-सीबीएसई ने जारी किए निर्देश

-स्कूलों में बढ़ेगी कॉमर्शियल एक्टिविटी

<-सीबीएसई ने जारी किए निर्देश

-स्कूलों में बढ़ेगी कॉमर्शियल एक्टिविटी

BAREILLY BAREILLY

सीबीएसई से अफिलिएटेड स्कूल्स पेरेंट्स को अब प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। सीबीएसई के निर्देशानुसार अब स्कूल मैनेजमेंट को स्टेशनरी स्टोर ओपन करना होगा, जहां स्टूडेंट्स एनसीईआरटी की किताबें खरीद सकेंगे। वहीं, सीबीएसई के इस फरमान से स्कूल्स ओनर्स में हड़कंप मच गया है। क्योंकि प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स स्टूडेंट्स को खरीदवाने से कमीशन के रूप में मिलने वाले लाखों रुपए पर ग्रहण लग जाएगा। वहीं, सीबीएसई ने स्कूल्स को कॉमर्शियल एक्टिविटी की इजाजत दे दी है।

ऑनलाइन भी मंगा सकेंगे बुक्स

सीबीएसई ने अपने निर्देश में कहा है कि स्कूल कैंपस के अंदर एक छोटी दुकान चला सकते हैं। इस दुकान पर किताबों के साथ स्टेशनरी और बाकी की स्टडी सामग्री बेची जा सकेगी। इन स्टेशनरी स्टोर पर स्टूडेंट्स को बुक ऑनलाइन मंगाने की भी सुविधा दी जाएगी। कुछ समय पहले सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों ने बोर्ड के समक्ष ऐसे स्टोर खोलने की बात कही थी।

कराना होगा रजिस्ट्रेशन

सीबीएसई ने अपने निर्देशों में साफ कर दिया है कि स्कूल कैंपस के स्टेशनरी स्टोर में एनसीईआरटी की किताबों को ऑनलाइन मंगाने की सुविधा देनी होगी। एनसीईआरटी की बुक्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद बोर्ड को मांग पत्र भेजना होगा। स्कूलों को सेशन ख्0क्8-क्9 के लिए एनसीईआरटी किताबों के संबधी लिंक पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

सीबीएसई का ये कदम बहुत अच्छा है। मार्केट में एनसीईआरटी की तर्ज पर कई पब्लिकेशन आ गए हैं जो सिर्फ कॉपी पेस्ट कर अपनी किताबों को स्कूलों में जबरदस्ती लगवा देते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स को अब महंगी किताबों को नहीं खरीदना होगा।

जेबा खान,

प्रिंसिपल सेक्रेड हार्ट स्कूल

बोर्ड ने फैसला तो अच्छा लिया है पर इसे फॉलो करना मुश्किल होगा। स्कूलों में सिर्फ एनसीईआरटी की बुक्स से पढ़ाई नहीं हो रही है ऐसे में फ‌र्स्ट और सेकंड क्लास के बच्चों के लिए दूसरी किताबें कैसे खरीदी जाएंगी ये बड़ा सवाल है।

पारूष आरोड़ा,

डायरेक्टर पदमावती एकेडमी

सीबीएसई ने बुक्स स्टोर खोलने का जो फैसला लिया है। बिल्कुल सही है अब स्कूलों की मनमानी पर रोक लगेगी। पेरेंट्स को एनसीईआरटी की बुक्स लेने में कोई प्रॉब्लम नहीं हैं। पर स्कूल अपने कमीशन के चक्कर में और किताबों को खरीदने के लिए प्रेशर बनाते थे।

शुभ्रा गुप्ता,

हाउस वाइफ

बोर्ड ने जो फैसला लिया है बहुत ही अच्छा है। पेरेंट्स को अब मार्केट में बुक्स के लिए भागना नहीं पड़ेगा। स्कूलों की जो कमीशन है अब उस पर भी रोक लगेगी।

तनुज महरोत्रा, बिजनेसमैन