सीबीआई को खोजे नहीं मिल रहे अंटू!

- एक महीने से पूर्व मंत्री की तलाश

- लखनऊ, कानपुर, दिल्ली समेत कई ठिकाने खंगाले

- सरेंडर न किया तो कुर्की कर सकती है सीबीआई

23 अगस्त को चार्जशीट दाखिल

2012 में सीबीआई ने दर्ज किए दो केस

LUCKNOW: बसपा सरकार में परिवार कल्याण मंत्री रहे अनंत कुमार मिश्र उर्फ अंटू मिश्र सीबीआई के हाथ नहीं लग रहे हैं। पूर्व मंत्री की तलाश में सीबीआई की टीमें पिछले एक महीने से दिल्ली के अलावा यूपी के कई शहरों की खाक छान चुकी है। अदालत द्वारा अंटू की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका खारिज होने के बाद उनके बचने के सारे रास्ते भी खत्म हो चुके है, इसके बावजूद उन्होंने अभी तक सीबीआई अथवा अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया है। सीबीआई के अधिकारी भी हैरत में हैं कि आखिर पूर्व मंत्री रह चुके अंटू कहां भूमिगत हो गये है। एनआरएचएम घोटाले का यह पहला ऐसा मामला है जिसमें किसी आरोपित को तलाशने में सीबीआई को इतनी मशक्कत करनी पड़ रही हो। सीबीआई अब उनके घरों की कुर्की करने की रणनीति बना रही है।

एक माह की अवधि हो चुकी पूरी

अंटू मिश्रा के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हुए करीब माह बीत गया है। इस दौरान लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव के साथ नेपाल तक सीबीआई उनकी सुरागरसी कर चुकी है। इसके बावजूद अंटू और उनके माता-पिता का पता नहीं चल रहा। मालूम हो कि सीबीआई ने विगत 23 अगस्त को सीएमओ और परिवार कल्याण को बांटने के मामले में अंटू मिश्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। तमाम फर्जी कंपनियां खोलकर काले धन को इधर से उधर करने के आरोप में उनके करीबी परिजनों को भी आरोपी बनाते हुए अदालत से गैरजमानती वारंट हासिल किया था। इसमें सीबीआई की मदद अंटू मिश्र के चार्टर्ड एकाउंटेंट ने की। इसके बाद सीबीआई ने अंटू के तमाम ठिकानों को खंगाला, कई जगह छापेमारी भी की लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। मालूम हो कि अंटू मिश्रा बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के रिश्तेदार हैं।

एक और चार्जशीट होगी दाखिल

अंटू मिश्र के खिलाफ सीबीआई जल्द ही एक और चार्जशीट दाखिल करने जा रही है। एनआरएचएम तहत गैरकानूनी तरीके से करीब सौ जिलों में मनचाहे लोगों को डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर तैनात करने के मामले में भी वे बुरी तरह फंस चुके हैं। एनआरएचएम घोटाले की जांच में यह साबित हो चुका है कि ड्रिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर के जरिए ही महंगी दवाओं और उपकरणों की खरीद की गयी। मालूम हो कि सीबीआई ने अंटू मिश्र के खिलाफ वर्ष 2012 में दो केस दर्ज किए थे। साथ ही राजधानी के मॉल एवेन्यू और गोमतीनगर स्थित आवास पर छापा भी मारा था।

बॉक्स

पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुटाई काली कमाई

सीबीआई ने पिछले महीने अंटू मिश्र के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में स्वास्थ्य मंत्री रहते सीएमओ और परिवार कल्याण के पदों को अलग करने के फैसले को गैरकानूनी माना। सीबीआई ने जांच में पाया कि सीएमओ परिवार कल्याण के पदों पर तैनातियों के जरिए उन्होंने करोड़ों रुपये जुटाये। बड़े पैमाने पर ट्रांसफर और पोस्टिंग का खेल किया गया। तैनात किए गये सीएमओ से मनमाने तरीके से दवाओं की खरीद करायी गयी। इसके अलावा जल्द दाखिल होने वाली एक और चार्जशीट ड्रिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर की तैनातियों को लेकर है। जांच में सामने आया कि एनआरएचएम के नियमों विपरीत जाकर यह पद सृजित किए गये और खास अफसरों को तैनात किया गया। योजना के धन को डीपीओ के जरिए जिलों में भेजा गया, जिसमें बड़े पैमाने पर गड़बडि़यां अंजाम दी गयी।