 2000-01 में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह सिर्फ 68,305 करोड़ रुपये था।

जीडीपी में प्रत्यक्ष करों का हिस्सा

प्रत्यक्ष करों की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी वर्ष 2007-08 में सबसे ज्यादा थी। उस वक्त यह आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.3 फीसद था। वित्त वर्ष 2000-01 के दौरान प्रत्यक्ष करों की जीडीपी में 3.25 फीसद हिस्सेदारी थी। कुल करों में 2000-01 के दौरान प्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी 36.31 फीसद के स्तर पर थी। हिस्सेदारी का यह आंकड़ा वर्ष 2015-16 में बढ़कर 51.05 पर पहुंच गया।

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