RANCHI : कॉमर्स टॉपर डीपीएस स्कूल की मुस्कान खोवाल प्लस टू के बाद अब दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम करना चाहती हैं। इसके बाद अगर अच्छी प्लेसमेंट मिलती हैं, तो जॉब करना का इरादा है। अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने अपने पेरेंट्स के साथ टीचर्स को दिया है। मुस्कान बताती हैं कि स्कूलिंग के टाइम तो स्कूल और ट्यूशन से ही समय नहीं मिल पाता था। ऐसे में वह खुद से दो घंटे ही पढ़ाई कर पाती थीं। लेकिन, जब स्कूल से जनवरी में छुट्टी मिली तो 7-8 घंटे की रेगुलर पढ़ाई पर फोकस कर दिया। इस बीच वह अपने फ्रेंड्स के साथ भी सोशल मीडिया से जुड़ी रहीं। उन्हें कभी क्वेश्चंस सॉल्व करने में परेशानी होती तो डाउट्स क्लियर करने के लिए व्हाट्सएप अच्छा सोर्स रहा, जहां वह अपने फ्रेंड्स के साथ डाउट्स क्लियर करती थीं। मुस्कान का मानना है कि पढ़ाई पर सोशल मीडिया का इफेक्ट नहीं होता है, जबतक कि वह अधिक न हो। अगर लिमिट में हो तो रिलैक्स होने के लिए भी सोशल मीडिया बेहतर है। वह बताती हैं कि उनके पिता पवन खोवाल और मां रेखा खोवाल रांची में ही बिजनेस करते हैं।

सोशल मीडिया से दूरी, 2-3 घंटे पढ़ाई के बाद ब्रेक जरूरी

सोशल मीडिया से दूर रहने वाले साइंस टॉपर अनिरूद्ध अनिल ओझा इंजीनियर बनना चाहते हैं। उनकी मां डॉ। रीचा पांडेय और पिता डॉ। राजीव पांडेय बीआइटी के मेकेनिकल डिपार्टमेंट में प्रोफेसर हैं, जिन्होंने पढ़ाई के दौरान अनिरुद्ध को काफी हेल्प की। साइंस का फैमिली बैकग्राउंड होने का उन्हें फायदा मिला। साथ ही उन्होंने आगे भी पेरेंट्स के सपोर्ट से इंजीनियर बनने की उम्मीद जताई है। फिलहाल उन्होंने जेईई एडवांस का एग्जाम दिया है और रिजल्ट का इंतजार है। वह बताते हैं कि एग्जाम से पहले खुद को रिफ्रेश करने के लिए वह दो से तीन घंटे की पढ़ाई के बाद ब्रेक जरूर लेते थे। सोशल मीडिया के प्रति कभी उनका इंटरेस्ट नहीं रहा। ऐसे में वह फोन पर ही दोस्तों से बातें कर अपनी समस्याएं शेयर करते थे। कभी क्वेश्चन सॉल्व करने में कोई डाउट होता तो वह अपने दोस्तों को फोन घुमा देते थे। अनिरूद्ध का मानना है कि सोशल मीडिया से जुड़ने के बाद टाइम मैनेजमेंट में काफी परेशानी होती है।